अर्थजगतः स्विगी का शेयर लिस्टिंग के दूसरे दिन धड़ाम और शिकायत समाधान को लेकर ओला इलेक्ट्रिक की जांच के आदेश

भारतीय शेयर बाजार गुरुवार को लगातार छठे दिन लाल निशान में बंद हुआ। कारोबार के अंत में सेंसेक्स 110.64 अंक गिरकर बंद हुआ। भारत में थोक महंगाई दर अक्टूबर में बढ़कर 2.36 प्रतिशत रही। थोक महंगाई में बढ़त की वजह खाद्य वस्तुओं की कीमतें उच्च स्तर पर रहना है।

स्विगी का शेयर लिस्टिंग के दूसरे दिन धड़ाम
स्विगी का शेयर लिस्टिंग के दूसरे दिन धड़ाम
user

नवजीवन डेस्क

स्विगी का शेयर लिस्टिंग के दूसरे दिन धड़ाम, 7.50 फीसदी की हुई गिरावट

फूड डिलीवरी कंपनी स्विगी के शेयर में लिस्टिंग के दूसरे दिन गुरुवार को भारी गिरावट देखने को मिली। कंपनी का शेयर नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) पर 7.54 प्रतिशत की गिरावट के साथ 421.60 रुपये पर बंद हुआ। दिन के दौरान, स्विगी के शेयर में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिला। शेयर 473 रुपये पर खुला। सत्र में 489 रुपये प्रति शेयर का उच्चतम स्तर और 418 रुपये का न्यूनतम स्तर छुआ। कारोबार सत्र में ट्रेडिंग वॉल्यूम और वैल्यू क्रमश: 5.61 करोड़ और 2,522 करोड़ रुपये रही। स्विगी का शेयर बुधवार को शेयर बाजार में 7.69 प्रतिशत के प्रीमियम के साथ 420 रुपये के भाव पर लिस्ट हुआ था। लिस्टिंग के बाद शेयर में खरीदारी देखी गई और कारोबार के अंत में यह 18.97 प्रतिशत बढ़कर 464 रुपये पर बंद हुआ था।

ऑनलाइन फूड डिलीवरी कंपनी का 11,327 करोड़ रुपये का आईपीओ 6 से 8 नवंबर के बीच रिटेल निवेशकों के लिए खुला था। आईपीओ को निवेशकों से मिलाजुला रिस्पॉन्स मिला था और 3.50 गुणा से ज्यादा सब्सक्राइब हुआ था। स्विगी का प्राइस बैंड 371 रुपये से लेकर 390 रुपये था। बजाज ब्रोकिंग ने मुताबिक स्विगी के बिजनेस में बड़ी रिस्क जोमैटो, जेप्टो और बाजार में आ रही नई कंपनियों से कड़ी प्रतिस्पर्धा होना है। ब्रोकरेज फर्मों के अनुसार, 2014 में अपनी स्थापना के बाद से ही स्विगी लगातार घाटा दर्ज कर रही है। इसकी वजह उच्च ऑपरेशनल लागत का होना है।

बीते तीन वित्त वर्षों में स्विगी ने कंसोलिडेटेड आधार पर लगातार नुकसान दर्ज किया है। वित्त वर्ष 2021-22 में कंपनी की आय 6,119 करोड़ रुपये थी और इस दौरान कंपनी ने 3,628.90 करोड़ रुपये का नुकसान दर्ज किया था। वित्त वर्ष 2022-23 में कंपनी की आय 8,714 करोड़ रुपये रही थी। इस दौरान कंपनी का नुकसान बढ़कर 4,179 करोड़ रुपये हो गया। वित्त वर्ष 2023-24 में कंपनी की आय बढ़कर 11,634 करोड़ रुपये हो गई थी। इस दौरान कंपनी ने 2,350 करोड़ रुपये का नुकसान दर्ज किया। वित्त वर्ष 2024-25 की जून तिमाही में कंपनी ने 3,310.11 करोड़ रुपये का कुल आय और 611.01 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा दर्ज किया था।

शिकायत समाधान को लेकर ओला इलेक्ट्रिक की जांच के आदेश

भाविश अग्रवाल के नेतृत्व वाली ओला इलेक्ट्रिक की उपभोक्ता शिकायत समाधान प्रक्रिया को लेकर केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) ने विस्तृत जांच के आदेश दिए हैं। सूत्रों के मुताबिक, उपभोक्ता मामलों के विभाग की सचिव निधि खरे ने भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) के महानिदेशक (डीजी) से मामले की जांच करने को कहा है। बीआईएस प्रमुख को 15 दिनों के भीतर रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया है। पिछले महीने ओला इलेक्ट्रिक ने दावा किया था कि राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन (एनसीएच) पर 10,644 शिकायतों में से 99.1 प्रतिशत का समाधान कर लिया गया है।

उपभोक्ता अधिकारों के कथित उल्लंघन को लेकर सीसीपीए ने कंपनी को कारण बताओ नोटिस भेजा था। हालांकि, ओला इलेक्ट्रिक ने दावा किया है कि उसने बिक्री के बाद खराब सेवा के बारे में 10,644 शिकायतों में से 99.1 प्रतिशत का समाधान कर दिया है, लेकिन उपभोक्ता मामलों के विभाग ने ईवी फर्म द्वारा दायर जवाबों की गंभीरता से जांच की और प्रत्येक उपभोक्ता शिकायत का कंपनी के दावों के साथ मिलान किया। कुल 10,644 शिकायतों में से 3,364 धीमी सेवा और मरम्मत से संबंधित थीं और 1,899 ओला के इलेक्ट्रिक स्कूटरों की देरी से डिलीवरी से संबंधित थीं।

अगर ओला इलेक्ट्रिक के दावे नियामक को संतुष्ट करने में विफल रहते हैं, तो उसे कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है और कथित तौर पर पीएम इलेक्ट्रिक ड्राइव रिवोल्यूशन इन इनोवेटिव व्हीकल एन्हांसमेंट (पीएम ई-ड्राइव) योजना के तहत इलेक्ट्रिक वाहनों की मैन्युफैक्चरिंग के लिए मिल रही सब्सिडी से भी वंचित रहना पड़ सकता है। ओला इलेक्ट्रिक का शेयर गुरुवार को 70.12 रुपये पर बंद हुआ, जो इसके ऑल-टाइम हाई 157.40 रुपये से 56 प्रतिशत कम है। कंपनी ने जुलाई-सितंबर अवधि (वित्त वर्ष 25 की दूसरी तिमाही) में 43 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 495 करोड़ रुपये का घाटा दर्ज किया, जबकि इसी वित्त वर्ष की पिछली तिमाही में यह 347 करोड़ रुपये था।


शेयर बाजार में लगातार छठे दिन गिरावट, 110 अंक फिसला सेंसेक्स

भारतीय शेयर बाजार गुरुवार को लगातार छठे दिन लाल निशान में बंद हुआ। कारोबार के अंत में पीएसयू बैंक, फार्मा, एफएमसीजी और मेटल सेक्टर में बिकवाली देखने को मिली। सेंसेक्स 110.64 अंक या 0.14 प्रतिशत गिरने के बाद 77,580.31 पर बंद हुआ। वहीं, निफ्टी 26.35 अंक या 0.11 प्रतिशत की मामूली गिरावट के बाद 23,532.70 पर बंद हुआ। निफ्टी बैंक 91.20 अंक या 0.18 प्रतिशत चढ़ने के बाद 50,179.55 पर आ गया। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स कारोबार के अंत में 242.25 अंक या 0.45 प्रतिशत चढ़ने के बाद 54,043.10 पर बंद हुआ। निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 142.15 अंक या 0.81 प्रतिशत चढ़ने के बाद 17,601.05 पर बंद हुआ। निफ्टी के ऑटो, आईटी, फाइनेंशियल सर्विस, रियलिटी, मीडिया, प्राइवेट बैंक और इंफ्रा सेक्टर में खरीदारी रही। वहीं, पीएसयू बैंक, फार्मा, एफएमसीजी और मेटल सेक्टर दबाव में रहे। सेंसेक्स पैक में कोटक महिंद्रा बैंक, टेक महिंद्रा, एम एंड एम, एचडीएफसी बैंक, एशियन पेंट्स और जेएसडब्ल्यू स्टील टॉप गेनर्स रहे। वहीं, हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड, एनटीपीसी, नेस्ले इंडिया, इंडसइंड बैंक, पावर ग्रिड और टाटा मोटर्स टॉप लूजर्स रहे। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) पर 2,159 शेयर हरे, 1,798 शेयर लाल निशान पर कारोबार कर रहे थे। वहीं, 93 शेयर में किसी तरह का कोई बदलाव नहीं रहा। बाजार के जानकारों ने कहा कि सेंसेक्स और निफ्टी 50 में गिरावट का सिलसिला जारी रहा और लगातार छठे दिन गिरावट दर्ज की गई। वैश्विक दबाव और विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली से धारणा प्रभावित हुई। पीएल कैपिटल के विक्रम कासट ने कहा, "मजबूत डॉलर सूचकांक जो अब 106.61 पर है और अमेरिका के 10-वर्षीय बॉन्ड पर प्रतिफल 4.48 प्रतिशत पर है, दोनों ने भारतीय इक्विटी के लिए प्रतिकूल परिस्थितियों को बढ़ा दिया है। डॉलर के मुकाबले रुपए के 84.40 के ऐतिहासिक निम्नतम स्तर तक गिर जाने से यह और अधिक तनावपूर्ण हो गया है।"

