अर्थजगतः सेंसेक्स फिसला, निवेशकों के 4 लाख करोड़ रुपये डूबे और प्रमुख बुनियादी उद्योगों की वृद्धि दर घटी
भारतपे और उसके पूर्व सह-संस्थापक अशनीर ग्रोवर के बीच 88.67 करोड़ रुपये के फंड की हेराफेरी के मामले में लंबी कानूनी लड़ाई के बाद समझौता हो गया है। फिडेलिटी ने एलन मस्क के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स की वैल्यूएशन को 78.7 प्रतिशत घटा दिया है।
सेंसेक्स 1,272 अंक फिसला, निवेशकों के 4 लाख करोड़ रुपये डूबे
भारतीय शेयर बाजार में सोमवार के कारोबारी सत्र में बड़ी गिरावट देखने को मिली। बाजार के करीब सभी सूचकांक लाल निशान में बंद हुए हैं। कारोबार के अंत में सेंसेक्स 1,272 अंक या 1.49 प्रतिशत गिरकर 84,299 और निफ्टी 368 अंक या 1.41 प्रतिशत की गिरावट के साथ 25,810 पर बंद हुआ। गिरावट का नेतृत्व बैंकिंग शेयरों की ओर से किया गया। निफ्टी बैंक 856 अंक या 1.59 प्रतिशत के दबाव के साथ 52,978 पर बंद हुआ। मंदी के कारण बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) पर लिस्टेड सभी सूचीबद्ध कंपनियां का मार्केट कैप करीब 4 लाख करोड़ रुपये कम होकर 474 लाख करोड़ रुपये रह गया।
सेंसेक्स पैक में जेएसडब्ल्यू स्टील, एनटीपीसी, टाटा स्टील, टाइटन और एशियन पेंट्स टॉप गेनर्स थे। रिलायंस, एक्सिस बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, नेस्ले, टेक महिंद्रा, एमएंडएम, मारुति सुजुकी, बजाज फिनसर्व, टाटा मोटर्स, एसबीआई, इन्फोसिस और सनफार्मा टॉप लूजर्स थे। लार्जकैप की अपेक्षा मिडकैप और स्मॉलकैप में कम गिरावट देखी गई। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 227 अंक या 0.38 प्रतिशत की गिरावट के साथ 60,153 पर और निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 62 अंक या 0.32 प्रतिशत की गिरावट के साथ 19,179 पर बंद हुआ। ऑटो, आईटी, पीएसयू बैंक, फिन सर्विस, फार्मा, एफएमसीजी, रियल्टी, एनर्जी, प्राइवेट बैंक और इन्फ्रा सबसे ज्यादा गिरने वाले इंडेक्स थे। मेटल और मीडिया इंडेक्स ही हरे निशान में बंद हुए।
एलकेपी सिक्योरिटीज में वरिष्ठ तकनीकी सलाहकार रूपक दे का कहना है कि निफ्टी पिछले कारोबारी सत्र में कमजोर बंद हुआ था। आज के सत्र में निफ्टी में भारी गिरावट देखने को मिली। यह दिखाता है कि बाजार का सेंटिमेंट छोटी अवधि में कमजोर बना हुआ है। अगर निफ्टी 25,750 को तोड़ता है तो और नीचे जा सकता है। हालांकि, 26,000 अभी एक रुकावट का स्तर है।
प्रमुख बुनियादी उद्योगों की वृद्धि दर अगस्त में 1.8 प्रतिशत घटी
कोयला, कच्चे तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद, सीमेंट और बिजली के उत्पादन में गिरावट के कारण इस साल अगस्त में आठ प्रमुख बुनियादी उद्योगों के उत्पादन में 1.8 प्रतिशत की कमी आई। आठ प्रमुख बुनियादी उद्योगों की वृद्धि दर में साढ़े तीन साल बाद गिरावट आई है। इस दौरान कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पादों, सीमेंट और बिजली के उत्पादन में गिरावट हुई। इससे पहले जुलाई में वृद्धि दर 6.1 प्रतिशत थी।
कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद, उर्वरक, इस्पात, सीमेंट और बिजली जैसे प्रमुख बुनियादी उद्योगों की वृद्धि दर अगस्त 2023 में 13.4 प्रतिशत थी। चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-अगस्त के दौरान प्रमुख बुनियादी उद्योगों का उत्पादन 4.6 प्रतिशत बढ़ा। यह आंकड़ा पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में आठ प्रतिशत था। आठ प्रमुख बुनियादी उद्योगों का औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) में 40.27 प्रतिशत हिस्सेदारी है। इससे पहले, बुनियादी उद्योगों में फरवरी 2021 में 3.3 प्रतिशत की गिरावट आई थी।
अगस्त में कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद, सीमेंट और बिजली में क्रमशः 8.1 प्रतिशत, 3.4 प्रतिशत, 3.6 प्रतिशत, एक प्रतिशत, तीन प्रतिशत और पांच प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। समीक्षाधीन महीने में उर्वरक उत्पादन में 3.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि अगस्त 2023 में यह 1.8 प्रतिशत था। इस्पात उत्पादन की वृद्धि दर अगस्त 2024 में धीमी होकर 4.5 प्रतिशत रही, जो पिछले साल इसी महीने में 16.4 प्रतिशत थी।
रेटिंग एजेंसी इक्रा लिमिटेड की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि प्रमुख उद्योगों के उत्पादन में अगस्त में गिरावट आई। यह 42 महीनों में गिरावट का पहला उदाहरण है। उन्होंने कहा कि अधिक बारिश ने खनन गतिविधि को प्रभावित किया, जिससे कोयला, कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस के उत्पादन में गिरावट आई। बारिश के कारण बिजली उत्पादन में भी कमी आई। नायर ने कहा कि समीक्षाधीन अवधि में गिरावट उच्च तुलनात्मक आधार के कारण और बढ़ गई। अगस्त 2023 में कम बारिश ने इन क्षेत्रों के उत्पादन को सहारा दिया था। उन्होंने कहा कि इन रुझानों को देखते हुए इक्रा का अनुमान है कि अगस्त में आईआईपी वृद्धि दर घटकर लगभग एक प्रतिशत रह जाएगी, जो जुलाई 2024 में 4.8 प्रतिशत थी।
भारतपे और अशनीर ग्रोवर में फंड की हेराफेरी मामले में हुआ समझौता
फिनटेक कंपनी भारतपे और उसके पूर्व सह-संस्थापक अशनीर ग्रोवर के बीच 88.67 करोड़ रुपये के फंड की हेराफेरी के मामले में लंबी कानूनी लड़ाई के बाद समझौता हो गया है। कंपनी की ओर से सोमवार को जारी किए गए बयान में यह जानकारी मिली। कंपनी ने कहा कि समझौते के मुताबिक अब ग्रोवर किसी भी तरह से कंपनी से जुड़े नहीं हैं और न ही उनके पास कंपनी की कोई शेयरहोल्डिंग होगी।
कंपनी के प्रवक्ता ने कहा कि ग्रोवर के कुछ शेयर कंपनी के लाभ के लिए रेजिलिएंट ग्रोथ ट्रस्ट को हस्तांतरित किए जाएंगे और उनके शेष शेयरों का प्रबंधन उनके पारिवारिक ट्रस्ट द्वारा किया जाएगा। भारतपे ने आगे कहा कि दोनों पक्षों ने दायर मामलों को आगे नहीं बढ़ाने का फैसला किया है। आगे कहा, "हम ग्रोवर के अच्छे होने की कामना करते हैं। भारतपे मुनाफे के साथ ग्रोथ को जारी रखते हुए मर्चेंट्स और ग्राहकों को इंडस्ट्री के अग्रणी सॉल्यूशंस पेश करता रहेगा।"
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर ग्रोवर ने पोस्ट किया, "वह भारतपे के साथ एक समझौते पर पहुंच गए हैं।" आगे कहा कि मैं भारतपे के बोर्ड और मैनेजमेंट में पूरा भरोसा रखता हूं, वे कंपनी को सही दिशा में आगे ले जाने के लिए कार्य कर रहे हैं।" ग्रोवर ने आगे लिखा "मैं भारतपे के साथ अब किसी भी प्रकार से जुड़ नहीं रहूंगा। इसमें शेयरहोल्डिंग भी शामिल है। मेरे बाकी के शेयर फैमिली ट्रस्ट द्वारा मैनेज किए जाएंगे। दोनों पार्टियों ने केस को आगे न बढ़ाने का निर्णय लिया है। मुझे विश्वास है कि भारतपे के सभी पक्षों को इसका लाभ होगा।"
अशनीर ग्रोवर और उनकी पत्नी माधुरी जैन ग्रोवर को 88.67 करोड़ रुपये फंड की हेराफेरी करने के मामले में भारतपे से निकाल दिया गया था। इसके बाद कंपनी ने पैसों की वापसी के लिए हाईकोर्ट का रुख किया था। पिछले हफ्ते दिल्ली पुलिस की इकोनॉमिक ऑफेंस विंग (ईओडब्ल्यू) की ओर से इस मामले में दीपक गुप्ता को गिरफ्तार किया था, जो कि ग्रोवर के परिवार से ही था। इससे पहले एक अन्य आरोपी अमित बंसल को भी ईओडब्ल्यू की ओर से गिरफ्तार किया गया था।
मस्क के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स का वैल्यूएशन 79 प्रतिशत घटा
