अर्थजगतः भारत में शादियों का बाजार अब 130 अरब डॉलर के पार और महंगाई से गांवों के लोग ज्यादा प्रभावित

भारतीय शेयर बाजार के लिए मंगलवार का कारोबारी सत्र काफी शानदार रहा। कारोबारी सत्र के दौरान सेंसेक्स और निफ्टी दोनों ने क्रमश: 78,164 औरो 23,754 का नया ऑल टाइम हाई बनाया।

भारत में शादियों का बाजार अब 130 अरब डॉलर के पार
भारत में शादियों का बाजार अब 130 अरब डॉलर के पार
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नवजीवन डेस्क

भारत में शादियों का बाजार अब 130 अरब डॉलर के पार

भारतीय शादियां हमेशा एक भव्य आयोजन रही हैं और अब, एक भारतीय परिवार समारोहों पर औसतन 12 लाख रुपये (लगभग 14,500 डॉलर) से अधिक खर्च कर रहा है। जो प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद (2,900 डॉलर) का पांच गुना है। एक नई रिपोर्ट से पता चला है कि यह औसत वार्षिक घरेलू आय 4 लाख रुपये से तीन गुना से भी अधिक है। वैश्विक ब्रोकरेज जेफरीज के अनुसार, दुनिया भर में सबसे बड़े विवाह स्थल के रूप में पहचाने जाने वाले देश में हर साल कम से कम 80 लाख से 1 करोड़ शादियां हो रही हैं। वित्त वर्ष 2023-2024 में, भारतीय विवाह बाजार 130 बिलियन डॉलर (लगभग 10 लाख करोड़ रुपये) तक पहुंच गया, जो खाद्य और किराना क्षेत्र खुदरा बाजार के कुल 681 बिलियन डॉलर के बाद दूसरे स्थान पर है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत का शादी पर खर्च से जीडीपी का अनुपात अन्य देशों की तुलना में काफी अधिक है। रिपोर्ट के अनुसार, "भारत में शादियों का गहरा सांस्कृतिक महत्व है और इसमें बड़े पैमाने पर खर्च होता है, जो अक्सर आय के स्तर से अधिक होता है।" रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि वास्तव में, शादी से संबंधित खर्च 130 बिलियन डॉलर का है, जिसमें आभूषण, परिधान, इवेंट मैनेजमेंट, खानपान, मनोरंजन आदि सहित उत्पादों और सेवाओं की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल है। जेफरीज के अनुसार, भारत का विवाह बाज़ार अमेरिका के बाज़ार (70 बिलियन डॉलर) के मुकाबले लगभग दोगुना है, लेकिन चीन का विवाह बाजार (170 बिलियन डॉलर) का है, जिससे भारत का बाजार छोटा है।

भारत में महंगाई से गांवों के लोग ज्यादा प्रभावित

विदेशी ब्रोकरेज कंपनी एचएसबीसी ने मंगलवार को एक रिपोर्ट में कहा कि कोविड महामारी के बाद आर्थिक पुनरुद्धार की दर जिस तरह अलग-अलग थी, उसी तरह भारत में मुद्रास्फीति की स्थिति भी है और इससे कुछ तबके अन्य के मुकाबले ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। एचएसबीसी के अर्थशास्त्रियों ने कहा कि शहरी उपभोक्ताओं के मुकाबले महंगाई से ग्रामीण उपभोक्ता ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। उन्होंने एक रिपोर्ट में कहा, ‘‘जिस तरह अर्थव्यवस्था में ‘के-आकार’ का पुनरुद्धार (यानी कुछ क्षेत्रों में तेजी और कुछ में नरमी) देखने को मिला था, उसी प्रकार की स्थिति मुद्रास्फीति के मामले में दिख रही है।’’

