अर्थ जगत की 5 बड़ी खबरें: 20 हजार करोड़ का टैक्स केस हारी मोदी सरकार और CAG का केंद्र पर नियमों के उल्लंघन का आरोप
टेलीकॉम कंपनी वोडाफोन ने 20,000 करोड़ के टैक्स विवाद मामले में भारत सरकार को हराकर अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता का केस जीत लिया है और नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने बताया कि केंद्र ने कानून तोड़ते हुए राज्यों को देने की बजाए GST क्षतिपूर्ति फंड को अन्य कामों में लगाया।
वोडाफोन ने मोदी सरकार के खिलाफ 20,000 करोड़ का टैक्स केस जीता
टेलीकॉम कंपनी वोडाफोन ने 20,000 करोड़ के टैक्स विवाद मामले में भारत सरकार को हराकर अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता का केस जीत लिया है। द हॉग कोर्ट ने शुक्रवार को भारत सरकार के खिलाफ सुनाए गए फैसले में कहा कि भारतीय टैक्स डिपार्टमेंट ने 'निष्पक्ष और बराबरी' से काम नहीं किया है। कंपनी की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि, उसे इंटरनेशनल कोर्ट में 12,000 करोड़ बकाए और 7,900 करोड़ जुर्माने वाले एक अहम केस में भारत सरकार के खिलाफ जीत मिली है।
भारत सरकार और वोडाफोन के बीच 20,000 करोड़ रुपए के रेट्रोस्पेक्टिव (पूर्व प्रभावी) टैक्स को लेकर काफी समय से विवाद चल रहा था। वोडाफोन और सरकार के बीच कोई सहमति ना बन पाने के कारण 2016 में कंपनी ने इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस का रूख किया था। वोडाफोन की अपील के बाद मामले की सुनवाई के लिए जज सर फ्रैंकलिन की अध्यक्षता में 2016 में एक ट्रिब्यूनल का गठन किया गया था। जिस पर शुक्रवार को फैसला आया।
केंद्र ने राज्यों को देने की बजाए अन्य कामों में लगाया GST क्षतिपूर्ति फंड: CAG
भारत के अटॉर्नी जनरल की राय का हवाला देते हुए, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले हफ्ते संसद को बताया कि कन्सॉलिडेटेड फंड ऑफ इंडिया से GST राजस्व के नुकसान के लिए राज्यों को क्षतिपूर्ति करने के लिए कानून में कोई प्रावधान नहीं है। हालांकि, नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने पाया कि सरकार ने खुद इस नियम का उल्लंघन कर साल 2017-18 और 2018-19 में सीएफआई में जीएसटी क्षतिपूर्ति सेस के 47,272 करोड़ रुपए को बरकरार रखा और इस रकम का इस्तेमाल दूसरे कामों के लिए किया।
जिसके चलते उस समय राजकोषिय घाटा कम हुआ और राजस्व प्राप्ति बढ़ी। कैग ने कहा कि स्टेटमेंट 8, 9 और 13 के ऑडिट परीक्षण की जानकारी के बाद पता चला है कि जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर कलेक्शन बताए गए समय अंतराल में कम फंड क्रेडिट हुआ। आसान भाषा में कहें तो वित्त वर्ष 2017-18 और 2018-19 के लिए 47,272 करोड़ रुपए कम फंड क्रेडिट हुआ था। यह शार्ट-क्रेडिट जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर अधिनियम, 2017 का उल्लंघन था। बता दें कि कैग ने मानसून सत्र के अंतिम दिन बुधवार को संसद में पेश किए गए केंद्र सरकार के खातों पर अपनी रिपोर्ट में यह जानकारी दी।
सेंसेक्स 835 अंक उछला, 11000 के ऊपर बंद हुआ निफ्टी
घरेलू शेयर बाजार में शुक्रवार को जोरदार लिवाली आने से लगातार छह सत्रों की गिरावट पर ब्रेक लगा। सेंसेक्स 835 अंकों की जबरदस्त तेजी के साथ 37,389 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी करीब 245 अंक चढ़कर 11,050.25 पर बंद हुआ। दोनों प्रमुख सूचकांकों में दो फीसदी से ज्यादा की बढ़त दर्ज की गई। बिहार विधानसभा चुनाव की घोषणा के बाद घरेलू शेयर बाजार में जबरदस्त तेजी आई। आईटी, टेलीकॉम और ऑटो सेक्टरों के शेयरों में जोरदार लिवाली रही।
सेंसेक्स पिछले सत्र से 835.06 अंकों यानी 2.28 फीसदी की तेजी के साथ 37,388.66 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी बीते सत्र से 244.70 अंकों यानी 2.26 फीसदी की तेजी के साथ 11,050.25 पर बंद हुआ। बंबई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) के 30 शेयरों पर आधारित प्रमुख संवेदी सूचकांक सेंसेक्स पिछले सत्र से 438.29 अंकों की तेजी के साथ 36,991.89 पर खुला और 37,471.17 तक उछला, जबकि दिनभर के कारोबार के दौरान सेंसेक्स का निचला स्तर 36,730.52 रहा। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के 50 शेयरों पर आधारित प्रमुख संवेदी सूचकांक निफ्टी बीते सत्र से 104.85 अंकों की तेजी के साथ 10,910.40 पर खुला और 11,072.60 तक उछला, जबकि दिनभर कारोबार के दौरान निफ्टी का निचला स्तर 10,854.85 रहा।
दो दिन बाद फिर सस्ता हुआ डीजल, पेट्रोल के दाम स्थिर
डीजल के दाम में दो दिनों की स्थिरता के बाद शुक्रवार को फिर कटौती से उपभोक्ताओं को राहत मिली है जबकि पेट्रोल के दाम में भी कोई बदलाव नहीं हुआ। डीजल दिल्ली और कोलकाता में 18 पैसे, मुंबई में 20 पैसे जबकि चेन्नई में 17 पैसे प्रति लीटर सस्ता हो गया है। इंडियन ऑयल की वेबसाइट के अनुसार, दिल्ली, कोलकाता, मुंबई और चेन्नई में डीजल का भाव बिना कोई बदलाव के क्रमशरू 71.10 रुपये, 74.62 रुपये, 77.53 रुपये और 76.55 रुपये प्रति लीटर पर बना हुआ है। चारों महानगरों में पेट्रोल का दाम भी क्रमश: 81.06 रुपये, 82.59 रुपये, 87.74 रुपये और 84.14 रुपये प्रति लीटर पर स्थिर बना हुआ है।
सरकार ने दिवालिया कानून में दी 3 महीने की राहत
सरकार ने दिवालिया एवं ऋणशोधन अक्षमता कानून (आईबीसी) के प्रावधानों को और तीन महीने के लिए निलंबित कर दिया है। कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय ने इस बारे में एक अधिसूचना जारी की है। इसमें कहा गया है कि आईबीसी की धारा 7, 9 और 10 के प्रावधानों के क्रियान्वयन पर लगी रोक को 25 सितंबर से और तीन महीने के लिए बढ़ा दिया गया है। वित्त मंत्री ने कहा कि आईबीसी की धारा 10 ए के तहत दी गई शक्तियों का प्रयोग करते हुए आईबीसी की धारा 7, 9 और 10 पर और तीन महीने के लिए रोक लगा दी गई है। यह बिजनस के बचाने की सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। साथ ही इससे कंपनियों को वित्तीय संकट से बाहर निकलने का मौका मिलेगा।'
(आईएएनएस के इनपुट के साथ)
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