वैश्विक निवेश फर्म फिडेलिटी की ओर से एलन मस्क के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व ट्विटर) की वैल्यूएशन को 78.7 प्रतिशत घटाकर 9.4 अरब डॉलर कर दिया है। अरबपति टेक कारोबारी की ओर से 44 अरब डॉलर में अक्टूबर 2022 में एक्स प्लेटफॉर्म को खरीदा गया था। कंपनी द्वारा की गई फाइलिंग के हवाले से टेकक्रंच की रिपोर्ट में बताया गया कि अगस्त के अंत में एक्स का मूल्य अब उसके 44 अरब डॉलर के खरीद मूल्य के एक चौथाई से भी कम रह गया है। फंड की ओर से एक्स में उसकी हिस्सेदारी का मूल्य करीब 4.18 मिलियन डॉलर आंका गया है। जुलाई में इसकी वैल्यू 5.5 मिलियन डॉलर थी।
रेगुलेटरी नियामकों में घोषित किए गए तथ्यों के आधार पर तैयार की गई इस रिपोर्ट पर एक्स, फिडेलिटी और मस्क की ओर से कोई बयान नहीं दिया गया है। मई में मस्क द्वारा चलाई जा रही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) कंपनी एक्सएआई की ओर से भविष्य की टेक्नोलॉजी में रिसर्च और डेवलपमेंट को बढ़ाने के लिए 6 अरब डॉलर की राशि जुटाई गई थी। मस्क द्वारा दी गई जानकारी में बताया गया था कि इसका प्री-मनी वैल्यूएशन 18 अरब डॉलर है। अक्टूबर 2022 में फिडेलिटी ने एक्स में 300 मिलियन डॉलर निवेश किए थे।
2023 में फिडेलिटी ने एक्स के वैल्यूएशन को 65 प्रतिशत तक घटा दिया था। इस साल जनवरी में कंपनी के वैल्यूएशन को पीक से 71.5 प्रतिशत घटा दिया था। ट्विटर के अधिग्रहण के दौरान 13 अरब डॉलर का लोन लेते समय मस्क की ओर से बैंकों को कहा गया कि इस डील में उन्हें कोई नुकसान नहीं होगा। यह लोन तीन हिस्सों में बांटा हुआ है, जिसमें 6.5 अरब डॉलर का टर्म लोन और 6 अरब डॉलर के सीनियर और जूनियर बॉन्ड और 500 मिलियन डॉलर का रिवॉल्वर लोन शामिल था।
ओला इलेक्ट्रिक के शेयर हुए धड़ाम, पहली बार कीमत 100 रुपये के नीचे
ओला इलेक्ट्रिक के शेयर की कीमत में सोमवार को 4 प्रतिशत तक की बड़ी गिरावट देखने को मिली। इस कारण से शेयर के दाम लिस्टिंग के बाद पहली बार 100 रुपये के नीचे पहुंच गए। अब तक के कारोबारी सत्र में, ओला इलेक्ट्रिक के शेयर ने 97.84 रुपये का न्यूनतम स्तर और 102.38 रुपये का उच्चतम स्तर छुआ है। दोपहर 1:36 बजे, ओला इलेक्ट्रिक का शेयर 3 प्रतिशत की गिरावट के साथ 99.10 रुपये पर था। शेयर में पिछले 11 सत्रों में से 9 सत्रों में गिरावट देखने को मिली है। इस गिरावट को मिलाकर ओला इलेक्ट्रिक का शेयर अपने पीक 157.4 रुपये से करीब 36 प्रतिशत फिसल गया है। ओला के शेयर में आ रही गिरावट कंपनी के लिए परेशानी बढ़ने का संकेत है।
अगस्त में लिस्टिंग के बाद कंपनी के शेयर में बड़ी तेजी देखी गई थी और ओला इलेक्ट्रिक के शेयर ने लिस्टिंग के दो हफ्ते में ही 107 प्रतिशत तक का रिटर्न दिया था। हाल में आई रिपोर्ट के मुताबिक, ओला इलेक्ट्रिक की फ्लैगशिप ईवी स्कूटर सीरीज एस1 में बड़ी संख्या में ग्राहकों को परेशानियों का सामना करना पड़ना रहा है। इसमें सॉफ्टवेयर में खराबी, स्पेयर पार्ट्स की कमी और सर्विस सेंटर पर लंबा इंतजार शामिल है। ओला इलेक्ट्रिक डायरेक्ट-टू-कस्टमर मॉडल पर काम करती है। कंपनी पूरे देश में 500 से ज्यादा एक्सपीरियंस सेंटर और 430 से ज्यादा सर्विस सेंटर चलाती है। पिछले शुक्रवार को कंपनी की ओर से अपने सेंटर की संख्या बढ़ाकर 1,000 करने का ऐलान किया गया था। फाइनेंसियल सर्विसेज फर्म बोनांजा के राजेश सिन्हा के मुताबिक, लिस्टिंग के बाद कंपनी के शेयर में उतार-चढ़ाव देखने को मिला है। इसकी वजह प्रतिस्पर्धा का बढ़ना, ईवी की बिक्री में गिरावट और सर्विस से जुड़े मुद्दे का होना है।
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