भारत में थोक महंगाई दर अक्टूबर में बढ़कर 2.36 प्रतिशत रही

भारत में थोक महंगाई दर अक्टूबर में बढ़कर 2.36 प्रतिशत हो गई है। थोक महंगाई में बढ़त की वजह खाद्य वस्तुओं की कीमतें उच्च स्तर पर रहना है। सितंबर में यह 1.84 प्रतिशत थी। यह जानकारी गुरुवार को सरकार द्वारा जारी आंकड़ों से मिली। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक, बीते महीने खाद्य उत्पादों की कीमतों में 13.57 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसकी वजह मानसून की देरी से वापसी के कारण फसलों को हुए नुकसान के बाद आलू और प्याज जैसी सब्जियां का महंगा होना है। विनिर्मित वस्तुओं में थोक महंगाई दर, जिसका थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) में भार 64 प्रतिशत से अधिक है, बीते महीने 1.5 प्रतिशत का इजाफा हुआ है।

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, ईंधन और बिजली की में कीमतों में गिरावट आई और महंगाई दर नकारात्मक (-) 5.79 प्रतिशत रही। सरकार द्वारा मंगलवार को खुदरा महंगाई दर के आंकड़े जारी किए गए थे। अक्टूबर में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) बढ़कर 6.21 प्रतिशत हो गया है। यह अक्टूबर में 5.49 प्रतिशत था। खुदरा महंगाई दर बढ़ने की वजह बीते महीने सब्जियों की कीमतों में तेज बढ़ोतरी को माना जा रहा है। अक्टूबर में सब्जियों की कीमतों में 42.18 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। बीते 14 महीनों में यह पहली बार था, जब रिटेल महंगाई दर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा तय किए गए स्तर 6 प्रतिशत के ऊपर थी।

रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने पिछले हफ्ते कहा था कि आरबीआई विकास को गति देने के लिए नरम तटस्थ मौद्रिक नीति रुख की ओर बढ़ गया है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि ब्याज दर में तुरंत कटौती होगी। एक मीडिया कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आरबीआई गवर्नर ने कहा कि रुख में बदलाव का मतलब यह नहीं है कि अगली मौद्रिक नीति बैठक में दर में कटौती होगी। उन्होंने आगे कहा था कि महंगाई के बढ़ने का अभी भी जोखिम बना हुआ है। ऐसे समय में ब्याज दरों में कटौती करना एक जोखिम भरा फैसला हो सकता है।


रुपया चार पैसे गिरकर 84.43 प्रति डॉलर के सर्वकालिक निचले स्तर पर

विदेशी कोषों की सतत निकासी और निवेशकों की मजबूत डॉलर मांग के कारण अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में बृहस्पतिवार को रुपया सीमित दायरे में कारोबार के बाद 84.43 (अस्थायी) प्रति डॉलर के सर्वकालिक निचले स्तर पर बंद हुआ। विदेशी मुद्रा व्यापारियों ने कहा कि डॉलर:रुपया जोड़ी पर नीचे की ओर दबाव, मुख्य रूप से लगातार मुद्रास्फीति और विदेशी कोषों की निकासी के कारण है।

अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 84.40 पर खुला। सत्र के दौरान स्थानीय मुद्रा ने 84.39 के उच्चस्तर और 84.43 के निचले स्तर को छुआ। अंत में यह डॉलर के मुकाबले 84.43 (अस्थायी) के अपने नए सर्वकालिक निचले स्तर पर बंद हुआ, जो पिछले बंद स्तर से चार पैसे की गिरावट है। बुधवार को रुपया सीमित दायरे में कारोबार के बाद डॉलर के मुकाबले 84.39 पर स्थिर रहा।

शेयरखान बाय बीएनपी पारिबा में बुनियादी मुद्रा और जिंस के उपाध्यक्ष (एसोसिएट) प्रवीण सिंह ने कहा, "अमेरिकी डॉलर इंडेक्स ने 106.76 के नए चक्र उच्चस्तर को छुआ है, क्योंकि यह 107.50 के कड़े प्रतिरोध के करीब पहुंच गया है।"

Google न्यूज़नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें

प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia