यूपी विधानसभा चुनाव के बाद परिषद चुनाव की बारी, सभी राजनीतिक दल ताल ठोकने के लिए तैयार
वर्तमान में उत्तर प्रदेश विधान परिषद में समाजवादी पार्टी के पास बहुमत है। सपा के पास परिषद में 48 सीट हैं, जबकि बीजेपी के पास 36 सीट हैं। हालांकि, सपा के 8 निवर्तमान एमएलसी अब बीजेपी में चले गए हैं। वहीं, बीएसपी का एक एमएलसी भी बीजेपी में शामिल हो गया है।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव परिणाम को लेकर हंगामा थमने से पहले ही राजनीतिक दल विधान परिषद चुनाव के लिए कमर कस चुके हैं। दरअसल, 36 सीटों पर होने वाले विधान परिषद चुनाव के लिए मंगलवार को नामांकन शुरू हो गया। मतदान 9 अप्रैल को होगा और मतगणना 12 अप्रैल को होगी।
वर्तमान में उत्तर प्रदेश विधान परिषद में समाजवादी पार्टी के पास बहुमत है। सपा के पास परिषद में 48 सीटें हैं, जबकि बीजेपी के पास 36 सीट हैं। हालांकि, सपा के 8 निवर्तमान एमएलसी अब बीजेपी में चले गए हैं। वहीं, बीएसपी का एक एमएलसी भी बीजेपी में शामिल हो गया है।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद बीजेपी की नजर अब एमएलसी चुनाव में फिर से समाजवादी पार्टी को हराकर उच्च सदन में भी बहुमत हासिल करने की है। चुनाव दो चरणों में होंगे। पहले चरण में 30 सीटों के लिए नामांकन 15 से 19 मार्च तक होगा। इस चरण के नामांकन पत्रों की जांच 21 मार्च को होगी और 23 मार्च तक नामांकन वापस लेने की अनुमति होगी। मतदान 9 अप्रैल को होगा।
वहीं, दूसरे चरण में 6 सीटों के लिए चुनाव होंगे, जिनके लिए नामांकन 22 मार्च तक जमा किए जा सकते हैं। जांच 23 मार्च तक की जा सकती है और 25 मार्च तक नाम वापस लिए जा सकते हैं। 9 अप्रैल को मतदान होगा और मतगणना 12 अप्रैल को होगी। राज्य में स्थानीय निकायों के कोटे के तहत विधान परिषद में 35 सीटें हैं। इसमें एटा, मथुरा-मैनपुरी सीट से 2 प्रतिनिधि चुने जाते हैं, इसलिए 35 सीटों के लिए 36 सदस्यों का चयन किया जाता है।
आमतौर पर ये चुनाव विधानसभा सत्र से पहले या बाद में होते हैं। इस बार 7 मार्च को कार्यकाल समाप्त होने के कारण चुनाव आयोग ने विधानसभा सत्र के बीच में इसकी घोषणा की। इसके बाद में यूपी विधानसभा चुनाव को देखते हुए परिषद के चुनाव स्थगित कर दिए गए।
सूत्रों के मुताबिक बीजेपी ने स्थानीय निकाय चुनाव के लिए एमएलसी प्रत्याशियों के नामों पर फैसला कर लिया है। समाजवादी पार्टी के कुछ एमएलसी को ही टिकट दिया जाएगा, जबकि अधिकांश सीटें पार्टी कैडर को मिलेंगी। दूसरी ओर समाजवादी पार्टी कथित तौर पर पुराने चेहरों के बजाय नए लोगों को प्राथमिकता दे रही है।
इस बीच सूत्रों ने कहा कि खराब प्रदर्शन करने वाले मौजूदा एमएलसी को समाजवादी पार्टी द्वारा हटाया जा सकता है और छोटे अंतर से हारने वाले होनहार विधायक उम्मीदवारों को एमएलसी चुनावों के लिए टिकट मिल सकता है। फिलहाल पार्टी कोई रिस्क नहीं लेना चाहती है।
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