बिहार चुनावः क्या मिशन में कामयाब हुए ओवैसी! जानें कैसे बिगाड़ा महागठबंधन का चुनावी गणित
इस चुनाव में ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने आरजेडी के माय (मुस्लिम-यादव) समीकरण में बड़ी सेंधमारी की है। इतना ही नहीं, एआईएमआईएम ने मुस्लिम वोटों के साथ-साथ दलित और पिछड़ों का भी वोट अच्छी-खासी संख्या में हासिल किया है।
बिहार में आमतौर पर वोट कटवा कही जाने वाली पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए- इत्तेहाद-उल-मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) ने मंगलवार रात आए विधानसभा चुनाव के परिणाम में पांच सीटों पर जीत का परचम लहराकर सबको चौंका दिया है। इस कामयाबी के साथ एआईएमएआईएम ने न केवल पांच सीटें अपनी झोली में डालीं, बल्कि आरजेडी के नेतृत्व वाले महागठबंधन का चुनावी गणित भी कई सीटों पर बिगाड़ दिया।
असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ने बिहार के सीमांचल क्षेत्र की पांच सीटों पर जीत दर्ज कर अपनी मजबूती का प्रदर्शन कर दिया है। ऐसा नहीं कि मुस्लिम आबादी बहुल इस इलाके में ओवैसी की पार्टी पहली बार चुनावी मैदान में उतरी थी। लेकिन अन्य चुनावों में इसे अपेक्षित सफलता नहीं मिली थी। इस चुनाव में पार्टी ने भले ही पांच सीटें जीती हैं, लेकिन शेष जगहों पर इसने महागठबंधन के प्रत्याशियों के लिए परेशानी बढ़ा दी।
इस चुनाव में ओवैसी की पार्टी बिहार में 20 सीटों पर चुनाव लड़ी, इनमें से ज्यादातर पर 7 नवंबर को मतदान हुआ था। एआईएमआईएम ग्रैंड डेमोक्रेटिक सेक्युलर फ्रंट का हिस्सा है। इस गठबंधन में उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी और बहुजन समाज पार्टी भी शामिल है।
चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार बिहार चुनाव में एआईएमआईएम को 1.24 फीसदी वोट मिले हैं। बिहार विधानसभा चुनाव 2015 में पार्टी का प्रदर्शन खराब रहा था और उसे सिर्फ 0.5 फीसदी मत ही हासिल हो पाया था। ओवैसी ने सीमांचल के अलावा कोसी और मिथिलांचल में भी अपना प्रभाव छोड़ा है।
इस चुनाव में ओवैसी की पार्टी ने आरजेडी के माय (मुस्लिम-यादव) समीकरण में भी बड़ी सेंधमारी की है। सीमांचल की राजनीति को जानने वाले वाले अहमद कहते हैं कि इस चुनाव में पहली बार ओवैसी की पार्टी ने अमौर, वायसी, जोकीहाट, बहादुरगंज और कोचाधामन सीट पर जीत हासिल की है। इससे पहले उपचुनाव में पार्टी ने किशनगंज की सीट जीतकर बिहार में अपना खाता खोला था।
अहमद कहते हैं कि अगर ओवैसी कांग्रेस, आरजेडी के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ते, तो आरजेडी को 11 अन्य सीटों पर जीत मिलती। एआईएमआईएम ने मुस्लिम वोट के साथ-साथ दलित और पिछड़ों का भी वोट हासिल किया। अहमद कहते हैं कि एआईएमआईएम ने खुद को विकास के साथ जोड़कर प्रस्तुत किया, जिससे लोगों में स्वीकार्यता बढ़ी और जहां भी इसके प्रत्याशी उतरे लोगों ने उसका दिल खोलकर समर्थन किया। उन्होंने कहा कि ऐसे में जहां ओवैसी की पार्टी के वोट बढ़े, कांग्रेस और आरजेडी के वोट बैंक में सेंध लगी।
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