अर्थ जगत की 5 बड़ी खबरें: WhatsApp की नई प्राइवेसी पॉलिसी पर रोक और इस राज्य में बीड़ी कारोबार पर गहराया संकट!
WhatsApp ने भारी दबाव के चलते अपनी नई प्राइवेसी पॉलिसी को फिलहाल टाल दिया है और कोटपा में संशोधन से मध्य प्रदेश में बीड़ी कारोबार पर संकट के बादल गहराने लगे हैं।
WhatsApp की नई प्राइवेसी पॉलिसी पर तीन माह की रोक
WhatsApp ने भारी दबाव के चलते अपनी नई प्राइवेसी पॉलिसी को फिलहाल टाल दिया है। ऐसे में अगर यूजर WhatsApp की नई प्राइवेसी पॉलिसी को 8 फरवरी तक नहीं मंजूरी देते हैं, तो इसके बावजूद भी WhatsApp अकाउंट बंद नहीं होगा। बता दें कि Facebook ओन्ड मैसेजिंग ऐप WhatsApp ने 8 फरवरी से अपनी नई प्राइवेसी पॉलिसी लागू करने वाली थी, जिसे कंपनी ने अगले तीन माह के लिए टाल दिया है। ऐसे में यूजर के पास नई प्राइवेसी पॉलिसी के रिव्यू के लिए 15 मई 2021 तक का वक्त होगा। बता दें कि 15 मई 2021 को WhatsApp का नया बिजनेस ऑप्शन लॉन्च होगा।
शक्तिकांत दास ने कहा- इस वजह से कोविड-19 के आर्थिक प्रभाव को कम करने में मिली मदद
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि कोविड-19 की वजह से 2020 मानव समाज के लिए सबसे कठिन समय में से रहा है और इस दौरान केंद्रीय बैंक की नीतियों की वजह से महामारी के गंभीर आर्थिक प्रभावों को कम करने में मदद मिली है। मानव समाज के लिए सबसे कठिन समय में से रहा है साल 2020 दास ने शनिवार को 39वें नानी पालकीवाला स्मृति व्याख्यान में कहा, ''बीता साल मानव समाज के लिए सबसे कठिन समय में से रहा है। इस महामारी के स्वास्थ्य और आर्थिक प्रभाव से दुनियाभर के देशों के बीच आर्थिक और सामाजिक कमजोरियां और व्यापक हुई हैं।'' उन्होंने कहा, ''यह जरूरी है कि महामारी के बीच और उसके बाद वित्तीय प्रणाली के प्रबंधन के लिए एक ठोस और समझदारी वाला रुख अपनाया जाए।''
चीनी उत्पादों पर बैन, अमेरिका में खड़ा हुआ रोजगार का संकट
कोविड-19 महामारी की वजह से कई देशों में रोजगार का संकट खड़ा हुआ है, आने वाले समय में भी करोड़ों लोगों को नौकरियों से हाथ धोना पड़ सकता है। अमेरिका भी इस मुसीबत का सामना कर रहा है। एक ओर महामारी से अर्थव्यवस्था का बुरा हाल है, वहीं चीन के साथ व्यापार युद्ध ने परेशानी और बढ़ा दी है। स्थिति यह है कि अमेरिका में लाखों नागरिक बेरोजगार हो चुके हैं, यह दावा खुद अमेरिका के श्रम विभाग व अन्य एजेंसियों द्वारा किया जा रहा है। यहां बता दें कि अमेरिका में कई चीनी कंपनियां मौजूद हैं, जिससे वहां के नागरिकों को रोजगार के तमाम अवसर मिलते हैं। इसके बावजूद ट्रंप प्रशासन ने चीन के साथ व्यापारिक रिश्तों को सुधारने के लिए कोई कदम नहीं उठाया। यहां तक महामारी के दौरान भी चीनी कंपनियों को स्टॉक मार्केट से हटाने, उन पर प्रतिबंध लगाने की कोशिश जारी रही। अब इसी कड़ी में एक और कदम जुड़ गया है, वह है शिनच्यांग के कपास, टमाटर व अन्य उत्पादों के अमेरिका में प्रवेश पर प्रतिबंध। जाहिर है अमेरिका द्वारा बार-बार उत्तेजित करने वाले कदम उठाए