आरबीआई ने दी आम लोगों को राहत, लगातार चौथी बार रेपो रेट में की कटौती, सस्ती होगी आपकी ईएमआई!
आरबीआई ने आम लोगों को राहत देते हुए रेपो रेट में 35 बेसिस प्वाइंट कटौती का फैसला लिया गया है। केंद्रीय बैंक के इस फैसले के बाद बैंकों पर ब्याज दर कम करने का दबाव बढ़ेगा। वहीं केद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी के अनुमान को 7 फीसदी से घटाकर 6.9 फीसदी कर दिया है।
भारतीय रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में 0.35 फीसदी की कटौती कर दी है। इस तरह आरबीआई ने लगातार चौथी बार रेपो रेट को कम किया है। आरबीआई के इस फैसले के साथ ही रेपो रेट अब 5.75 फीसदी से घटकर 5.40 फीसदी पर आ गई है। इस बदलाव से अब होम लोन सहित दूसरे लोन के सस्ते होने की उम्मीद बढ़ गई है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में हुई मौद्रिक नीति बैठक में यह फैसला लिया गया है।
आरबीआई ने पॉलिसी में रिवर्स रेपो रेट में भी बदलाव किया है। रिवर्स रेपो रेट 0.35 फीसदी घटाकर 5.15 फीसदी कर दिया गया है। हालांकि, सीआरआर में कोई बदलाव नहीं किया गया है। सीआरआर को 4 फीसदी पर बरकरार रखा गया है। इससे पहले आरबीआई ने तीन बार फरवरी, अप्रैल और जून पॉलिसी में भी रेपो रेट को 0.25-0.25 फीसदी घटा चुका है। शक्तिकांता दास के गवर्नर बनने के बाद यह लगातार चौथी कटौती है।
दूसरी ओर रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी का अनुमान 7 फीसदी से घटाकर 6.9 फीसदी किया है।
आरबीआई के इस फैसले का फायदा उन लोगों को मिलेगा जिनकी होम या ऑटो लोन की ईएमआई चल रही है। दरअसल, आरबीआई के रेपो रेट कटौती के बाद बैंकों पर ब्याज दर कम करने का दबाव बनेगा।
क्या होता है रेपो रेट?
रेपो रेट वह दर होती है, जिस पर आरबीआई बैंकों को कर्ज देता है। दरअसल जब भी बैंकों के पास फंड की कमी होती है, तो वे इसकी भरपाई करने के लिए केंद्रीय बैंक यानी आरबीआई से पैसे लेते हैं। आरबीआई की तरफ से दिया जाने वाला यह लोन एक फिक्स्ड रेट पर मिलता है। यही रेट रेपो रेट कहलाता है।
क्या होता है रिवर्स रेपो रेट
जिस रेट पर बैंकों को उनकी ओर से आरबीआई में जमा धन पर ब्याज मिलता है, उसे रिवर्स रेपो रेट कहते हैं। रिवर्स रेपो रेट बाजारों में नकदी को नियंत्रित करने में काम आती है। बहुत ज्यादा नकदी होने पर आरबीआई रिवर्स रेपो रेट बढ़ा देती है।
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Published: 07 Aug 2019, 12:36 PM