हिंडनबर्ग ने किया नया खुलासा! कहा- SEBI चीफ माधवी बुच के पास अडाणी घोटाले के अस्पष्ट ऑफशोर फंड में थी हिस्सेदारी
अमेरिकी शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च ने कहा कि सेबी की वर्तमान प्रमुख माधवी बुच और उनके पति के पास अदाणी धन हेराफेरी घोटाले में इस्तेमाल किए गए दोनों अस्पष्ट ऑफशोर फंड में हिस्सेदारी थी।
अमेरिकी शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च ने ताजा खुलासा करते हुए बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) की प्रमुख माधवी बुच पर गभीर आरोल लगाए हैं। हिंडनबर्ग ने आरोप लगाया कि सेबी की अध्यक्ष बुच और उनके पति के पास कथित अदाणी धन हेराफेरी घोटाले में इस्तेमाल किए गए अस्पष्ट ऑफशोर फंड में हिस्सेदारी थी।
हिंडनबर्ग ने अदाणी पर अपनी पिछली रिपोर्ट के 18 महीने बाद एक ब्लॉगपोस्ट में आरोप लगाया, “सेबी ने अदाणी के मॉरीशस और ऑफशोर शेल संस्थाओं के कथित अघोषित जाल में आश्चर्यजनक रूप से रुचि नहीं दिखाई है।”
खुलासे में व्हिसलब्लोअर दस्तावेजों का हवाला
शॉर्ट-सेलर ने (मामले से पर्दा उठाने वाले) “व्हिसलब्लोअर दस्तावेजों” का हवाला देते हुए कहा, “सेबी की वर्तमान प्रमुख माधवी बुच और उनके पति के पास अदाणी धन हेराफेरी घोटाले में इस्तेमाल किए गए दोनों अस्पष्ट ऑफशोर फंड में हिस्सेदारी थी।”
कथित तौर पर समूह के चेयरमैन गौतम अदाणी के बड़े भाई विनोद अदाणी अस्पष्ट ऑफशोर बरमूडा और मॉरीशस फंडों को नियंत्रित करते थे। हिंडनबर्ग का आरोप है कि इन फंडों का इस्तेमाल धन की हेराफेरी करने और समूह के शेयरों की कीमत बढ़ाने के लिए किया गया था।
हिंडनबर्ग ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा, “आईआईएफएल में एक प्रधान के हस्ताक्षर वाले फंड की घोषणा में कहा गया है कि निवेश का स्रोत ‘वेतन’ है और दंपति की कुल संपत्ति एक करोड़ अमेरिकी डॉलर आंकी गई है।”
रिपोर्ट में आगे आरोप लगाया गया है, “दस्तावेजों से पता चलता है कि हजारों मुख्यधारा के प्रतिष्ठित भारतीय म्यूचुअल फंड उत्पादों के होने के बावजूद, एक उद्योग जिसका अब वह विनियमन करने के लिए जिम्मेदार है, सेबी की चेयरपर्सन माधवी बुच और उनके पति के पास अल्प परिसंपत्तियों के साथ एक बहुस्तरीय ऑफशोर फंड संरचना में हिस्सेदारी थी।”
ऐसे फंड जो विदेशी बाजारों में निवेश करते हैं, उन्हें ऑफशोर फंड कहते हैं। इन्हें विदेशी या अंतरराष्ट्रीय फंड भी कहते हैं। हिंडनबर्ग ने कहा कि इनकी परिसंपत्तियां ज्ञात उच्च जोखिम वाले अधिकार क्षेत्र से होकर गुजरती थीं, जिसकी देखरेख घोटाले से कथित तौर पर जुड़ी एक कंपनी करती थी। यह वही इकाई है, जिसे अदाणी के निदेशक चलाते थे और जिसका विनोद अदाणी द्वारा कथित अदाणी नकदी हेरफेर घोटाले में महत्वपूर्ण रूप से उपयोग किया गया था।
रिपोर्ट में उच्चतम न्यायाल के आदेश का हवाला भी दिया, जिसमें यह कहा गया था कि सेबी इस बात की जांच में खाली हाथ रहा कि अदाणी के कथित ऑफशोर शेयरधारकों को किसने वित्तपोषित किया। हिंडनबर्ग ने कहा, “अगर सेबी वास्तव में ऑफशोर फंड धारकों को ढूंढना चाहता था, तो शायद सेबी चेयरपर्सन आईने में देखकर शुरुआत कर सकती थीं।”
