अर्थजगतः बजट के एक दिन पहले सेंसेक्स-निफ्टी गिरावट के साथ बंद और सेब आयात पर 100 प्रतिशत शुल्क लगाने की मांग

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से सोमवार को संसद में पेश किए गए आर्थिक सर्वे 2023-24 में दावा किया गया है कि लेबर मार्केट इंडिकेटर्स में पिछले छह वर्षों में काफी सुधार हुआ है, जिसके कारण वित्त वर्ष 2022-23 में बेरोजगारी दर घटकर 3.2 प्रतिशत रह गई।

बजट के एक दिन पहले सेंसेक्स-निफ्टी गिरावट के साथ बंद
बजट के एक दिन पहले सेंसेक्स-निफ्टी गिरावट के साथ बंद
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नवजीवन डेस्क

बजट के एक दिन पहले सेंसेक्स-निफ्टी गिरावट के साथ बंद

देश का आम बजट पेश होने से एक दिन पहले सोमवार को रिलायंस इंडस्ट्रीज और कोटक महिंद्रा बैंक के शेयरों में भारी बिकवाली के दबाव से स्थानीय शेयर बाजार के मानक सूचकांक सेंसेक्स और निफ्टी गिरावट के साथ बंद हुए। बीएसई का 30 शेयरों वाला सूचकांक सेंसेक्स 102.57 अंक यानी 0.13 प्रतिशत गिरकर 80,502.08 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान एक समय यह 504 अंक तक गिरकर 80,100.65 अंक पर आ गया था। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का सूचकांक निफ्टी 21.65 अंक यानी 0.09 प्रतिशत की गिरावट के साथ 24,509.25 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान एक समय यह 168.6 अंक गिरकर 24,362.30 अंक पर आ गया था।

कारोबारियों ने कहा कि वैश्विक बाजारों के कमजोर रुख ने भी निवेशकों की धारणा पर असर डाला। शेयर बाजारों में गिरावट का यह लगातार दूसरा सत्र रहा। इसके पहले शुक्रवार को भी दोनों सूचकांक गिरावट के साथ बंद हुए थे। जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, ‘‘हालांकि, मंगलवार को पेश होने वाले बजट के अनुकूल रहने का अनुमान जताया जा रहा है लेकिन बाजार के ऊंचे मूल्यांकन और कंपनियों के मुनाफे में गिरावट के जोखिम को देखते हुए निवेशकों की इसपर करीबी नजर बनी रहेगी।’’ नायर ने कहा कि रिलायंस जैसी दिग्गज कंपनी के मुनाफे में गिरावट ने निवेशकों की धारणा पर असर डाला। देश की सबसे मूल्यवान कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज का शेयर तीन प्रतिशत से अधिक टूट गया। रिलायंस ने जून तिमाही के शुद्ध लाभ में पांच प्रतिशत की गिरावट दर्ज की है।

सेब के आयात पर 100 प्रतिशत शुल्क लगाने की मांग

भारतीय सेब किसान संघ (एएफएफआई) ने ‘स्थानीय किसानों को बचाने के लिए’ सेब के आयात पर 100 प्रतिशत शुल्क लगाने की मांग की। कुलगाम जिले में सेब किसानों के राष्ट्रीय सम्मेलन के बाद पत्रकारों से बात करते हुए सीपीएम नेता एम वाई तारिगामी ने कहा कि सरकार को सेब उद्योग का निगमीकरण रोकना चाहिए और स्थानीय किसानों को बचाने के लिए 100 प्रतिशत आयात शुल्क लगाना चाहिए। तारिगामी ने कहा कि सम्मेलन में एक प्रस्ताव पारित किया गया जिसमें मांग की गई कि खुदरा मूल्य का 50 प्रतिशत न्यूनतम खरीद मूल्य के रूप में भुगतान किया जाए। एएफएफआई सम्मेलन ने नकली कीटनाशकों और उर्वरकों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के आह्वान के अलावा, सार्वजनिक क्षेत्र में इनके लिए बीमा कवरेज की भी मांग की।

उन्होंने मांग की कि किसानों को सीधे रियायती दरों पर भंडारण सुविधाएं दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा, “सरकार कॉरपोरेट कंपनियों को वाणिज्यिक किराए पर चलाने के लिए नियंत्रित वातावरण भंडार (सीएएस) बनाने के लिए 50 प्रतिशत सब्सिडी दे रही है।” एएफएफआई के राष्ट्रीय समन्वयक राकेश सिंघा ने अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ आयात शुल्क को 70 प्रतिशत से घटाकर 50 प्रतिशत करने के समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर निशाना साधा। सिंघा ने कहा, “सेब उद्योग के निगमीकरण के कारण आम लोग सेब लेने में असमर्थ हैं।” उन्होंने किसानों के लिए खरीद मूल्य के रूप में खुदरा मूल्य का 50 प्रतिशत सुनिश्चित करने के लिए मूल्य नीति की मांग की।


विप्रो के शेयर में करीब नौ प्रतिशत की गिरावट

सूचना प्रौद्योगिकी कंपनी विप्रो के शेयर में सोमवार को करीब नौ प्रतिशत की गिरावट आई।बीएसई पर शेयर 8.79 प्रतिशत गिरकर 508.25 रुपये पर आ गया। एनएसई पर यह 8.79 प्रतिशत की गिरावट के साथ 508.20 रुपये पर रहा। एनएसई निफ्टी में सूचीबद्ध कंपनियों में से विप्रो का शेयर सबसे अधिक नुकसान में रहा।

