आईएलएंडएफएस की इस ‘सीक्रेट सोसाइटी’ के शह पर हुई धोखाधड़ी, होगी कानूनी कार्रवाई
एसएफआईओ ने सिफारिश की है कि कंपनी के निदेशकों और स्वतंत्र निवेशकों के खिलाफ कारवाई की जाए, जिसमें निदेशक मंडल के शाहजाद दलाल, एस. एस. कोहली, मनु कोचर, रेनु चाल्ला, उदय वेद, नीरा सागी और मुख्य कार्यकारी अधिकारी दीपक पारेख का नाम शामिल है।
आईएलएंडएफएस के स्वतंत्र निवेशकों द्वारा निभाई गई संदिग्ध और अत्यधिक विवादास्पद भूमिका का उल्लेख एसएफआईओ के नवीनतम आरोप पत्र में भी है, जिसकी जानकारी पिछले हफ्ते आईएएनएस ने भी दी थी।
एसएफआईओ ने सिफारिश की है कि कंपनी के निदेशकों और स्वतंत्र निवेशकों के खिलाफ कारवाई की जाए, जिसमें निदेशक मंडल के शाहजाद दलाल, एस. एस. कोहली, मनु कोचर, रेनु चाल्ला, उदय वेद, नीरा सागी और मुख्य कार्यकारी अधिकारी दीपक पारेख का नाम शामिल है। सिफारिश में कहा गया है कि निदेशक मंडल की जानकारी में भी ये अनियमितताएं थीं।
अभियोजन पक्ष ने कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 447 और भारतीय दंड संहिता की धारा 417 और 420 के अलावा धारा 120बी के तहत कार्रवाई की सिफारिश की है। जब यह बुलबुला फटा तो आईएलएंडएफएस का निदेशक मंडल उसे देखने में नाकाम रहा और कंपनी रेत के महल की तरह ढह गई।
रिपोर्ट में कहा गया है कि यह खुलासा होता है कि समूह की कंपनियों को समूह की कंपनियों की फंडिंग जारी रखने और उन्हें डिफाल्ट होने से रोकने के लिए मंडली (आरोपी 2 से 9) - रवि पार्थसारथी, हरि संकरन, वैभव कपूर, के. रामचंद्र, रमेश बावा, मिलिंद पटेल और राजेश कतीना समूह की आईएफआईएन (आईएलएंडएफएस फाइनेंशियल सर्विसेज लि.) के सीएफओ, समूह के सीएफओ के सीईओ (आरोपी 17 से आरोपी 19-23) और स्वतंत्र निवेशकों और निवेशकों के साथ मिलकर आरबीआई के कर्ज देने के नियमों का उल्लंघन करते हुए धोखाधड़ी की।
इससे आईएफआईएन और उसके शेयरधारकों को नुकसान हुआ, जिसमें निवेशक और कर्जदाता भी शामिल हैं, जिनके धन का धोखाधड़ी से कर्ज बांटने के लिए दुरुपयोग किया गया, जिसके कारण अंतत: कंपनी और उसके कर्जदारों को काफी नुकसान हुआ।
जांच से आगे खुलासा होता है कि ऑडिट समिति के सदस्यों (आरोपी 15, 16, 4) - एस. एस. कोहली, शुभलक्ष्मी पाने और अरुण साहा और स्वतंत्र निवेशकों, निवेशकों, आईएफआईएन के सीएफओ और आईएलएंडएफएस समूह के सीएफओ को तनावग्रस्त परिसंपत्तियों की अच्छी तरह जानकारी दी और उन्होंने कंपनी के हितों के खिलाफ निजी फायदे के लिए काम किया और मनमाने ढंग से कर्ज बांटे जिससे कंपनी संकट में आ गई और उबर नहीं सकी।
जांच से खुलासा होता है कि धोखाधड़ी वाले लेनदेन आरबीआई के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन कर किए गए। आरबीआई ने अपनी सालाना जांच रिपोर्टो में नेट स्वामित्व वाले फंड (एनओएफ) और पूंजी पर जोखिम-भारित संपत्ति अनुपात (सीआरएआर) के प्रतिकूल प्रभाव पर ध्यान दिया, जो एनबीएफसी को चलाने के लिए महत्वपूर्ण पैरामीटर हैं।
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