अर्थजगतः शेयर बाजार में थमा तेजी का दौर और स्पेस स्टार्टअप की संख्या दो साल में 200 गुना बढ़ी
शेयर बाजार में शुक्रवार को बिकवाली के कारण लगातार छह सत्रों से जारी तेजी का सिलसिला थम गया और सेंसेक्स 269.03 अंक गिरकर बंद हुआ। भारत में पिछले दो वर्ष में स्पेस सेक्टर से जुड़े स्टार्टअप की संख्या में 200 गुना का इजाफा हुआ है।
शेयर बाजार में थमा तेजी का दौर, सेंसेक्स 269 अंक टूटा
वैश्विक बाजारों में नरमी के रुख के बीच स्थानीय बाजार में तेल एवं गैस, पूंजीगत उत्पाद और दैनिक उपयोग का सामान बनाने वाली कंपनियों (एफएमसीजी) के शेयरों में बिकवाली होने से लगातार छह सत्रों से जारी तेजी का सिलसिला शुक्रवार को थम गया। इस दौरान दोनों प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स और निफ्टी हल्की गिरावट के साथ बंद हुए। बीएसई का 30 शेयरों पर आधारित सूचकांक सेंसेक्स 269.03 अंक यानी 0.35 प्रतिशत गिरकर 77,209.90 पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान एक समय यह 676.93 अंक गिरकर 76,802 तक आ गया था।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का सूचकांक निफ्टी 65.90 अंक यानी 0.28 प्रतिशत की गिरावट के साथ 23,501.10 पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान एक समय यह 100.1 अंक बढ़कर 23,667.10 के रिकॉर्ड कारोबारी स्तर पर पहुंच गया था। इसके साथ ही शेयर बाजार में पिछले छह कारोबारी सत्रों से जारी तेजी का सिलसिला थम गया। इस दौरान सेंसेक्स और निफ्टी दोनों ही अपने-अपने रिकॉर्ड उच्चतम स्तर पर पहुंच गए थे। साप्ताहिक आधार पर सेंसेक्स में कुल 217.13 अंक यानी 0.28 प्रतिशत की बढ़त रही जबकि निफ्टी 35.5 अंक यानी 0.15 प्रतिशत अंक चढ़ा।
जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, "मानसून की सुस्त रफ्तार को लेकर चिंताएं गहराने से एफएमसीजी क्षेत्र का प्रदर्शन कमतर रहने की आशंका हावी रही और घरेलू बाजार में हल्की मुनाफावसूली देखी गई। अमेरिकी प्रौद्योगिकी शेयरों में भी बिकवाली होने से वैश्विक बाजारों में सुस्ती देखी गई।" सेंसेक्स की 30 कंपनियों में अल्ट्राटेक सीमेंट, लार्सन एंड टुब्रो, टाटा मोटर्स, नेस्ले, टाटा स्टील, हिंदुस्तान यूनिलीवर, बजाज फाइनेंस, रिलायंस इंडस्ट्रीज, महिंद्रा एंड महिंद्रा और भारतीय स्टेट बैंक के शेयरों में सबसे ज्यादा गिरावट रही।
स्पेस स्टार्टअप की संख्या पिछले दो वर्ष में 200 गुना बढ़ी
भारत में पिछले दो वर्ष में स्पेस सेक्टर से जुड़े स्टार्टअप की संख्या में 200 गुना का इजाफा हुआ है। इसकी वजह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से स्पेस सेक्टर को निजी कंपनियों के लिए खोलना है। केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी और पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), जितेंद्र सिंह की ओर से ये जानकारी दी गई। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार द्वारा स्पेस सेक्टर में बड़े स्तर पर निजी और सरकारी कंपनियों को मौका दिया गया है। इस कारण वैश्विक स्पेस अर्थव्यवस्था में 2021 के मुकाबले 2030 में भारत की हिस्सेदारी चार गुना हो जाएगी।
स्पेस डिपार्टमेंट के 100 दिनों के एक्शन प्लान पर उच्च स्तरीय बैठक में केंद्रीय मंत्री ने भारत के स्पेस सेक्टर की वर्तमान स्थिति, अवसरों और भविष्य के स्पेस मिशनों का जायजा लिया। इस बैठक में इसरो के चेयरमैन एस सोमनाथ सहित राष्ट्रीय स्पेस एजेंसी के उच्च अधिकारी भी मौजूद थे। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि 2022 में देश में स्पेस स्टार्टअप की संख्या एक थी, जो 2024 में बढ़कर 200 पर पहुंच गई। 2023 में भारत के स्पेस सेक्टर में करीब 1,000 करोड़ रुपये का निवेश हुआ था। आगे कहा कि स्पेस सेक्टर करीब 450 एमएसएमई के साथ मिलकर काम करता है, जोकि प्रधानमंत्री के अमृतकाल के विजन 'सबका प्रयास' की पुष्टि करता है। इसके अलावा जितेंद्र सिंह ने कहा कि वैश्विक स्पेस अर्थव्यवस्था में भारत का योगदान 2021 में दो प्रतिशत था, जो कि 2030 तक 8 प्रतिशत होने की संभावना है और फिर 2047 तक ये बढ़कर 15 प्रतिशत तक पहुंच सकता है।
विदेशी मुद्रा भंडार 2.92 अरब डॉलर घटकर 652.89 अरब डॉलर पर
देश का विदेशी मुद्रा भंडार 14 जून को समाप्त सप्ताह में 2.92 अरब डॉलर घटकर 652.89 अरब डॉलर रहा। भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। इससे पूर्व के सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 4.30 अरब डॉलर के उछाल के साथ 655.82 अरब डॉलर के नये रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया था। रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक 14 जून को समाप्त सप्ताह में मुद्रा भंडार का अहम हिस्सा मानी जाने वाली विदेशी मुद्रा आस्तियां 2.09 अरब डॉलर घटकर 574.24 अरब डॉलर रही।
डॉलर के संदर्भ में उल्लेखित विदेशी मुद्रा आस्तियों में विदेशी मुद्रा भंडार में रखे गए यूरो, पाउंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी मुद्राओं की घट-बढ़ का प्रभाव शामिल होता है। रिजर्व बैंक ने कहा कि समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान स्वर्ण आरक्षित भंडार का मूल्य 1.01 अरब डॉलर घटकर 55.97 अरब डॉलर रहा। विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) 5.4 करोड़ डॉलर घटकर 18.11 अरब डॉलर रहा। रिजर्व बैंक ने कहा कि आलोच्य सप्ताह में अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) के पास भारत की आरक्षित जमा 24.5 करोड़ डॉलर बढ़कर 4.58 अरब डॉलर हो गई।
भारत को अगले पांच साल में मिलेंगे 150 से ज्यादा नए यूनिकॉर्न : रिपोर्ट
अगले 3 से 5 साल में 31 शहरों के 152 भारतीय स्टार्टअप यूनिकॉर्न बन सकते हैं। फिलहाल इनकी संख्या 67 है। एक रिपोर्ट में ये जानकारी दी गई है। एएसके प्राइवेट वेल्थ हारून इंडिया फ्यूचर यूनिकॉर्न इंडेक्स 2024 में बताया गया है कि 2024 में भारत में 67 यूनिकॉर्न, 46 गजेल्स और 106 चीता हैं। वहीं, 2023 में 68 यूनिकॉर्न, 51 गजेल्स और 96 चीता थे। रिपोर्ट के अनुसार, यूनिकॉर्न का मतलब उन स्टार्टअप से है जो 2000 के बाद स्थापित हुए हैं और उनका वैल्यूएशन एक अरब डॉलर है। गजेल्स का मतलब उन स्टार्टअप से है जो अगले तीन वर्षों में यूनिकॉर्न बन सकते हैं। वहीं, चीता का मतलब उन स्टार्टअप से है, जो अगले पांच वर्षों में यूनिकॉर्न बन सकते हैं।
फिनटेक सेक्टर में सबसे ज्यादा आठ गजेल्स हैं। इसके बाद एसएएएस में छह, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और एडटेक में पांच-पांच गजेल्स हैं। इंडेक्स में गजेल्स में शीर्ष पर ऐडटेक स्टार्टअप लीप स्कॉलर, फिनटेक स्टार्टअप मनी व्यू और एग्रीटेक स्टार्टअप कंट्री डिलाइट को जगह दी गई है। इसके बाद एग्रीटेक स्टार्टअप निंजाकार्ट और एसएएएस स्टार्टअप मोएंगेज को जगह दी गई है। हारून इंडिया के एमडी और चीफ रिसर्चर, अनस रहमान जुनैद ने कहा कि इस साल इंडेक्स में कुछ कंपनियों ने बड़ी छलांग लगाई है। ट्रैवल कंपनी इक्सिगो जो पहले एक चीता था, 2022 में हमने उम्मीद जताई थी कि यह अगले पांच वर्षों में यूनिकॉर्न बन जाएगी, लेकिन इस कंपनी ने गजेल्स के स्टेटस को पीछे छोड़ते हुए सीधा आईपीओ ला दिया। उन्होंने आगे कहा कि जैप्टो, पोर्टर और इनक्रेड फाइनेंस ने यूनिकॉर्न स्टेट्स हासिल किया है। वहीं, 10 चीता ने गजेल्स का स्टेटस हासिल किया है, जो कि भारतीय स्टार्टअप कल्चर की मजबूती और प्रभाव को दिखाता है।
भारतीय ज्वेलरी सेक्टर की आय बीते 5 साल में एक लाख करोड़ रुपये बढ़ी
भारत के ज्वेलरी रिटेल सेक्टर में बीते पांच वर्षों में रिकॉर्ड ग्रोथ दर्ज की गई है। इसकी आय 2024 में बढ़कर 6,40,000 करोड़ रुपये हो गई है, जो कि 2019 में 5,04,400 करोड़ रुपये थी। एक रिपोर्ट में ये जानकारी दी गई है। ब्रोकरेज फर्म मोतीलाल ओसवाल की रिपोर्ट में बताया गया कि हॉलमार्किंग के कारण उत्पादों को लेकर बढ़ते विश्वास और लोगों की आय बढ़ना इसकी प्रमुख वजह है। ब्रोकरेज फर्म ने अपने अनुमान में बताया कि ज्वेलरी इंडस्ट्री 15 से 16 प्रतिशत चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) के साथ वित्त वर्ष 2028 तक 145 अरब डॉलर का आंकड़ा छू सकती है। वित्त वर्ष 19 से 24 के बीच में ज्वेलरी सेक्टर की आय करीब 8 प्रतिशत के सीएजीआर से बढ़ी है और इसमें संगठित क्षेत्र की वृद्धि दर करीब 18 से 19 प्रतिशत रही है।
ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि आने वाले समय में संगठित क्षेत्र का ज्वेलरी मार्केट 20 प्रतिशत के सीएजीआर से बढ़ेगा और कुल मार्केट का करीब 42 से 43 प्रतिशत हिस्सा संगठित क्षेत्र से आएगा। रिपोर्ट में बताया गया कि इंडस्ट्री में तेजी के पीछे के कई कारण हैं। इनमें प्रति व्यक्ति आय का बढ़ना, संगठित क्षेत्र कंपनियों के रिटेल स्टोर पर अच्छा अनुभव, हॉलमार्किंग के जरिए विश्वास पैदा होना और नए उत्पादों का आना (डिजाइन और डायमंड) जैसे कारण शामिल हैं।शीर्ष 10 राज्यों में तमिलनाडु, महाराष्ट्र, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश शामिल हैं। पूरे रिटेल नेटवर्क का 78 प्रतिशत इन्हीं राज्यों में है और जीडीपी में इनका योगदान 68 प्रतिशत है।ब्रोकरेज हाउस का कहना है कि पहले के मुकाबले अब अधिक ग्राहक संगठित क्षेत्र के ज्वेलर्स खरीदारी करना पसंद कर रहे हैं। वित्त वर्ष 2018 में ज्वेलरी मार्केट का आकार 48 से 50 अरब डॉलर था। इसमें संगठित मार्केट की हिस्सेदारी 20 से 22 प्रतिशत थी। पिछले तीन वर्ष इंडस्ट्री के लिए काफी शानदार रहे हैं। इस दौरान संगठित क्षेत्र की बाजार में हिस्सेदारी 20 प्रतिशत से बढ़कर 30 प्रतिशत हो गई है।
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