इसमें आगे कहा गया, “हमें यह आश्चर्यजनक नहीं लगता कि सेबी उस निशान का पीछा नहीं करना चाहता था, जो उसके अपने प्रमुख तक जाता था।”
हिंडनबर्ग ने कहा, “मौजूदा सेबी चेयरपर्सन और उनके पति धवल बुच ने उसी अस्पष्ट अपतटीय बरमूडा और मॉरीशस फंड में अपनी हिस्सेदारी छिपाई, जो विनोद अदाणी द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले एक ही जटिल ढांचे में पाए गए थे।”
रिपोर्ट के मुताबिक एक ‘व्हिसलब्लोअर’ से प्राप्त दस्तावेजों से पता चलता है कि 22 मार्च, 2017 को माधवी बुच को सेबी चेयरपर्सन नियुक्त किए जाने से कुछ ही हफ्ते पहले धवल बुच ने मॉरीशस फंड प्रशासक ट्राइडेंट ट्रस्ट को ईमेल लिखा था। यह ईमेल ग्लोबल डायनेमिक ऑपर्च्युनिटीज फंड (जीडीओएफ) में उनके और उनकी पत्नी के निवेश के बारे में था।
आरोपों पर सेबी चीफ ने दी सफाई
हिंडनबर्ग द्वारा लगाए गए सभी आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए सेबी की चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच ने रविवार सुबह जारी एक बयान में कहा कि 10 अगस्त को आई हिंडनबर्ग रिपोर्ट में लगाए गए आरोप आधारहीन हैं और इनमें किसी भी तरह की कोई सच्चाई नहीं है। हमारा जीवन और फाइनेंस खुली किताब की तरह है। हमें जो भी खुलासे करने की जरूरत थी, वो सारी जानकारियां बीते सालों में सेबी को दी गई हैं।
माधवी पुरी बुच ने आगे कहा कि हमें किसी भी फाइनेंशियल डॉक्युमेंट का खुलासा करने में कोई हिचकिचाहट नहीं है, जिसमें वो दस्तावेज भी शामिल हैं, जो उस अवधि से संबंधित हैं जब हम पूरी तरह से आम नागरिक थे। इन्हें कोई भी अधिकारी मांग सकता है। आगे उन्होंने कहा कि उन्होंने कहा कि हम पूर्ण पारदर्शिता के साथ नियत समय में एक विस्तृत बयान जारी करेंगे।
इससे पहले भी हिंडनबर्ग ने किया था खुलासा
इससे पहले जनवरी के महीने में हिंडनबर्ग रिसर्च ने आरोप लगाया था कि अदाणी समूह ‘खुल्लम-खुल्ला शेयरों में गड़बड़ी और लेखा धोखाधड़ी’ में शामिल रहा है। हालांकि, समूह ने इस आरोप को पूरी तरह से बेबुनियाद बताया था। उसने कहा कि यह कुछ और नहीं बल्कि उसकी शेयर बिक्री को नुकसान पहुंचाने के गलत इरादे से किया गया है।
उस समय अदाणी समूह की प्रमुख कंपनी अदाणी एंटरप्राइजेज 20,000 करोड़ रुपये का अनुवर्ती सार्वजनिक निर्गम (एफपीओ) लाने की तैयारी कर रही थी। बंदरगाह से लेकर ऊर्जा क्षेत्र में काम कर रहे समूह ने कहा था, ‘‘रिपोर्ट कुछ और नहीं बल्कि चुनिंदा गलत और निराधार सूचनाओं को लेकर तैयार की गयी है और जिसका मकसद पूरी तरीके से दुर्भावनापूर्ण है। जिन बातों के आधार पर रिपोर्ट तैयार की गयी है, उसे भारत की अदालतें भी खारिज कर चुकी हैं।’’
रिपोर्ट के बाद अदाणी समूह के शेयर लुढ़क गये थे, हालांकि बाद में यह नुकसान से उबरने में कामयाब रहा।
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia