यूपी में सचमुच कुच्छो बा का? योगी-बीजेपी के दावे और आंकड़ों में बयां होती हकीकत...
पिछले दिनों योगी ने वोटरों को रिझाने के लिए कहा था कि अगर बीजेपी को वोट नहीं दिया तो यूपी का हाल भी केरल, कश्मीर और पश्चिम बंगाल की तरह हो जाएगा। उनका मकसद जो भी रहा हो, लेकिन आम लोगों के जीवन से जुड़े मुद्दों पर तो यूपी का रिकॉर्ड कुछ और ही कहता है।
उत्तर प्रदेश आज भी उन शीर्ष 5 राज्यों में शामिल है जहां आबादी का बड़ा हिस्सा शिक्षा से वंचित है। जबकि इस मोर्चे पर केरल का प्रदर्शन सबसे अच्छे राज्यों में शीर्ष पर है। देखिए नीचे दिए गए आंकड़े...
इतना ही नहीं उत्तर प्रदेश उन शीर्ष पांच राज्यों में भी शामिल है जो शिक्षा पर सबसे कम खर्च करते हैं. जबकि असम, बिहार और राजस्थान जैसे राज्य शिक्षा पर खर्च करने वाले सबसे अच्छे राज्यों में गिने जाते हैं। नीचे दिए आंकड़े असली तस्वीर सामने रखते हैं।
जन स्वास्थ्य सेवाओं के मामले में जहां उत्तर प्रदेश सबसे पिछड़ा राज्य है, वहीं केरल इस मामले में टॉप पर है।
वहीं पश्चिम बंगाल स्वास्थ्य सेवाओं पर सर्वाधिक खर्च करने वाले राज्यों में राजस्थान के बाद दूसरे नंबर पर है, जबकि उत्तर प्रदेश की गिनती स्वास्थ्य पर सबसे कम खर्च करने वाले राज्यों में होती है।
योगी सरकार का दावा है कि कोविड के दौरान उसने बेहतरीन काम किए। लेकिन गंगा में बहती लाशों ने सरकार के कामकाज पर सवाल खड़े किए और अब अन्य माध्यमों से भी जो जानकारी आ रही है, वह सोचने को मजबूर करती है। सिटिजन्स फॉर जस्टिस एंड पीस नाम के मानवाधिकार संगठन ने व्यापक जांच-पड़ताल के बाद जो पाया, उससे दूध का दूध और पानी का पानी हो जाता है।
कोविड के दौरान मृत्यु के सरकारी आंकड़े तो कम हैं ही क्योंकि सरकार जितनी मौत की बात कह रही है, उससे कहीं अधिक तो उसी के रिकॉर्ड बता रहे हैं। फिर भी सच्चाई यह नहीं। सर्वे के दौरान कई अधि कारियों ने बताया कि वे गांवों में होने वाली सभी मृत्यु का रिकॉर्ड नहीं रखते। वे केवल उन्हीं का रिकॉर्ड रखते हैं जिनका मृत्यु प्रमाणपत्र मांगा जाता है।
कोरोना काल के दौरान बेहतरीन काम करने के लिए अपनी पीठ थपथपा रही सरकार के अपने आंकड़े ही उसे मुंह चिढ़ा ने वाले हैं। स्थिति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कोविड महामारी के दौरान केवल वर्ष 2020 में 3,548 लोगों ने बेरोजगारी के कारण खुदकुशी कर ली।
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