एचएसबीसी के मुख्य अर्थशास्त्री प्रांजल भंडारी ने रिपोर्ट में मौजूदा भीषण गर्मी का हवाला दिया है। यह बताता है कि एक तरफ जहां खाद्य वस्तुओं की महंगाई ऊंची है, वहीं मुख्य (कोर) मुद्रास्फीति में नरमी की स्थिति भी है। इसका कारण फसल को नुकसान और पशुधन मृत्यु दर है। मुख्य मुद्रास्फीति में खाद्य वस्तुओं और ईंधन की कीमतों के प्रभाव को शामिल नहीं किया जाता। रिपोर्ट के अनुसार, सरकार ने ईंधन की कीमतों में कटौती करके मदद का हाथ बढ़ाया है लेकिन आमतौर पर गांवों में पेट्रोल, डीजल और एलपीजी का उपयोग शहरों की तरह नहीं होता। इसके कारण ग्रामीण मुद्रास्फीति शहरी की तुलना में अधिक है।


ऑल टाइम हाई पर बंद हुए सेंसेक्स और निफ्टी, बैंकिंग शेयरों में हुई खरीदारी

भारतीय शेयर बाजार के लिए मंगलवार का कारोबारी सत्र काफी शानदार रहा। कारोबारी सत्र के दौरान सेंसेक्स और निफ्टी दोनों ने क्रमश: 78,164 और 23,754 का नया ऑल टाइम हाई बनाया। कारोबारी सत्र की समाप्ति पर सेंसेक्स 712 अंक या 0.92 प्रतिशत बढ़कर 78,053 और निफ्टी 183 अंक या 0.78 प्रतिशत बढ़कर 23,721 पर बंद हुआ। बाजार की तेजी में सबसे बड़ा योगदान बैंकिंग शेयरों का रहा। निफ्टी बैंक 902 अंक या 1.74 प्रतिशत बढ़कर 52,606 पर बंद हुआ। कारोबारी सत्र में बैंक निफ्टी ने 52,746 अंक का नया ऑल टाइम हाई बनाया।

लार्जकैप की अपेक्षा स्मॉलकैप और मिडकैप शेयरों में सुस्ती रही। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 208 अंक या 0.38 प्रतिशत गिरकर 55,368 और निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 25 अंक या 0.14 प्रतिशत गिरकर 18,242 पर बंद हुआ। सेंसेक्स पैक में एक्सिस बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक, टेक महिंद्रा और एलएंडटी टॉप गेनर्स थे। वहीं, पावर ग्रिड, टाटा स्टील, एशियन पेंट्स, नेस्ले और एनटीपीसी टॉप लूजर्स थे। बाजार के जानकारों का कहना है कि बैंकिंग शेयरों में तेजी के साथ बाजार ऑल टाइम हाई पर बंद हुआ है। सेंसेक्स भी 78,000 के पार पहली बार निकला है। पावर, मेटल, रियल्टी और मिडकैप शेयरों में मुनाफावसूली जारी है।

केंद्र ने शुरू की 96,238 करोड़ रुपये के टेलीकॉम स्पेक्ट्रम की नीलामी

केंद्र सरकार ने मंगलवार को ऐलान किया कि टेलीकॉम सर्विसेज के लिए 96,238.45 करोड़ रुपये के स्पेक्ट्रम की नीलामी शुरू कर दी गई है। संचार मंत्रालय द्वारा कहा गया कि इसमें अलग-अलग बैंड के 10,522.35 मेगाहर्ट्ज के स्पेक्ट्रम की नीलामी की जाएगी। इसका रिजर्व प्राइस 96,238.45 करोड़ रुपये रखा गया है। इस नीलामी में 800 मेगाहर्ट्ज, 900 मेगाहर्ट्ज, 1800 मेगाहर्ट्ज, 2100 मेगाहर्ट्ज, 2300 मेगाहर्ट्ज, 2500 मेगाहर्ट्ज, 3300 मेगाहर्ट्ज और 26 गीगाहर्ट्ज बैंड के लिए बोलियां लगाई जाएंगी। ये नीलामी प्रक्रिया सुबह 10 बजे से शुरू हो गई है। इस नीलामी प्रक्रिया में भारती एयरटेल, वोडाफोन आइडिया और रिलायंस जियो इन्फोकॉम भाग लेंगी। 1800 मेगाहर्ट्ज वाले बैंड का रिजर्व प्राइस 21,752.40 करोड़ रुपये रखा गया है। वहीं, 800 मेगाहर्ट्ज वाले बैंड का रिजर्व प्राइस 21,341.25 करोड़ रुपये रखा गया गया है।

मंत्रालय ने कहा कि यह सरकार की ओर से सभी नागरिकों को किफायती दर पर अच्छी गुणवत्ता की टेलीकॉम सर्विसेज उपलब्ध कराने की प्रतिबद्धता के अनुरूप है। दूरसंचार विभाग की ओर से स्पेक्ट्रम की प्रक्रिया 8 मार्च को शुरू की गई थी। स्पेक्ट्रम 20 वर्ष की अवधि के लिए दिया जाएगा। बोली जीतने वाली कंपनियों को अगले 20 वर्षों में 20 किस्तों में इसका भुगतान करना होगा। हालांकि, इस दौरान कंपनियों को एनपीवी पर 8.65 प्रतिशत का ब्याज देना होगा। मंत्रालय ने कहा कि इस नीलामी में खरीदे गए स्पेक्ट्रम को कंपनी न्यूनतम 10 वर्ष बाद सरेंडर कर सकती है। साथ ही कोई स्पेक्ट्रम यूसेज चार्ज (एसयूसी) कंपनियों से नहीं लिया जाएगा।


ट्राई ने स्पैम कॉल-मैसेज रोकने के लिए टेलीकॉम कंपनियों को दिए निर्देश

मोबाइल फोन पर स्पैम कॉल और मैसेज रोकने के लिए सरकार की ओर से टेलीकॉम सेवा प्रदाताओं को नए निर्देश जारी किए गए हैं। टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (ट्राई) की ओर से टेलीकॉम सेवा प्रदाता कंपनियों को अपने मोबाइल ऐप और वेब पोर्टल को अधिक यूजर फ्रेंडली बनाने को कहा गया है जिससे अनचाही कमर्शियल कम्युनिकेशन (यूसीसी) की आसानी से शिकायत दर्ज कराई जा सके। ट्राई के दिए निर्देश के अनुसार अब टेलीकॉम ऑपरेटरों को अपने मोबाइल एप्लीकेशन और वेबसाइट में यूसीसी की शिकायत दर्ज कराने का विकल्प देना होगा।

ट्राई ने कहा है कि शिकायत दर्ज के लिए जरूरी जानकारी ऑटोमेटिक रूप से भरी जानी चाहिए। अगर यूजर अपने कॉल लॉग और अन्य जरूरी डेटा तक पहुंच की अनुमति देता है। ट्राई ने परफॉरमेंस मॉनिटरिंग रिपोर्ट फॉर्मेट्स (पीएमआरएस) में बदलाव लागू कर दिए हैं। अब सभी मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनियों को मासिक आधार पर पीएमआर जमा कराने होंगे। पहले यह तिमाही आधार पर जमा करना होता था। इस महीने की शुरुआत में ट्राई की ओर से 160 मोबाइल फोन सीरीज को आरबीआई, सेबी, आईआरडीएआई और पीएफआरडीए का विनियमित इकाइयों के लिए सर्विस वॉइस कॉल करने के लिए आवंटित किया गया था, जिससे फ्रॉड करने वालों से नागरिकों को बचाया जा सके। जैसे ही यह 160 मोबाइल फोन नंबरों की सीरीज लागू हो जाएगी, आसानी से कॉल करने वाली कंपनियों की पहचान की जा सकेगी।

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