लॉकडाउन के बाद भी सूनी पड़ी हैं पुरानी दिल्ली की मशहूर दुकानें, अगला सीजन भी मंदा जाने का भय
24 मार्च से ही देश भर में मसालों, सूखे मेवों, दलहन, अनाज, अचार, मुरब्बों के लिए प्रसिद्ध दिल्ली का खारी बावड़ी बाजार बंद था। 31 मई के बाद यहां ज्यादातर दुकानें खुल गई थीं, लेकिन कुछ दुकानदारों के कोरोना पॉजिटिव होने के बाद बाजार को फिर से बंद करना पड़ा था।
राजधानी दिल्ली में मसालों, मेवों, दालों, अचार, मुरब्बे आदि के लिए मशहूर खारी बावली का बाजार कई दिनों बाद सोमवार को एक बार फिर से खुल गया। हालांकि, यहां कई दुकानदार कोरोना वायरस से ग्रस्त हो चुके हैं, जिसके कारण उनके प्रतिष्ठान अभी भी बंद हैं। खारी बावली से कुछ ही दूरी पर सदर बाजार में भी अब कपड़ों, हार्डवेयर, फुटवेयर, स्टेशनरी, बर्तन, फर्नीचर जैसी सैकड़ों दुकानें खुल गई हैं।
खारी बावली में कई पीढ़ियों से मसालों और खास तौर पर सूखी लाल मिर्च का व्यवसाय कर रहे हरिचंद्र अग्रवाल ने कहा, "खारी बावली में बाहर के व्यापारियों ने आना लगभग बंद कर दिया है। बाजार में गिने-चुने स्थानीय ग्राहक ही मौजूद हैं। पहले दुकान में 8 लोग काम करते थे। अब इनमें से सिर्फ 3 बचे हैं, लेकिन दुकान पर मौजूद इन तीन कर्मचारियों को भी दिनभर खाली ही बैठना पड़ता है।"
खारी बावली के ही एक अन्य व्यापारी सीताराम गुप्ता ने कहा, "पिछले दिनों बड़ी तादाद में खारी बावली के दुकानदार कोरोना की चपेट में आ गए थे, जिसके बाद यहां बाजार बंद कर दिया गया था। अब दुकानें खोलने से पहले हमने अपनी दुकान और आसपास के इलाकों को सैनिटाइज करवाया है। हम एक बार फिर अपना काम धंधा शुरू कर रहें, हालांकि बीमारी का खतरा अगर फिर से बढ़ता है तो हम आगे कुछ और दिनों तक अपना कारोबार बंद रखने को तैयार हैं।"
गौरतलब है कि 24 मार्च से ही देशभर में मसालों, सूखे मेवों, दलहन, अनाज, अचार, मुरब्बों के लिए प्रसिद्ध दिल्ली का खारी बावड़ी बाजार बंद था। 31 मई के बाद यहां ज्यादातर दुकानें खुल गई थीं, लेकिन कुछ दुकानदारों के कोरोना पॉजिटिव होने के बाद बाजार को फिर से बंद करना पड़ा था। यहां की गलियां काफी छोटी और संकरी होने के कारण काफी भीड़ हो जाती है, जिसके कारण सोशल डिस्टेंसिंग का पालन भी सही से संभव नहीं है।
कुछ ऐसा ही हाल सदर बाजार का है। सदर बाजार में पिछले 45 वर्षो से बर्तन का कारोबार कर रहे अशोकी बंसल ने कहा, "हमने पिछले करीब 67 दिन से बंद पड़ी अपनी दुकानों को खोला है। हमारा ज्यादातर माल शादियों के सीजन में बिकता है। हमारा एक सीजन पूरी तरह से पिट चुका है। अक्टूबर-नवंबर में भी धंधा मंदा रहने की आशंका है।"
सदर बाजार के तेलीवाड़ा इलाके में पुश्तैनी दुकान चला रहे हरीश चंद्र के मुताबिक फिलहाल व्यापारी बस दुकान खोलने के लिए बाजारों में आ रहे हैं। उन्होंने कहा, "बाजार में कुछ खरीदार मौजूद हैं, लेकिन इनमें से अधिकांश लोग आवश्यक वस्तुओं की ही खरीदारी कर रहे हैं।"
सबसे ज्यादा असर यहां खाने-पीने की दुकानों पर पड़ा है पुरानी दिल्ली की मशहूर दुकानों में से एक 'लाहौरी' की दुकान प्राचीन मिठाइयों, देसी घी की पिन्नी आदि के लिए मशहूर है। दुकान के मालिक श्याम लाल अरोड़ा ने कहा 50 दिन कारोबार ठप रहने के बाद अब भी कारोबार ठीक से नहीं चल रहा है, लोग खाने पीने की खुली वस्तुएं खरीदने से डरने लगे हैं।
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