सरकार ने क्रेडिट कार्ड को लेकर बदले नियम, विदेश में पेमेंट पर लगेगा 20% टैक्स, जानिए क्या हैं इसके मायने

मोदी सरकार ने इस साल के बजट टीसीएस पर भारी बढ़ोतरी का फैसला किया था। सरकार ने विदेशी टूर पैकेज और एलआरएस (शिक्षा और मेडिकल खर्चों को छोड़कर) के तहत रेमिटेंस पैसे पर टीसीएस की दरों को मौजूदा 5% से बढ़ाकर 20% कर दिया।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

विदेश में क्रेडिट कार्ड से उसका पेमेंट करना अब महंगा हो जाएगा। दरअसल मोदी सरकार क्रेडिट कार्ड से विदेशों में किए गए खर्चों को आरबीआई की लिबराइज्ड रेमिटेंस स्कीम (एलआरएस) में डाल दिया है। इसका मतलब यह है कि अगर आप देश के बाहर (विदेशों में) क्रेडिट कार्ड के इस्तेमाल करते हैं तो 20 प्रतिशत टैक्स भरना पड़ेगा। ये नियम 1 जुलाई 2023 से लागू हो जाएगा।

1 जुलाई से क्या बदल जाएगा

वित्त मंत्रालय ने 16 मई को फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट (चालू खाता लेनदेन) (संशोधन) नियम, 2023 को नोटिफाई किया था। इस नए नियम की वजह से विदेश में क्रेडिट कार्ट का इस्तेमाल एलआरएस के दायरे में आ गया है। इसके पहले विदेशों में इंटरनेशनल क्रेडिट कार्ड के जरिए किए गए पेमेंट्स को एलआरएस लिमिट में शामिल नहीं किया गया था। इतना ही नहीं अब कोई भी विदेशी रेमिटेंस, जिसकी वैल्यू 2.5 लाख डॉलर से ज्यादा होगी (करीब 2 करोड़ रुपये) तो उसके लिए रिजर्व बैंक की मंजूरी लेनी पड़ेगी।


नोटिफिकेशन में बताया गया है कि वित्त मंत्रालय ने यह फैसला रिजर्व बैंक से सलाह मशवरा के बाद लिया है। फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट (चालू खाता लेनदेन) नियम, 2000 के नियम 7 को हटा दिया है, इस तरह एलआरएस के तहत इंटरनेशनल क्रेडिट कार्ड के जरिए विदेशों में किए गए खर्चों को इसमें शामिल कर लिया गया है।

मोदी सरकार ने अपने इस साल के बजट टीसीएस पर भारी बढ़ोतरी का फैसला किया था। सरकार ने विदेशी टूर पैकेज और एलआरएस (शिक्षा और मेडिकल खर्चों को छोड़कर) के तहत रेमिटेंस पैसे पर टीसीएस की दरों को मौजूदा 5% से बढ़ाकर 20% कर दिया। नई टैक्स दरें 1 जुलाई, 2023 से लागू होंगी। अभी जो नियम है, उसके मुताबिक - 7 लाख रुपये से ज्यादा के विदेशी रेमिटेंस पर 5% का टीसीएस लगता है, जबकि विदेशी टूर पैकेज पर बिना किसी लिमिट के 5% का टीसीएस लगता है।


सरकार के इस फैसले का विरोध भी हो रहा है। लोग सोशल मीडिया पर अपनी नाराजगी जाहिर कर रहे हैं।  नाराजगी जाहिर कर रहे हैं। लोग वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से इस फैसले को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि टीसीएस में 5 फीसदी से 20 फीसदी कर देना उचित नहीं है। इससे लोगों की परेशानी बढ़ेगी।

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