अर्थजगतः सेबी ने अडानी मामले पर हिंडनबर्ग को कारण बताओ नोटिस भेजा और 9 NBFC ने RBI को पंजीकरण प्रमाणपत्र लौटाया
भारत में यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) प्लेटफॉर्म से लेनदेन की संख्या सालाना आधार पर 49 प्रतिशत बढ़कर 13.9 अरब हो गई है। शेयर बाजार में मंगलवार को शुरुआती तेजी के बाद दोनों सूचकांक सेंसेक्स और निफ्टी मामूली गिरावट के साथ बंद हुए।
सेबी ने अडानी मामले पर हिंडनबर्ग को कारण बताओ नोटिस भेजा
भारतीय पूंजी बाजार नियामक सेबी ने अमेरिकी ‘शॉर्ट-सेलर’ और निवेश शोध कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च को अडानी समूह के शेयरों पर दांव लगाने में कथित उल्लंघन को लेकर किए दावों को लेकर कारण बताओ नोटिस जारी किया है। ‘हिंडनबर्ग’ ने अडानी समूह पर शेयरों के भाव में हेराफेरी और वित्तीय गड़बड़ियों का आरोप लगाते हुए एक रिपोर्ट जारी की थी। अमेरिकी कंपनी ने बताया कि भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने उसे कारण बताओ नोटिस भेजा है। उसने इस नोटिस को ‘‘बेतुका’’ और ‘‘पूर्व-निर्धारित उद्देश्य की पूर्ति के लिए गढ़ा गया’’ बताया।
उसने कहा कि यह ‘‘भारत में सबसे शक्तिशाली लोगों द्वारा किए गए भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी को उजागर करने वालों को चुप कराने तथा डराने का प्रयास है।’’ अमेरिकी कंपनी ने कहा कि कारण बताओ नोटिस से कुछ प्रश्नों का समाधान हो गया है, ‘‘ क्या हिंडनबर्ग ने अडानी को नुकसान पहुंचाने के लिए दर्जनों कंपनियों के साथ काम किया, जिससे करोड़ों डॉलर कमाए? नहीं ...हमारे पास एक निवेशक साझेदार था और लागतों के बाद हम शायद ही अडानी ‘शॉर्ट’ पर ‘ब्रेक-ईवन’ से ऊपर आ पाएं।’’
इसमें कहा गया, ‘‘अडानी पर हमारा काम वित्तीय या व्यक्तिगत सुरक्षा के नजरिए से कभी भी उचित नहीं था, लेकिन यह अब तक का वह काम है जिस पर हमें सबसे अधिक गर्व है।’’ हिंडनबर्ग ने कहा कि उसे 27 जून को सेबी से एक ईमेल मिला तथा बाद में एक कारण बताओ नोटिस भेजा गया जिसमें भारतीय नियमों के संदिग्ध उल्लंघन का उल्लेख था। कंपनी ने कहा, ‘‘ आज तक अडानी (समूह) हमारी रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों का जवाब देने में विफल रहा है। इसके बजाय उन्होंने हमारे द्वारा उठाए गए हर प्रमुख मुद्दे को नजरअंदाज करते हुए जवाब दिया और बाद में मीडिया में लगाए गए आरोपों का पूरी तरह खंडन किया है।’
9 NBFC ने RBI को पंजीकरण प्रमाणपत्र लौटाया
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने मंगलवार को कहा कि उज्जीवन फाइनेंशियल सर्विसेज समेत नौ गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) ने केंद्रीय बैंक को अपना पंजीकरण प्रमाणपत्र (सीओआर) लौटा दिया है। इनमें से पांच एनबीएफसी ने गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थान काराबार से बाहर होने की वजह से अपना पंजीकरण प्रमाणपत्र लौटा दिया है। इनके नाम विगफिन होल्डिंग्स, स्ट्रिप कमोडियल, एलियम फाइनेंस, इटरनाइट फिनवेस्ट और फिनो फाइनेंस हैं।
इनके अलावा एलेग्रो होल्डिंग्स, टेम्पल ट्रीज इम्पेक्स एंड इन्वेस्टमेंट और हेम फाइनेंशियल सर्विसेज ने अपंजीकृत प्रमुख निवेश कंपनी (सीआईसी) के लिए निर्धारित मानदंडों को पूरा करने के बाद अपने प्रमाणपत्रों को लौटाया है। सीआईसी को पंजीकरण की जरूरत नहीं होती है। वहीं आरबीआई ने कहा कि उज्जीवन फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड ने विलय हो जाने के बाद वैध इकाई नहीं रह जाने की वजह से अपना पंजीकरण प्रमाणपत्र लौटा दिया है।
नये शिखर पर पहुंचने के बाद सेंसेक्स, निफ्टी में मामूली गिरावट
स्थानीय शेयर बाजार में मंगलवार को कारोबार के दौरान तेजी रही और दोनों मानक सूचकांक बीएसई सेंसेक्स और एनएसई निफ्टी नये शिखर पर पहुंच गये लेकिन बाद में मुनाफावसूली से ये मामूली गिरावट के साथ बंद हुए। शेयरों के अधिक भाव को लेकर चिंता के बीच चुनिंदा बैंकों और दूरसंचार कंपनियों के शेयरों में मुनाफावसूली से बाजार मामूली नुकसान में रहा। उतार-चढ़ाव भरे कारोबार में तीस शेयरों पर आधारित बीएसई सेंसेक्स 34.74 अंक यानी 0.04 प्रतिशत की गिरावट के साथ 79,441.45 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान एक समय यह 379.68 अंक यानी 0.47 प्रतिशत की बढ़त के साथ रिकॉर्ड 79,855.87 अंक तक चला गया था।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 18.10 अंक यानी 0.07 प्रतिशत की गिरावट के साथ 24,123.85 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान एक समय यह 94.4 अंक यानी 0.39 प्रतिशत की बढ़त के साथ अबतक के उच्चतम स्तर 24,236.35 अंक तक चला गया था।सेंसेक्स के शेयरों में कोटक महिंद्रा बैंक, भारती एयरटेल, इंडसइंड बैंक, टाटा मोटर्स, आईसीआईसीआई बैंक, बजाज फाइनेंस, भारतीय स्टेट बैंक और टाइटन प्रमुख रूप से नुकसान में रहे। दूसरी तरफ लाभ में रहने वाले शेयरों में लार्सन एंड टुब्रो, इन्फोसिस, एचडीएफसी बैंक, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, एचसीएल टेक्नोलॉजीज और टाटा स्टील शामिल हैं।
जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, ‘‘वैश्विक स्तर पर मिले-जुले रुख के बीच बाजार में हल्की गिरावट रही। ईसीबी (यूरोपीयन सेंट्रल बैंक) के नीतिगत दर में कटौती को लेकर सतर्क रुख के साथ वैश्विक स्तर पर रुख मिला-जुला रहा। हाल में अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल में तेजी और कच्चे तेल की कीमतों में धीरे-धीरे हो रही वृद्धि बाजार रुख को प्रभावित कर रहा है।’’
सेबी के निर्देश के बाद ब्रोकरेज कंपनियों के शेयरों में बड़ी गिरावट
शेयर बाजारों और अन्य बाजार ढांचागत संस्थानों (एमआईआई) को सभी सदस्यों के लिए एकसमान शुल्क लगाने का सेबी का आदेश आने के एक दिन बाद मंगलवार को शेयर ब्रोकरेज कंपनियों के शेयरों में गिरावट दर्ज की गई। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने सोमवार को शेयर बाजारों और अन्य एमआईआई को निर्देश दिया था कि सभी सदस्यों के लिए उनकी मात्रा या गतिविधि के आधार पर अलग-अलग शुल्क लगाने के बजाय एक ही तरह का और समान शुल्क संरचना लागू किया जाए। इस निर्देश का असर शेयर ब्रोकरेज कंपनियों के शेयरों की गिरावट के रूप में सामने आया।
कारोबार बंद होने पर एंजल वन के शेयर में 8.72 प्रतिशत, जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज में 6.83 प्रतिशत, मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज में 4.19 प्रतिशत, एसएमसी ग्लोबल सिक्योरिटीज में 2.81 प्रतिशत, डोलट एल्गोटेक के शेयर में 2.28 प्रतिशत और 5पैसा कैपिटल में 0.05 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। कारोबार के दौरान इनके शेयरों में कहीं अधिक गिरावट आई थी लेकिन बाद में ये थोड़ा संभल गए। एक समय एंजल वन में 10.50 प्रतिशत, जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज में 7.59 प्रतिशत और डोलट एल्गोटेक में 5.39 प्रतिशत की गिरावट आ गई थी। बाजार नियामक सेबी ने शेयर बाजारों, समाशोधन निगमों और डिपॉजिटरी से कहा है कि अगर अंतिम ग्राहक पर एक निश्चित शुल्क लगाया जाता है तो एमआईआई यह सुनिश्चित करें कि उन्हें समान राशि मिले।
यूपीआई से लेनदेन जून में 49 प्रतिशत बढ़ा
भारत में यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) प्लेटफॉर्म से लेनदेन की संख्या सालाना आधार पर 49 प्रतिशत बढ़कर 13.9 अरब हो गई है। नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) द्वारा जारी किए गए डेटा में यह जानकारी दी गई है। लेनदेन की संख्या मई के 14 अरब के मुकाबले थोड़ी सी कम है। इसकी वजह जून में मई के मुकाबले कम दिन का होना है। जून में यूपीआई लेनदेन की कुल वैल्यू सालाना आधार पर 36 प्रतिशत बढ़कर 20.1 लाख करोड़ रही है। मई में यूपीआई लेनदेन की वैल्यू सालाना आधार पर 37 प्रतिशत बढ़कर 20.4 लाख करोड़ रुपये पर थी। एनपीसीआई के डेटा के मुताबिक, जून में यूपीआई से औसत लेनदेन की संख्या प्रतिदिन 463 मिलियन रही है और प्रतिदिन औसत 66,903 करोड़ रुपये का लेनदेन हुआ है।
आधार के जरिए होने वाले भुगतान की संख्या में सालाना 4 प्रतिशत की बढ़त हुई है और यह 100 मिलियन पर पहुंच गया है। हालांकि, कुल भुगतान वैल्यू सालाना आधार पर 5 प्रतिशत गिरकर 25,122 करोड़ रुपये रही है। औसत प्रतिदिन लेनदेन की संख्या 3.3 मिलियन पर रही है और औसत प्रतिदिन लेनदेन वैल्यू 837 करोड़ रुपये रही। जून में फास्टैग लेनदेन की संख्या में सालाना आधार पर 6 प्रतिशत का इजाफा हुआ है और यह 334 मिलियन रही है। वहीं, इन लेनदेन की वैल्यू 11 प्रतिशत बढ़कर 5,780 करोड़ रुपये पर रही। यूपीआई के लेनदेन में बढ़त की वजह रुपे क्रेडिट कार्ड को यूपीआई से जोड़ना और यूपीआई को विदेशों में भी लॉन्च करना है।
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