तीन युगों को सैंडविच की तरह मिलाकर RRR परोस गए राजमौली, देशभक्ति और आस्था को भुनाते हुए दी एक और शानदार फिल्म

एस एस राजमौली की यह खासियत है कि वह स्क्रीन पर जो कुछ दिखाते हैं वो दर्शकों के सीधे दिमाग पर असर करता है। फिल्म आरआरआर के अंत मे 'द सन नेवर सेट्स ऑन द ब्रिटिश अम्पायर' पर खून के छींटे वाला दृश्य इसका गवाह है।

फोटोः हिमांशु जोशी
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हिमांशु जोशी

ट्रिपल आर पूरी तरह से निर्देशक की फिल्म है, अंग्रेज शासन के अत्याचारों से मुक्ति पाने वाली पुरानी कहानी पर राजमौली ने दांव चला है। अधर्म पर धर्म की जीत के बीच राजमौली का प्रस्तुतिकरण फ़िल्म को शानदार बना देता है। राजमौली की ब्लॉकबस्टर फ़िल्म 'बाहुबली' की सफलता के पीछे उसके अभिनेता प्रभास और सेट की भव्यता महत्वपूर्ण कारण थे। इस फ़िल्म में भी दिल्ली का आलीशान सेट बनाया गया है, पुरानी कारें और भाप इंजन से चलने वाली ट्रेन बड़े पर्दे पर देखते ही बनती हैं।

फिल्म में राम और भीम की दोस्ती देख कभी आपको फिल्म 'शोले' के जय-वीरू याद आएंगे तो राम बने रामचरण का लुक देख 'पुष्पा' भी आपकी यादों में आ जाएगा। किरदारों को राम, भीम और सीता नाम देकर राजमौली तीन युगों को साथ ले आए हैं। उन्होंने फिल्म में भारतीयों की देशभक्ति और आस्था को जमकर भुनाया है।

फिल्म 'मगाधीरा' से चर्चा में आए रामचरण ट्रिपल आर की जान हैं और वह अभिनय के मामले में जूनियर एनटीआर पर भी भारी पड़ते दिखते हैं। जूनियर एनटीआर को हमने 'टेम्पर' में जिस रूप में देखा था, यहां वह उससे बिल्कुल अलग हैं और राजमौली के निर्देशन में उन्होंने अपना आज तक का सबसे बेहतरीन अभिनय दिखाया है। अजय देवगन और आलिया भट्ट सहायक कलाकारों के रूप में हैं और अपने किरदारों को सही तरीके से निभाते हैं।


फिल्म की स्क्रिप्ट कसी हुई है और स्क्रिप्ट से जुड़ा सब कुछ बेहतरी से अंजाम दिया गया है। फिल्म में कोई भी संवाद ऐसा नहीं है जो याद रखा जाएगा। फिल्म में नाचो नाचो गाने की कोरियोग्राफी जबरदस्त है और यह गाना लंबे समय तक पार्टियों में बजता नजर आ सकता है। बैकग्राउंड स्कोर इस फिल्म की जान है, बेहतरीन बैकग्राउंड स्कोर के जरिए फिल्म के हर दृश्य में मानो जान फूंक दी गई है।

फिल्म की शुरुआत में रामचरण का भीड़ के बीच से एक व्यक्ति को पुलिस थाने के अंदर खींच लाने वाला दृश्य सबसे ज्यादा प्रभावित करता है। इसके बाद महल में ट्रक से जंगली जानवरों को छोड़ने वाला दृश्य भी दर्शकों पर प्रभाव डालता है। फिल्म का छायांकन दिखने में अच्छा है, जंगल की हरियाली आंखों को प्रभावित करती है। फिल्म में कॉस्ट्यूम डिज़ाइनिंग पर भी अच्छा काम किया गया है। रामचरण, अंग्रे जसैनिकों और ओलिविया की ड्रेसों को अंग्रेज शासन के समय की तरह ही दिखाया गया है।

एस एस राजमौली की यह खासियत है कि वह स्क्रीन पर जो कुछ दिखाते हैं वो दर्शकों के सीधे दिमाग पर असर करता है। फिल्म के अंत मे 'द सन नेवर सेट्स ऑन द ब्रिटिश अम्पायर' पर खून के छींटे वाला दृश्य इसका गवाह है। इसके साथ ही फिल्म खत्म होते-होते भी वह जल-जंगल-जमीन का संदेश दे जाते हैं पर शायद इस पर ज्यादा बात हो क्योंकि मौजूदा समय में जनता की नीरसता की वजह से जल-जंगल-जमीन तीनों ही खतरे में दिखाई पड़ रहे हैं।

शुद्ध मनोरंजन के लिए थियेटर में जाकर एक बार तो इस फ़िल्म का आनंद लिया ही जा सकता है।

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Published: 03 Apr 2022, 7:25 PM