कहानी फिल्मी है: हाउसिंग सोसायटी में हत्या और मुश्किलों से लड़ती ‘शेरनी’
अभिनेता मुकुल चड्ढा अभिनय की सफलता की नई उड़ान पर हैं। उनके दो प्रोजेक्ट रिलीज होने जा रहे हैं। एक क्राइम और कॉमेडी वेब-शो ‘सनफ्लावर’ है और दूसरी फिल्म ‘शेरनी’ है जिसमें विद्या बालन मुख्य किरदार में हैं।
अभिनेता मुकुल चड्ढा अभिनय की सफलता की नई उड़ान पर हैं। उनके दो प्रोजेक्ट रिलीज होने जा रहे हैं। एक क्राइम और कॉमेडी वेब-शो ‘सनफ्लावर’ है और दूसरी फिल्म ‘शेरनी’ है जिसमें विद्या बालन मुख्य किरदार में हैं। वेब-शो ‘सनफ्लावर’ के बारे में मुकुल चड्ढा कहते हैं कि इसकी कहानी मुख्यरूप से एक आवासीय सोसायटी में हुई हत्या के इर्द गिर्द घूमती है। और वहां रहने वाले लोग किस तरह से जांच प्रक्रिया और सोसायटी की राजनीति में अपनी नाक अड़ाते हैं। और इनमें से कुछ लोग उस अपराध से ज्यादा सोसायटी की छवि को लेकर चिंतित हैं।
वह कहते हैं कि यह वेब-शो बहुत सारे अंतर्निहित तनावों के साथ बहुत गहरे से गुंथा हुआ है लेकिन यह इतना मजेदार है कि आप अति गंभीर दृश्यों में भी हंसते-हंसते लोट-पोट हो जाएंगे। वह कहते हैं, ‘सनफ्लावर के बारे में मुझे जो पसंद है, वह यह है कि इसे किसी विशेष खांचे में फिट नहीं किया जा सकता। यह न तो मर्डर मिस्ट्री है और न ही एकदम विशुद्ध कॉमेडी। लेकिन यह बहुत से कोनों-अंतरों को लिए हुए है। ’अपनी भूमिकाओं के चयन को लेकर वह कहते हैं कि वह दर्शकों के नजरिये से किरदार और प्रोजेक्ट को देखते हैं और साथ ही यह भी देखते हैं कि क्या यह उन्हें उनके कम्फर्ट जोन से बाहर निकाल सकता है। जिस कारण से मुकुल चड्ढा ने जल्दी गुस्सा हो जाने वाले डॉ. आहूजा के किरदार के लिए हां कहा, वह यह था कि यह किरदार उनके द्वारा आज तक निभाए गए किसी भी किरदार से अलग है और यह उनके ऑफ-कैमरा वर्जन से भी अलग है।
यही कारण था कि जिसके चलते उन्होंने ‘शेरनी’ फिल्म में पवन का किरदार लिया। चड्ढा इस फिल्म में इस किरदार को इतनी बारीकी से उभारने का श्रेय इसके निर्देशक अमित मसुरकर को देते हैं जबकि फिल्म का शीर्षक ही आपको यह बता देता है कि यह फिल्म किस बारे में होगी। यह फिल्म एक बहादुर महिला के बारे में है जो हर मुसीबत का सामना बहुत दिलेरी से करती है। लेकिन ‘सनफ्लावर’ का मामला ऐसा नहीं है। चड्ढा कहते हैं कि इसका नाम ही बहुत बिडंबना पूर्ण है क्योंकि यह इंगित तो कुछ रोशन और खुशनुमा चीज को करता है, लेकिन यह शो निश्चित रूप से डार्क कॉमेडी से भरा हुआ है।
‘शेरनी’ में सारा फोकस असल मुद्दों पर है। चड्ढा कहते हैं कि मसुरकर किसी भी मुद्दे को अलहदा करके नहीं देखते। वह उस मुद्दे से जुड़ी आसपास की हर चीज को भी उतना ही महत्व देते हैं। इसलिए यह फिल्म केवल जानवरों के संरक्षण के मुद्दे पर नहीं है बल्कि ‘वन्यजीव और ग्रामीणों के जीवन की आपसी निकटता तथा उनके बीच में पारस्परिक सहजीवी रिश्ते को लेकर है।
’मुकुल चड्ढा को दोनों ही प्रोजेक्ट में जिस चीज का आनंद आया, वह है सेट पर उनके अनुभव। ‘शेरनी’ फिल्म में उन्हें विद्या बालन और इला अरुण जैसी धुरंधर कलाकारों के साथ काम करने का आनंद मिला। और साथ ही ‘बच्चों जैसी ऊर्जा’ जो मसुरकर सेट पर अपने साथ लाते हैं, उसका भी अपना ही आनंद था। ‘सनफ्लावर’ के सेट पर एक बहुत खुशनुमा माहौल रहता था जो कि क्रू के आपसी हंसी-मजाक से और ज्यादा बढ़ जाता था। चड्ढा कहते हैं, ‘इन दोनों प्रोजेक्ट में मैं बहुत भाग्यशाली रहा क्योंकि मुझे एक बहुत अच्छी टीम मिली। मैं अपने काम पर इसलिए फोकस कर पाता था क्योंकि मुझे बाकी और किसी भी चीज की चिंता नहीं करनी पड़ती थी। ’वह साथ ही यह भी बताते हैं कि कैसे ओटीटी क्रांतिने उनके कॅरियर में एक बहुत बड़ी भूमिका निभाई ‘क्योंकि अलग-अलग फॉरमैट में बहुत सारी सामग्री का उत्पाद हो रहा है, इसके कारण कलाकारों को ज्यादा आजादी और मौके मिल रहे हैं।’ साथ ही वह यह भी बताते हैं कि ओटीटी प्लेटफॉर्म की व्यवस्था में कहानियों को मुख्यनायक/नायिका के अलावा और चीजों पर भी फोकस करने का मौका मिलता है और रोचक किरदार अन्य किरदारों को भी प्रभावित करते हैं।
वह जानते हैं कि यह समय सबके लिए मुश्किलों से भरा है। लेकिन चड्ढा साथ ही यह उम्मीद भी करते हैं कि युवा कलाकार और कलाकार बनने की आकांक्षा रखने वाले लोग इस उलझन भरे समय में कहीं नहीं खोएंगे। उनके लिए मुकुल चड्ढा की सलाह है, ‘यह एक बहुत ही कठिन प्रोफेशन है। सबसे पहले आप अपने से प्रश्न करें कि आप यहां क्यों हैं और अगर उत्तर में आपको लगता है कि आप यहां इसलिए हैं क्योंकि आप सच में एक कलाकार बनना चाहते हैं तो फिर डटे रहो।
’बैंकर से कलाकार बने मुकुल चड्ढा बताते हैं कि काम से अवकाश लेकर किया जाने वाला थियेटर कैसे उनके फुल टाइम थियेटर और अभिनय में बदल गया क्योंकि वह हमेशा से जानते थे कि उन्हें अंततः क्या करना है और वह अपने दिल की आवाज पर विश्वास करते थे।
चड्ढा वैश्विक महामारी के दौर में काम करते रहे। उन्होंने एक फिल्म बनाई जिसका नाम था ‘बनाना ब्रेड’। इसके अलावा वह एक क्राइम थ्रिलर सीरिज – ‘बिच्छू का खेल’, में मुख्य भूमिका में भी रहे। जहां जल्द ही ‘शेरनी’ और ‘सनफ्लावर’ रिलीज होने जा रही हैं, वहीं वह अन्य प्रोजेक्ट पर भी काम कर रहे हैं। कुछ वर्ष पहले उन्होंने एक फिल्म बनाई थी, जिसका नाम था ‘फेरी फोक’। वह भी प्रोडक्शन के बाद फिल्म समारोहों में घूमती पाई जा सकती है और हो सकता है कि वह साल के अंत तक रिलीज भी हो जाए।
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Published: 13 Jun 2021, 10:05 PM