यूपी चुनाव: शुरुआती चरणों के मतदान के अनुमान से घबराई बीजेपी को याद आए उमा भारती जैसे नेता, मोदी डालेंगे काशी में डेरा
उत्तर प्रदेश में शुरुआती चरणों के मतदान के बाद बीजेपी खेमे में बेचैनी है। चुनावी अनुमानों के बाद घबराई बीजेपी ने अब उमा भारती और विनय कटियार जैसे ओबीसी नेताओं से मनुहार लगाई है। लेकिन उमा भारती ने फिलहाल प्रचार से इनकार कर दिया है। साथ ही मोदी के वाराणसी में डेरा डालने की संभावना है।
उत्तर प्रदेश चुनाव के चार चरणों के मतदान के बाद जो तस्वीर सामने आ रही है और विश्लेषकों के जो अनुमान हैं, उनसे बीजेपी की नींद उड़ी हुई है। बीजेपी में भीतर ही भीतर चर्चा गहरा रही है कि पहले चार चरणों में बीजेपी को भारी नुकसान हुआ है। नेशनल हेरल्ड को मिली जानकारी के मुताबिक बीजेपी और आरएसएस ने इस नुकसान की भरपाई के लिए पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती की मदद मांगी है कि वे बीजेपी के पक्ष में लोगों को एकजुट करें।
हालांकि पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि उमा भारती ने फिलहाल बीजेपी की कोई मदद करने से इनकार कर दिया है। उन्होंने स्वास्थ्य कारणों से बीजेपी के चुनाव प्रचार में हिस्सा लेने में असमर्थता जताई है।
सूत्रों का कहना है कि संघ नेता अरुण कुमार ने हाल ही में चौथे दौर के मतदान से पहले उत्तर प्रदेश के जालौन उमा भारती से मुलाकात कर बीजेपी के लिए प्रचार करने का अनुरोध किया। एक राजनीतिक विश्लेषक के मुताबिक “उमा भारती ने इस अहम चुनावी लड़ाई में बीजेपी की मदद करने से इनकार कर दिया।”
उनका कहना है कि, “उमा भारती आज भी उस बेइज्जती को नहीं भूली हैं जो उनकी मौजूदा बीजेपी द्वारा की गई है। उनके साथ जो सुलूक किया गया उससे उमा भारती की लोध जाति के लोग बेहद नाराज हैं, वहीं बुंदेलखंड के कट्टर हिंदुत्ववादी भी इससे खफा हैं।” जमीनी स्तर पर बदलते हालात को देखते हुए आरएसएस बीजेपी की मदद के लिए उतरा है।
बीजेपी और संघ के बीच कोआर्डिनेशन के लिए पिछले साल नियुक्त किए गए अरुण कुमार को इस बारे में रणनीति बनाने का जिम्मा सौंपा गया है। कहा जाता है कि संघ की तरफ से प्रधानमंत्री मोदी को उत्तर प्रदेश में और अधिक चुनावी सभाएं करने की सलाह दी गई है।
पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि, “2024 के आम चुनाव से पहले यूपी के चुनाव बीजेपी के लिए सेमीफाइनल की तरह हैं। अगर पार्टी यूपी हारती है तो उसके लिए 2024 में केंद्र की सत्ता में वापसी करना मुश्किल होगा।”
ध्यान रहे कि उमा भारती लोध समुदाय से आती हैं जिनकी उत्तर प्रदेश में करीब 7 फीसदी आबादी है। लोध समुदाय को बीजेपी का परंपरागत वोटबैंक माना जाता रहा है, लेकिन इस बार यूपी चुनावी में लोध समुदाय बीजेपी से नाराज नजर आ रहा है। चर्चा है कि बड़ी संख्या में लोध वोटर समाजवादी पार्टी के पक्ष में गया है।
उमा भारती बाबरी आंदोलन का प्रमुख चेहरा रही हैं और 1992 में जब बाबरी मस्जिद गिराई गई तो उस समय वे मंच पर बीजेपी के बड़े नेताओं के साथ मौजूद थीं। उमा भारती का उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड इलाके में अच्छा प्रभाव है। उमा भारती ने 2003 के चुनाव में बीजेपी को मध्य प्रदेश में सत्ता दिलाई थी।
सूत्रों के मुताबिक यूपी के पहले तीन चरणों के मतदान के बाद आरएसएस में गहरा मंथन हुआ है जिसके बाद नई रणनीति पर काम शुरु करने की योजना बनाई गई है।
जो मुख्य रणनीति बनी है, उसमें :
उमा भारती जैसे पार्टी के पुराने और प्रभावशाली नेताओं को बीजेपी के पक्ष में प्रचार के लिए राजी करना
जातीय समुदायों के नेताओं, संतों और अखाड़ों के साथ ही धार्मिक संगठनों को बीजेपी के पक्ष में जमीन पर उतरकर प्रचार में शामिल करना
वाराणसी समेत अन्य इलाकों में पीएम मोदी को अधिक समय देना होगा
बीजेपी नेताओं को छुट्टा पशुओं के मुद्दे का समाधान लोगों के सामने रखना होगा
ध्यान देने की बात है कि उमा भारती और विनय कटियार जैसे बीजेपी के पुराने नेता अभी तक पार्टी के प्रचार से दूर रहे हैं। विनय कटियार और उमा भारती दोनों ही ओबीसी नेता हैं और अयोध्या आंदोलन के चर्चित चेहरे रहे हैं।
याद होगा कि संघ प्रमुख मोहन भागवत ने हाल ही में बीजेपी नेताओं और संघ कार्यकर्ताओँ के साथ बैठक की थी । बैठक में शामिल कुछ नेताओं ने बताया कि उत्तर प्रदेश में चुनावी स्थिति से संघ प्रमुख नाराज हैं।
माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी का वाराणसी का 2 मार्च से शुरु हो रहा तीन दिवसीय दौरा इसी रणनीति का हिस्सा है। वाराणसी में मोदी के तीन दिन के प्रवास के बीच ही यूपी में छठे और सातवें चरण का मतदान होगा। बीजेपी समर्थकों का मानना है कि इससे बीजेपी को पूर्वांचल में काफी चुनावी लाभ होगा। आखिरी चरणों में ही पूर्वांचल की 111 विधानसभा सीटों पर मतदान होना है।
लखनऊ स्थित एक राजनीतिक विश्लेषक का कहना है कि, “आम चर्चा यह सुनाई दे रही है कि पहले दो चरणों में काफी नुकसान झेलने के बाद बीजेपी ने तीसरे और चौथे चरण में काफी हद तक भरपाई कर ली है, इसीलिए इन चरणों में पार्टी के बड़े नेताओं की रैलियां आदि देखने को मिलीं। लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद बीजेपी को अभी तक भरोसा नहीं है कि यूपी की सत्ता में उसकी वापसी हो रही है या नहीं।”
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