क्रिप्टो करेंसी पर ‘सुप्रीम’ फैसला, लेन-देन पर लगी रोक हटी, जानें क्या है ये करेंसी
क्रिप्टो करेंसी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है। कोर्ट ने क्रिप्टोकरेंसी की डीलिंग पर आरबीआईद्वारा लगाए गए प्रतिबंध को खत्म कर दिया है। बता दें कि अप्रैल 2018 में रिजर्व बैंक ने क्रिप्टो करेंसी के खिलाफ सख्त कदम उठाते हुए इसे प्रतिबंधित कर दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने क्रिप्टो करेंसी पर आरबीआई के बैन को हटा दिया है। सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले के बाद वर्चुअल करेंसी जैसे बिटक्वाइन में ट्रेडिंग की जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने इस मामले में फैसला सुनाया। इस बेंच में जस्टिस रोहिंगटन फली नरीमन, जस्टिस आर रवींद्र भट्ट, जस्टिस वी सुब्रह्मण्यन शामिल रहे। बता दें कि अप्रैल 2018 में रिजर्व बैंक ने क्रिप्टो करेंसी के खिलाफ सख्त कदम उठाते हुए इसे प्रतिबंधित कर दिया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब यह प्रतिबंध हट गया है।
इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आईएएमएआई) और क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज ने आरबीआई के सर्कुलर के खिलाफ 2018 में सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। इस सर्कुलर में आरबीआई ने कहा था कि रेगुलेशन के दायरे में आने वाले संस्थान क्रिप्टोकरेंसी में किसी भी तरह का कारोबार न करें, न ही इससे जुड़ी कोई सेवा दें। आईएएमएआई ने कहा था, आरबीआई ने इस सर्कुलर के जरिए वर्चुअल करेंसी में कामकाज पर ही रोक लगा दी।
बता दें कि रिजर्व बैंक के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली हाईकोर्ट में 5 याचिकाएं दायर की गई थीं। सुप्रीम कोर्ट ने पहले इन सभी याचिकाओं को एक साथ जोड़कर 20 जुलाई 2019 को सुनवाई करने का आदेश दिया था।
क्या है क्रिप्टो करेंसी?
दरअसल क्रिप्टो करेंसी एक ऐसी मुद्रा है जिसे डिजिटल माध्यम के रूप में निजी तौर पर जारी किया जाता है। यह क्रिप्टोग्राफी और ब्लॉकचेन जैसी डिस्ट्रीब्यूटर लेजर टेक्नोलॉजी (डीएलटी) के आधार पर काम करती है। सरल शब्दों में कहें तो ब्लॉकचेन एक ऐसा बहीखाता है जिसमें लेनदेन को ब्लॉक्स के रूप में दर्ज किया जाता है और क्रिप्टोग्राफी का इस्तेमाल कर उन्हें लिंक कर दिया जाता है। क्रिप्टोग्राफी सूचनाओं को सहेजने और भेजने का ऐसा सुरक्षित तरीका है जिसमें कोड का इस्तेमाल किया जाता है और सिर्फ वही व्यक्ति उस सूचना को पढ़ सकता है जिसके लिए वह भेजी गई है। इसको खरीदने और बेचने के लिए किसी बैंक में जाने या किसी संस्था में जाने की जरुरत नहीं पड़ती है। इसके प्रयोग से बड़ी आसानी से पैसों को छुपाया जा सकता है।
सबसे पहले क्रिप्टो करेंसी की शुरुआत 2009 में हुई थी जो बिटकॉइन थी। इसको जापान के सतोषी नाकमोतो नाम के एक इंजीनियर ने बनाया था। शुरुआत में यह उतनी प्रचलित नहीं थी, लेकिन रे-धीरे इसके रेट आसमान छूने लगे, जिससे यह सफल हो गई। बिटकॉइन के अलावा भी अन्य क्रिप्टो करेंसी बाजार में उपलब्ध हैं जिनका प्रयोग आजकल अधिक हो रहा है, जैसे- रेड कॉइन, सिया कॉइन, सिस्कोइन, वॉइस कॉइन और मोनरो।
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Published: 04 Mar 2020, 12:13 PM