विप्रो ने हाल ही में जानकारी दी थी कि उसका एकीकृत शुद्ध लाभ चालू वित्त वर्ष की जून तिमाही में सालाना आधार पर 4.6 प्रतिशत बढ़कर 3,003.2 करोड़ रुपये रहा। बेंगलुरु की कंपनी की आय हालांकि 2024-25 की पहली तिमाही में 3.8 प्रतिशत घटकर 21,963.8 करोड़ रुपये रही।

भारत की जीडीपी विकास दर 6.5 से 7 प्रतिशत रहने का अनुमानः आर्थिक सर्वे

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से सोमवार को पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण में अनुमान जताया गया कि वित्त वर्ष 2024-25 में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत से लेकर 7 प्रतिशत के बीच रह सकती है, जो दिखाता है कि चालू वित्त वर्ष में भी भारत की अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन अच्छा रहेगा। सर्वेक्षण में बताया गया कि अप्रैल में वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक के मुताबिक, 2023 में वैश्विक आर्थिक विकास दर 3.2 प्रतिशत रही है। यह दुनिया के अन्य देशों की अर्थव्यवस्था की स्थिति को दिखाता है।

सर्वेक्षण में कहा गया, "चालू वित्त वर्ष में जीडीपी 6.5 प्रतिशत से लेकर 7 प्रतिशत बढ़ सकती है। इसमें जोखिम को समायोजित किया गया है। साथ ही इस बात का भी ध्यान रखा गया कि बाजार इससे अधिक अनुमान की उम्मीद रखता है।" चालू वित्त वर्ष में मजबूत जीडीपी विकास दर की वजह सामान्य मानसून के कारण कृषि क्षेत्र पर सकारात्मक प्रभाव और गुड्स सर्विस टैक्स (जीएसटी) और भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता कोड (आईबीसी) जैसे सुधारों से अर्थव्यवस्था पर पड़े सकारात्मक परिणाम को माना गया है।

सर्वे के नोट में कहा गया कि वैश्विक अर्थव्यवस्था के मुकाबले भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति मजबूत बनी हुई है और कोरोना के बाद आई रिकवरी को अर्थव्यवस्था ने कंसोलिडेट किया है। अर्थव्यवस्था को सहारा मजबूत घरेलू फैक्टर्स मिल रहा है। वित्त वर्ष में रियल जीडीपी 8.2 प्रतिशत की दर से बढ़ी है। सर्वेक्षण में कहा गया कि भारत में विकास व्यापक स्तर पर दिखा है। बेरोजगारी दर और बहुआयामी गरीबी दर में कमी आई है। इसके साथ ही काम करने वाले लोगों की संख्या में इजाफा हुआ है। वित्त वर्ष 2024 में वैश्विक स्तर पर वस्तुओं की मांग कमजोर रही, हालांकि सेवाओं की मांग इस दौरान मजबूत रही। वित्त वर्ष 2024 में चालू व्यापारिक घाटा जीडीपी का 0.7 प्रतिशत रहा है, जो कि वित्त वर्ष 23 में 2.0 प्रतिशत था।


देश में बेरोजगारी दर घटकर 3.2 प्रतिशत हुईः आर्थिक सर्वे

लेबर मार्केट इंडिकेटर्स में पिछले छह वर्षों में काफी सुधार हुआ है, जिसके कारण वित्त वर्ष 2022-23 में बेरोजगारी दर घटकर 3.2 प्रतिशत रह गई। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से सोमवार को पेश किए गए आर्थिक सर्वे 2023-24 में यह जानकारी दी गई है। भारत की अनुमानित वर्कफोर्स 56.5 करोड़ है। इसमें 45 प्रतिशत लोग कृषि, 11.4 प्रतिशत लोग मैन्युफैक्चरिंग, 28.9 प्रतिशत लोग सर्विसेज और 13 प्रतिशत लोग निर्माण क्षेत्र में रोजगार कर रहे हैं। सर्वे में अनुमान जताया गया है कि बढ़ते हुए कार्यबल को रोजगार देने के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था को गैर-कृषि क्षेत्र में करीब 78.51 लाख रोजगार वार्षिक तौर पर पैदा करने की आवश्यकता है।

सर्वेक्षण में कहा गया कि सरकार ने रोजगार और स्वरोजगार को बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए हैं। साथ ही कर्मचारियों के कल्याण को बढ़ावा दिया है। सर्विस सेक्टर नौकरी पैदा करने में सबसे आगे रहा है। सरकार द्वारा इन्फ्रास्ट्रक्चर पर जोर दिए जाने के कारण निर्माण क्षेत्र में भी रोजगार के अवसर बढ़े हैं। संयुक्त राष्ट्र के जनसंख्या अनुमान के आधार पर भारत में काम करने योग्य आबादी (15 से 59 वर्ष) 2044 तक लगातार बढ़ती रहेगी। अनुमान में कहा गया कि 51.25 प्रतिशत युवा रोजगार योग्य हैं। सर्वेक्षण में नोट में कहा गया कि दूसरे शब्दों में कहा जाए तो हर दो में से एक युवा अभी भी रोजगार के योग्य नहीं है।

हालांकि, पिछले एक दशक में यह आंकड़ा 34 प्रतिशत से बढ़कर 51.3 प्रतिशत हुआ है। इस आंकड़े के बढ़ने की वजह सरकार की ओर से कौशल विकास प्रोग्राम 'स्किल इंडिया' का चलाया जाना है। सर्वे में कहा गया कि छोटी से मध्यम अवधि में नीतियों का फोकस नौकरी और कौशल विकास के अवसर पैदा करना, कृषि क्षेत्र की पूरी क्षमता का इस्तेमाल करना, एमएसएमई सेक्टर में रुकावटों की पहचान करना, कॉरपोरेट बॉन्ड मार्केट को बड़ा करना, असमानता को दूर करना और युवा आबादी के स्वास्थ्य की गुणवत्ता में सुधार करना है।

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