जाने को लेकर चीन कड़ा विरोध जताता रहा है। शिनच्यांग संबंधी उत्पादों पर पाबंदी की घोषणा से चीन-अमेरिका रिश्ते और कमजोर होंगे। इसका सीधा असर अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा। इससे पहले भी चीन-अमेरिका व्यापारिक टकराव के कारण अमेरिका में लगभग ढाई लाख लोगों को अपनी नौकरियां गंवानी पड़ी हैं। जबकि कोरोना की वजह से भी लाखों लोगों के ऊपर बेरोजगारी का संकट छाया हुआ है।
कम दृश्यता के कारण आईजीआईए से 40 से अधिक उड़ानों में हुई देरी
घने कोहरे की वजह से कम दृश्यता स्थिति के कारण शनिवार को यहां इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डे (आईजीआईए) से 40 से अधिक उड़ानों में देरी हुई। हवाईअड्डे के सूत्रों के अनुसार, खराब दृश्यता और नॉन-कम्प्लिएंट कैट 3 बी ट्रेंड पायलट देरी का कारण बने। देर रात 1.30 बजे के आसपास भारी कोहरे ने हवाईअड्डे को ढकना शुरू कर दिया था। कम दृश्यता सुबह 7 बजे तक बनी रही, जिसके बाद सामान्य परिचालन फिर से शुरू हुआ। दिल्ली हवाईअड्डे में तकनीकी रूप से बेहतर कैट (कैटेगरी) 3बी आईएलएस सिस्टम है, जो रनवे की दृश्यता मात्र 50 मीटर होने पर भी कम्प्लिएंट विमान और प्रशिक्षित पायलटों को उतरने की अनुमति देता है। इस वर्ष, नए वायु यातायात नियंत्रण टॉवर, थर्मल इमेजिंग कैमरे और पहली बार अपनी तरह के चौबीसों घंटे सक्रिय रहने वाले सोशल मीडिया कमांड सेंटर का उपयोग कम दृश्यता के दौरान संचालन का प्रबंधन करने के लिए किया जा रहा है।
कोटपा में संशोधन से बीड़ी कारोबार पर संकट गहराने के आसार
मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड और महाकौशल इलाके के बड़े हिस्से में रोजगार का साधन बीड़ी निर्माण रहा है, मगर अब इस कारोबार पर संकट के बादल गहराने लगे हैं, ऐसा इसलिए क्योंकि सिगरेट एंड अंडर टोबेको प्रोडक्ट एक्ट (कोटपा) 2003 में अभी हाल में संशोधन कर नई नियमावली जारी की है। यह संशोधन फरवरी 2021 से लागू होने वाले हैं और इससे बीड़ी कारोबार से जुड़े लोगों में चिंता बढ़ी हुई है। सागर और जबलपुर में बनने वाली बीड़ी किसी दौर में पूरी देश में पहचान रखती थी, यह लगभग दो सौ साल पुराना कारोबार है, मगर धीरे-धीरे यह उद्योग सरकारी रोक-टोक के चलते कमजोर होता गया। उसी के चलते इस कारोबार ने पश्चिम बंगाल और दक्षिण भारत में अपनी गहरी पैठ बना ली।
सागर और जबलपुर क्षेत्र में बीड़ी ग्रामीण कुटीर उद्योग के तौर पर लोगों की आर्थिक समृद्धि और रोजगार का बड़ा कारण रहा है। इस कारोबार से यहां के लगभग आठ लाख लोग जुड़े हुए हैं, इतना ही नहीं आदिवासी वर्ग तेंदूपत्ता संग्रह करके अपने परिवार का जीवन यापन करता है। यह ऐसा उद्योग है, जिसमें न तो पानी की जरूरत होती है और न ही बिजली की। इसके बावजूद इस उद्योग को सिगरेट जैसे उद्योगों के समानांतर मानते हुए मशीन निर्मित उत्पादों के नियम थोपे जा रहे हैं, जिससे इस उद्योग पर गहरा खतरा मंडराने की संभावना है।
(आईएएनएस के इनपुट के साथ)
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia