पंजाब चुनावः सुरक्षा पर घेरने के लिए दिल्ली से ही स्क्रिप्ट लेकर चले थे मोदी, फिरोजपुर वालों ने कर दिया बेनकाब
फिरोजपुर के लोग सवाल दागते हैं कि क्या पीएम महज सात सौ लोगों को संबोधित करने जा रहे थे? हजारों सुरक्षाकर्मियों के बीच क्या चंद लोग पीएम का रास्ता रोकने की हिम्मत कर सकते हैं? क्या पंजाब के लोग इतने नादान हैं कि बीजेपी की गढ़ी गई कहानी को नहीं समझते।
पंजाब विधानसभा चुनाव में बीजेपी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 5 जनवरी के दौरे में कथित सुरक्षा चूक का जिन्न पूरी ताकत से बोतल से निकालने में लगी है। लेकिन पंजाब के लोग इसे बीजेपी का फ्रॉड मानते हैं। लोग सवाल दाग रहे हैं कि क्या पीएम महज सात सौ लोगों को फिरोजपुर रैली में संबोधित करने जा रहे थे? हजारों सुरक्षा कर्मियों के बीच क्या चंद लोग प्रधानमंत्री का रास्ता रोकने की हिम्मत भी कर सकते हैं? क्या पंजाब के लोग इतने नादान हैं कि बीजेपी की गढ़ी गई कहानी को नहीं समझते। लोगों का सीधा कहना है कि यह कहानी नहीं गढ़ी गई होती तो कोई दूसरी कहानी बनाई जाती। सौ फीसदी यह तो होना ही था। प्रधानमंत्री दिल्ली से ही पूरी स्क्रिप्ट अपने साथ लेकर चले थे।
फिरोजपुर शहर से लेकर पांच जनवरी के रैली स्थल और उस प्यारेआणा गांव के फ्लाईओवर (जहां प्रधानमंत्री का काफिला रुका रहा था) तक इस पूरी कहानी के गवाह लोग बीजेपी की झूठी स्क्रिप्ट की बखिया उघेड़ रहे हैं। फिरोजपुर शहर में चाय की दुकान पर खड़े सुनील कुमार से सवाल करने पर कहने लगे कि प्रधानमंत्री की सुरक्षा को क्या खतरा था। रैली स्थल पर तो बंदे ही नहीं थे। महज पांच-सात सौ बंदे थे। इक्का-दुक्का लोग वहां छतरी लगाए खड़े थे। इसीलिए यह पूरी कहानी गढ़ी गई।
दुकान के मालिक डिप्टी कुमार ने भी उनकी हां में हां मिलाया। कहने लगे कि वहां जब लोग ही नहीं थे तो प्रधानमंत्री किसे संबोधित करते। किसान आंदोलन के दौरान बीजेपी विरोध का आलम बताते हुए सुनील कुमार ने कहा कि फिरोजपुर काउंसिल पूरे 32 काउंसिलर कांग्रेस के हैं। बीजेपी के प्रत्याशियों को किसी ने पर्चा तक नहीं भरने दिया। यह बात बिल्कुल सही है कि रैली वाले दिन बारिश भी हो रही थी, लेकिन यह भी सही है कि विरोध के चलते मोदी की रैली में लोग आए ही नहीं थे।
इस सवाल पर कि चन्नी फैक्टर क्या यहां काम कर रहा है। सुनील कुमार का कहना था कि हम तो दलित भाईचारे से ही आते हैं। हमारे लोग तो उधर ही जाने वाले हैं। फिरोजपुर में मुकाबले के सवाल पर सुनील कुमार का कहना था कि राणा सोढी कांग्रेस से ही बीजेपी में आए हैं। इसलिए चुनाव में लड़ाई तो सोढी और कांग्रेस के प्रत्याशी परमिंदर सिंह पिंकी के बीच ही है। मोदी के रैली स्थल के पास गुरमेल की जूस की दुकान पर जूस पी रहे कुलदीप सिंह का कहना था कि प्यारेआणा गांव के फ्लाईओवर पर, जहां प्रधानमंत्री का काफिला रुका था, वहां विरोध के नाम पर महज सौ-दो सौ बंदे ही थे।
उन्होंने सवाल किया कि क्या इतने लोग प्रधानमंत्री का रास्ता रोक सकते हैं। कुलदीप सिंह ने भी तस्दीक करते हुए कहा कि रैली स्थल पर उस दिन महज पांच-सात सौ लोग ही थे। रैली स्थल के पास ही मिले भूपिंदर सिंह, सतनाम सिंह, ब्लॉक समिति मेंबर बोर्ड सिंह, गुरपेज सिंह और गुरदीप सिंह का कहना था कि यह तो सारा ड्रामा रचा गया। प्रधानमंत्री की रैली में लोग ही नहीं थे।
इन लोगों ने भी यही बात दोहराते हुए कहा कि चलो हम मान लेते हैं कि अधिकतम हजार बंदा वहां होगा। तो क्या प्रधानमंत्री इतने लोगों को संबोधित करने वहां आते। पीएम के आने से पहले जब कैप्टन अमरिंदर रैली को संबोधित कर रहे थे तब तो तीन-चार सौ लोग ही थे। प्यारेआणा फ्लाईओवर में तो चंद किसान थे। वहां तो बीजेपी के कार्यकर्ता थे। करीब 30 किलोमीटर दूर तलवंडी से ही तीन दिन पहले से सुरक्षा बलों ने पूरा क्षेत्र बंद कर रखा था। फिर वहां सुरक्षा का खतरा कैसे था। अब प्रधानमंत्री रैली न हो पाने से पंजाब को नुकसान की बात कर रहे हैं। पीएम को कुछ देना ही था तो ऐसे ही ऐलान कर देते।
इन लोगों का कहना था कि उस दिन मौसम खराब था। फिर पीएम क्यों आ रहे थे। क्या मौसम विभाग ने उनको रिपोर्ट नहीं दी थी। यह सब कुछ पंजाब को बदनाम करने के लिए किया गया। क्योंकि बीजेपी के खिलाफ पंजाब में पहले से काफी गुस्सा था। यह पूरी कहानी तो दिल्ली से ही गढ़ कर प्रधानमंत्री निकले थे। लोगों ने एक और रोचक बात बताई कि वह नींव का पत्थर जो प्रधानमंत्री पांच जनवरी को रखने वाले थे। वह विधायक पिंकी पहले ही रख चुके थे। उससे पहले भी दो लोग उस नींव पत्थर को रख चुके थे।
पीएम के रैली स्थल के ठीक बगल में एक दुकान में काम करने वाले लखविंदर ने भी इस बात की तस्दीक की कि वह तो यहीं था। रैली में लोग ही नहीं आए थे। कुर्सियां खाली पड़ी थीं। वहीं मिले जसवंत ने भी यही बात कही। फिरोजपुर में रैली स्थल से करीब 10 किलोमीटर पहले प्यारेआणा फ्लाईओवर के नीचे दुकान चला रहे मेजर सिंह ने तो कुछ न कहकर भी बहुत कुछ कह दिया। वह बोले कि वहां तो बीजेपी की बसें खड़ी थीं। इतनी सुरक्षा के बाद किसान पीएम को कैसे रोक सकते हैं।
प्रधानमंत्री का काफिला जहां रुका रहा उसके ठीक नीचे दुकान के मालिक सतविंदर सिंह ने भाजपा के दावों के उलट एक और बात कही। उनका कहना था कि प्रधानमंत्री यहां 10-15 मिनट नहीं बल्कि मुश्किल से पांच मिनट रुके होंगे। हम लोगों को भी जब तक पता चला कि यहां पीएम रुके हैं तब तक वह जा चुके थे। सतनाम सिंह का कहना था कि वहां सात सौ लोगों को प्रधानमंत्री संबोधित करने जाते तो कितनी बेइज्जती होती। सौ फीसदी यह स्टोरी क्रिएट की गई है। यह नहीं होता तो कुछ और कहानी गढ़ी जाती।
सतनाम का कहना था कि बेशक हम किसी भी दल के समर्थक हों, लेकिन पीएम की सुरक्षा को खतरे में डालने की सोच भी नहीं सकते। भला कोई पीएम को कैसे रोक सकता है। यहां कोई आतंकी थोड़े ही रहते हैं। सतनाम ने इस पर भी आशंका जाहिर की कि यह भी अजीब बात है कि प्रधानमंत्री इतना लंबा सफर रोड से तय कर रहे थे। इसका मतलब है कि पहले से ही कोई कहानी बना कर रखी थी।
अधिकतर लोग प्यारेआणा फ्लाईओवर के पास इस पूरे प्रकरण पर कुछ बोलने के लिए ही तैयार नहीं थे। ऐसे लोगों का एक ही जवाब था कि हम उस दिन यहां थे नहीं। शायद इस घटनाक्रम की चल रही जांच से वह तंग थे, लेकिन जो भी बोला वह खुलकर बोला। एक बात की और तस्दीक हो गई कि पंजाब के लोग पंजाब के स्वाभिमान पर किसी भी तरह की चोट बर्दाश्त नहीं करते। तरनतारन और फिरोजपुर जिले की सीमा पर स्थित हरिके पत्तन बैराज पर स्थित गुरुद्वारा ईशर धाम नानक सर के सामने प्रसाद बेंच रहे सतनाम सिंह से बीजेपी के इस मुद्दे को चुनावी इश्यू बनाने का सवाल करते ही वह बोले कि तो क्या हो गया कि प्रधानमंत्री को वहां दो-चार मिनट रुकना पड़ा।
सतनाम सिंह ने आगे कहा कि हमारे पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जब गुजरात गए थे तो उस समय के गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया था। हमारे पंजाब के सरदार मनमोहन सिंह के साथ वह ऐसा कर सकते हैं तो उनको भी यदि थोड़ी देर रुकना पड़ गया तो क्या हो गया। सतनाम सिंह का यह जवाब इस बात की भी तस्दीक कर रहा था कि मतदाता हर बात का हिसाब कितनी शिद्दत के साथ रखता है। सतनाम सिंह किसान आंदोलन के दौरान दिल्ली बार्डर पर भी गए थे।
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