लखनऊ : वोटरों के उत्साह से गुलजार रहे पार्टियों के चुनावी बस्ते, ज्यादातर सीटों पर सीधी टक्कर में फंसी दिखी बीजेपी
उत्तर प्रदेश में चौथे चरण के मतदान के साथ ही राजधानी लखनऊ की भी सभी सीटों पर वोटिंग पूरी हो गई। इस दौरान मतदाताओं के उत्साह से सभी पार्टियों के चुनावी बस्ते गुलजार नजर आए। लेकिन अपनी जीत के पहले से दावे करने वाली बीजेपी ज्यादातर सीटों पर सीधी लड़ाई में फंसी दिखी।
नए वोटर में खासा उत्साह, अल्पसंख्यक मतों का एकतरफा लेकिन खामोश रुझान लखनऊ के नतीजों पर कोई बड़ा उलटफेर कर दे तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए। लखनऊ की नौ सीटों पर जैसा संघर्ष दिखा उसमें बीजेपी की एकतरफा जीत के लंबे समय से किया जा रहे दावों की भी हवा निकलती दिखाई दी। एक-दो सीटों को छोड़ दें तो लखनऊ की सभी सीटों पर बीजेपी को कड़ी टक्कर मिलती दिखाई दी।
परसेप्शन की लड़ाई लड़ने वाली बीजेपी का जमीनी सच लखनऊ पश्चिम में बालगंज में उस वक्त भी हवा होता दिखा जब पोलिंग बस्ते पर बैठे कार्यकर्ता पूछने पर आपस में ही याद करते दिखे कि उनका उम्मीदवार कौन है! ज़िले की हर सीट पर मतदान खत्म होने तक बूथों के बाहर लगे बीजेपी और सपा के अलावा कांग्रेस और बीएसपी के बस्ते बता रहे थे कि लड़ाई वाक़ई काँटे की है।
मतदान से पहले तक सत्ताधारी बीजेपी के लिए ज़िले की तीन सीटों पर चुनावी संग्राम केक वॉक की तरह माना जा रहा था, लेकिन मतदान के कुछ घंटे पहले बदले राजनीतिक घटनाक्रम ने उन सीटों पर भी मुश्किलें खड़ी कर दीं।
मतदान खत्म होने तक राजधानी में दो तरह के नजारे दिखायी दिए। शुरूआती दौर में शहरी इलाकों खासतौर पर गोमतीनगर विस्तार इलाके में वोटिंग के लिए मतदाताओं में उत्साह दिखा, जोकि एक नई बात थी, तो पुराने लखनऊ में भी अब तक तटस्थ रहे वोटरों की राय भी मतों में तब्दील होती दिखायी दी। नये वोटरों में खासा उत्साह था। हालांकि कई इलाकों, ख़ासतौर से पुराने लखनऊ में मतदाता पर्ची के अभाव में लोग अपने बूथ तलाशते परेशान भी दिखे।
सुबह से ही राजधानी के पॉश इलाके गोमतीनगर विस्तार में जगह जगह मतदाताओं की लम्बी कतारें दिखायी दीं। यह वह इलाका है, जहां कुछ दिन पहले तक बहुमंजिली इमारतों में रहने वाले वोटर स्थानीय दिक्कतों की वजह से मतदान के लिए बहुत उत्सुक नहीं दिख रहे थे। यहां के ज्यादातर वोटर वोट नहीं देने या नोटा का विकल्प चुनने की बातें कर रहे थे।
उधर पुराने लखनऊ में मतदाता पर्ची नहीं मिलने की शिकायतें आम थी, जबकि गोमतीनगर व इंदिरानगर जैसे शहरी इलाकों में कई दिन पहले ही घर-घर मतदाता पर्ची पहुंचायी गयी थी। चौक इलाके के आशीष और रजिया ने यही शिकायत कई अफ़सरों से की। उनको बूथ तलाशने में खासी दिक्कत आयी।
सरोजिनीनगर विधानसभा सीट के बीजेपी उम्मीदवार राजराजेश्वर सिंह अपने ही आचरण से मतदाताओं के बीच घिरे दिखे। वहां उनके लोगों से न मिलने का मुद्दा ऐन मतदान के दिन ऐसा ज़ोर पकड़ लेगा किसी को उम्मीद नहीं थी। वृंदावन इलाके के बूथों पर बीएसपी के बस्तों पर भारी भीड़ जमा थी। जबकि इब्राहीमगंज मतदान केंद्र के बाहर कांग्रेस के बस्ते गुलजार दिखे। लाल टोपी पहने सपा कार्यकर्ता भी सक्रिय थे।
अब तक कैंट विधानसभा सीट बीजेपी प्रत्याशी ब्रजेश पाठक के लिए केक वॉक समझी जा रही थी। पर चुनाव के ऐन पहले बीजेपी सांसद रीता बहुगुणा जोशी के बेटे मयंक जोशी का सपा मुखिया अखिलेश यादव से मिलना उनके लिए मुश्किल खड़ी करता दिखा। इस मुलाकात की तस्वीर भी खूब वायरल हुई। कैंट विधानसभा क्षेत्र में ब्राहमण और पहाड़ी मतदाताओं की काफी तादाद है, और माना जाता है कि उनके बीच सांसद जोशी की पैठ है। इस घटनाक्रम का संदेश भी मतदाताओं के बीच साफ तैरता दिखायी दिया।
गोमतीनगर स्थित केंद्रीय विद्यालय मतदान केद्र के पास भी ऐसी ही चर्चा दिखी। मतदान से पहले बढती महंगाई का दर्द भी मतदाताओं में उभरा दिखा। लखनऊ मध्य विधानसभा क्षेत्र के नवयुग कन्या डिग्री कालेज के पास जमे युवा वोटर नई सरकार चुनने को लेकर इस आशा के साथ उत्साहित दिखे कि सरकारी भर्तियों में देरी और परीक्षा में धांधली पर रोक लगेगी। युवा वोटरों की नयी समझ और विकास पर फोकस इस चुनाव में अलग दिखा।
मतदान के दौरान तमाम वोटरों के नाम भी वोटर लिस्ट से गायब दिखे। इनमें शायर मुनव्वर राना भी शामिल हैं। मुनव्वर राना कैंट विधानसभा के लालकुआं इलाके के वोटर हैं। उन्होंने वोटिंग के एक दिन पहले ही क्षेत्र के सभासद से पर्ची मांगी तो नहीं मिली। पता चला कि उनका नाम वोटर लिस्ट से गायब है। नाराजगी जाहिर करते हुए राना कहते हैं कि हुकुमत ही वोट देने का मौका नहीं दे रही है...हालांकि बाद में वह यह भी कहते हैं कि बदइंतजामी की वजह से वह वोट नहीं डाल पाये।
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