‘जीवन के बाद भी’ कैसे साथ देगी LIC, मोदी शासन में पीएसयू में लगाए 10.7 लाख करोड़, कई कंपनियां घाटे में
एक रिपोर्ट के मुताबिक, बीते 5 सालों में एलआईसी का सार्वजिक क्षेत्र की कंपनियों में निवेश में बढ़ोतरी हुई है और आंकड़ों की माने तो यह दोगुना हो चुका है। वहीं निजी क्षेत्र की कंपनियों की बात करे तो इन कंपनियों में एलआईसी ने अपना निवेश 70 प्रतिशत तक बढ़ाया है।
देश में अर्थव्यवस्था की हालात खस्ता है। आर्थिक मंदी को लेकर मोदी सरकार चौतरफा घिरी हुई है। विपक्ष भी बिगड़ी अर्थव्यवस्था को लेकर मोदी सरकार को घेर रही है। इस बीच आरबीआई ने कई आंकड़े सामने आए हैं, जो मोदी सरकार को परेशान करने वाली है। आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, लाइफ इंश्योरेंस कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एलआईसी) ने मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों, सरकारी बैंकों में करीब 10.7 लाख करोड़ रुपए निवेश किए हैं।
एलआईसी देश के सबसे बड़े संस्थागत निवेशकों में शुमार है, रिजर्व बैंक के बाद एलआईसी सबसे ज्यादा मुनाफा कमाने वाली सरकारी कंपनी है। लेकिन मोदी सरकार में एलआईसी का इस्तेमाल दुधारु गाय की तरह होता है। खबर आई है कि पिछले ढाई महीने में ही एलआईसी को शेयर बाजार में निवेश से 57,000 करोड़ रुपये की चपत लग चुकी है। एलआईसी ने जिन कंपनियों में निवेश किया है कि उनमें से 81 फीसदी के बाजार मूल्य में गिरावट आई है। मोदी सरकार में पब्लिक सेक्टर की सरकारी कंपनियों की हालत खस्ता है, लेकिन अब तो निजी क्षेत्र की हालात भी खराब है।
आंकड़ों की माने तो वित्तीय वर्ष 2014-15 और वित्तीय वर्ष 2018-19 के दौरान एलआईसी ने पैसों को निवेश किया है। ये आंकड़े और भी चौंकाने वाले हैं। एलआईसी की स्थापना 1956 में हुई थी। एलआईसी अपने अस्तिव में आने के बाद से 2013 तक कंपनी ने सरकारी क्षेत्र की कंपनियों में 11.9 लाख करोड़ रुपए लगाए थे, लेकिन जब पीएम मोदी की सरकार आई तो बीते 5 सालों के दौरान एलआईसी ने 90 प्रतिशत हिस्सा सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में निवेश किया है। ये रकम अब 22.6 लाख करोड़ रुपए हो गया है।
आरबीआई के आंकडों के अनुसार, मोदी सरकार की तुलना में यूपीए 2 में एलआईसी ने सार्वजनिक क्षेत्र में 6.2 लाख करोड़ रुपए तक का निवेश किया था। जो अब मोदी सरकार के कार्यकाल में बढ़कर 10.7 लाख करोड़ हो गया है। वहीं मार्च 2019 तक की बात करे तो आंकड़ों के अनुसार, एलआईसी ने अपना 99 प्रतिशत निवेश स्टॉक एक्सचेंज सिक्योरिटीज में किया है।
द प्रिंट की एक रिपोर्ट के अनुसार, 5 सालों में एलआईसी का सार्वजिक क्षेत्र की कंपनियों में निवेश में बढ़ोतरी हुई है और आंकड़ों की माने तो यह दोगुना हो चुका है। वहीं निजी क्षेत्र की कंपनियों की बात करे तो इन कंपनियों में एलआईसी ने अपना निवेश 70 प्रतिशत तक बढ़ाया है। जो एलआईसी को इतनी वित्तीय मजबूती के साथ सरकार द्वारा संचालित टॉप कंपनी बनाती है।
आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, साल 2014 से साल 2019 के बीच 5 सालों के दौरान लाइफ इंश्योरेंस कंपनी का निजी क्षेत्र में निवेश 21 प्रतिशत से घटकर 15 प्रतिशत पर आ गया है। वहीं इस दौरान एलआईसी का सरकारी क्षेत्र की कंपनियों में निवेश 79 प्रतिशत से बढ़कर 85 प्रतिशत हो गया है।
गौरतलब है कि एलआईसी में देश की अधिकांश जनता की जमा-पूंजी है और वह प्रतिवर्ष अपनी बचत से हजारों-लाखों रुपये निकालकर एलआईसी की पॉलिसी में डालता है। इस पैसे के सहारे उसका और उसके परिवार का भविष्य सुरक्षित रहता है। एलआईसी से ऐसी कई कंपनियों में निवेश करवाया गया है, जो दिवालिया होने की कगार पर हैं। ऐसी कई कंपनियों की याचिका राष्ट्रीय कंपनी कानून ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) द्वारा दिवालियापन की प्रक्रिया (आईबीसी) के तहत स्वीकार कर ली गयी हैं, इस सूची में आलोक इंडस्ट्रीज,एबीजी शिपयार्ड, अम्टेक ऑटो, मंधाना इंडस्ट्रीज, जेपी इंफ्राटेक, ज्योति स्ट्रक्चर्स, रेनबो पेपर्स और ऑर्किड फार्मा जैसे नाम शामिल हैं।
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia
Published: 18 Sep 2019, 7:03 PM