अर्थजगतः मंहगाई की मार जारी, शाकाहारी थाली हुई महंगी और बांग्लादेश से होने वाला व्यापार अब भी ठप

शेयर बाजारों में मंगलवार को उतार-चढ़ाव भरे कारोबार में शुरुआती तेजी कायम नहीं रह सकी और और बीएसई सेंसेक्स 166 अंक के नुकसान में रहा। स्थानीय सर्राफा बाजार में मंगलवार को सोने का भाव 1,100 रुपये लुढ़ककर 71,700 रुपये प्रति 10 ग्राम रह गया।

मंहगाई की मार जारी, शाकाहारी थाली हुई महंगी
मंहगाई की मार जारी, शाकाहारी थाली हुई महंगी
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नवजीवन डेस्क

मंहगाई की मार जारी, शाकाहारी थाली हुई महंगी

जुलाई महीने में शाकाहारी और मांसाहारी थाली की कीमतों में क्रमश: 11 फीसदी और 6 फीसदी की वृद्धि हुई है। मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। हालांकि, साल-दर-साल आधार पर जुलाई में घर पर पकाई गई शाकाहारी थाली की लागत में चार प्रतिशत की कमी आई, जबकि मांसाहारी थाली की लागत में नौ प्रतिशत की कमी आई। भारतीय रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के अनुसार अनाज, दालें, ब्रायलर, सब्जियां, मसाले, खाद्य तेल और रसोई गैस की कीमतों ने थाली की लागत में बदलाव किया है। शाकाहारी थाली (वेज थाली) की लागत में 11 प्रतिशत की वृद्धि हुई। इस वृद्धि में से सात प्रतिशत केवल टमाटर की कीमतों के कारण है। जून में एक किलो टमाटर की कीमत 42 रुपये थी, यह 55 प्रतिशत बढ़कर जुलाई में 66 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई। आंकड़ों के अनुसार, इसका मुख्य कारण उच्च तापमान है, जिससे कर्नाटक और आंध्र प्रदेश जैसे प्रमुख राज्यों में ग्रीष्मकालीन फसल प्रभावित हुई है। इसके अलावा मई में कर्नाटक में छिटपुट बारिश की वजह से सफेद मक्खी का प्रकोप बढ़ गया, जिससे फसल उत्पादन पर असर पड़ा।

रिपोर्ट के अनुसार, "नॉन-वेज थाली की कीमत वेज थाली की तुलना में धीमी रफ्तार से बढ़ी है। इसका कारण यह है कि ब्रायलर की कीमत जो कुल लागत का 50 प्रतिशत से ज्यादा है, स्थिर रहने का अनुमान है।" क्रिसिल की रिपोर्ट के अनुसार, प्याज और आलू की कीमत में महीने-दर-महीने क्रमशः 20 प्रतिशत और 16 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जिससे वेज थाली की कीमत और बढ़ गई है। पिछले वित्त वर्ष में टमाटर की कीमतों में 40 प्रतिशत की गिरावट के कारण साल-दर-साल वेज थाली की लागत में कमी आई थी। जुलाई 2023 में कीमतें 110 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई थीं। इसका कारण अचानक आई बाढ़ और कर्नाटक में कीटों के हमले थे, जिसके कारण उत्तरी राज्यों में आपूर्ति और उत्पादन प्रभावित हुआ था। रिपोर्ट में बताया गया है कि नॉन-वेज थाली के लिए लागत में साल-दर-साल कमी वित्त वर्ष 2024 के उच्च आधार पर ब्रायलर की कीमतों में अनुमानित 11 प्रतिशत की गिरावट के कारण हुई।

पश्चिम बंगाल के रास्ते बांग्लादेश को होने वाला व्यापार अब भी ठप

पड़ोसी देश बांग्लादेश में फैली व्यापक अशांति एवं अस्थिरता की वजह से पश्चिम बंगाल के रास्ते होने वाला सीमापार व्यापार मंगलवार को भी पूरी तरह ठप रहा। बांग्लादेश में एक महीने से अधिक समय से जारी आरक्षण-विरोधी आंदोलन के हिंसक रूप अख्तियार करने के बाद प्रधानमंत्री शेख हसीना को सोमवार को इस्तीफा देकर देश छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा। इसकी वजह से चौतरफा अव्यवस्था की स्थिति बनी हुई है।

पश्चिम बंगाल निर्यातक समन्वय समिति के सचिव उज्जल साहा ने कहा कि राज्य में भूमि बंदरगाहों के माध्यम से व्यापार बांग्लादेश के सीमा शुल्क विभाग द्वारा माल की निकासी नहीं होने से रुका हुआ है। इसकी वजह से सैकड़ों ट्रक पार्किंग स्थल में खड़े हैं। सूत्रों ने कहा कि पश्चिम बंगाल में पेट्रापोल, गोजाडांगा, महादीपुर और फुलवारी में स्थित भूमि बंदरगाहों के जरिये होने वाला भारत-बांग्लादेश व्यापार प्रभावित हुआ है। इस दौरान कुछ यात्रियों की आवाजाही की सूचना मिली है लेकिन उनकी मौजूदगी कम बनी हुई है। साहा ने कहा कि रविवार को बांग्लादेश सरकार की तरफ से जारी अधिसूचना में जरूरी सेवाओं को छोड़कर बुधवार तक की छुट्टी घोषित की गई है।

पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले में स्थित सबसे बड़े भूमि बंदरगाह पेट्रापोल से बांग्लादेश को व्यापार थम गया है। इसकी वजह यह है कि बांग्लादेश की सीमा में बेनापोल सीमा शुल्क चौकी अब भी काम नहीं कर रही है। उन्होंने कहा कि मौजूदा हालात को देखते हुए भूमि बंदरगाहों पर सुरक्षा बढ़ा दी गई है। बांग्लादेश दक्षिण एशिया में भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। भारत का बांग्लादेश को निर्यात 2022-23 के 12.21 अरब डॉलर से घटकर 2023-24 में 11 अरब डॉलर रह गया। इसी अवधि में आयात दो अरब डॉलर से घटकर 1.84 अरब डॉलर रह गया। भारत बांग्लादेश को मुख्य रूप से सब्जियां, कॉफी, चाय, मसाले, चीनी, कन्फेक्शनरी, रिफाइंड पेट्रोलियम तेल, रसायन, कपास, लोहा और इस्पात तथा वाहनों का निर्यात करता है जबकि प्रमुख आयात मछली, प्लास्टिक, चमड़ा और परिधान हैं।


शेयर बाजार में गिरावट जारी, सेंसेक्स 166 अंक टूटा

स्थानीय शेयर बाजारों में मंगलवार को उतार-चढ़ाव भरे कारोबार में शुरुआती तेजी कायम नहीं रह सकी और और बीएसई सेंसेक्स 166 अंक के नुकसान में रहा। वहीं एनएसई निफ्टी 24,000 अंक के नीचे आ गया। बैंक और दूरसंचार शेयरों में बिकवाली से बाजार नुकसान में रहा। बाजार में लगातार तीसरे कारोबारी सत्र में गिरावट रही और 30 शेयरों पर आधारित बीएसई सेंसेक्स 166.33 अंक यानी 0.21 प्रतिशत की गिरावट के साथ 78,593.07 अंक पर बंद हुआ। सेंसेक्स के 30 शेयरों में 17 नुकसान में जबकि 13 लाभ में रहे।

सूचकांक बढ़त के साथ खुला और निवेशकों की लिवाली से एक समय यह 1,092.68 अंक तक चढ़कर 79,852.08 अंक तक चला गया था। हालांकि, बाद में बैंक शेयरों में बिकवाली दबाव से इसमें गिरावट आई और यह 78,496.57 अंक के निचले स्तर तक आया। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 63.05 अंक यानी 0.26 प्रतिशत की गिरावट के साथ 24,000 अंक के नीचे 23,992.55 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान सूचकांक एक समय 327 अंक चढ़कर 24,382.60 अंक तक चला गया था, लेकिन यह तेजी कायम नहीं रह पायी।

सोने में 1,100 रुपये की गिरावट, चांदी 2,200 रुपये लुढ़की

आभूषण विक्रेताओं की कमजोर मांग के कारण स्थानीय सर्राफा बाजार में मंगलवार को सोने का भाव 1,100 रुपये लुढ़ककर 71,700 रुपये प्रति 10 ग्राम रह गया। पिछले कारोबारी सत्र में सोना 72,800 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ था। अखिल भारतीय सर्राफा संघ ने कहा कि चांदी की कीमतों में लगातार चौथे सत्र में गिरावट जारी रही और आज यह 2,200 रुपये लुढ़ककर 82,000 रुपये प्रति किलोग्राम पर बंद हुई। पिछले कारोबारी सत्र में चांदी 84,200 रुपये प्रति किलोग्राम पर बंद हुई थी।

दो अगस्त को चांदी की कीमत 86,000 रुपये प्रति किलोग्राम पर कारोबार कर रही थी, जिसके बाद से चार सत्रों में इसकी कीमत में 4,200 रुपये प्रति किलोग्राम की गिरावट आई है। इसके अलावा, 99.5 प्रतिशत शुद्धता वाले सोने का भाव 1,100 रुपये लुढ़ककर 71,350 रुपये प्रति दस ग्राम रह गया। इसका पिछला बंद भाव 72,450 रुपये प्रति 10 ग्राम था। बाजार सूत्रों ने कहा कि आभूषण विक्रेताओं और खुदरा खरीदारों की ओर से मांग में कमी के कारण सोने की कीमतों में गिरावट आई।


जुलाई में 10 प्रतिशत बढ़ी कारों, एसयूवी की खुदरा बिक्री

भारत में कारों और एसयूवी सहित यात्री वाहनों की खुदरा बिक्री इस साल जुलाई में 10 प्रतिशत बढ़कर 3,20,129 वाहन हो गई, जबकि पिछले साल इसी महीने में यह 2,90,564 थी। फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन (फाडा) के अनुसार यह नए मॉडल लॉन्च और उच्च छूट की वजह से संभव हुआ है। फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन (एफएडीए) के उपाध्यक्ष सीएस विग्नेश्वर ने एक बयान में कहा, "डीलरों ने अच्छे उत्पाद उपलब्धता, आकर्षक योजनाओं और उत्पादों की विस्तृत श्रृंखला की वजह से इस लाभ की सूचना दी है।" उन्होंने कहा कि भारी बारिश, उपभोक्ता की कम मांग और तीव्र प्रतिस्पर्धा की चुनौतियां के बाद भी डीलर बेहतर प्रचार और बढ़ती छूट के माध्यम से बिक्री बनाए रखने में कामयाब रहे।

हालांकि, विग्नेश्वर ने यह भी बताया कि यह वृद्धि हाई इन्वेंट्री लेवल के साथ हुई, जो 67-72 दिनों की ऐतिहासिक उंचाई पर पहुंच गई है, जो 73,000 करोड़ रुपये के स्टॉक के बराबर है। उन्होंने कहा, ''यह डीलरों की स्थिरता के लिए एक बड़ा जोखिम पैदा करता है, जिसके लिए अत्यधिक सावधानी की आवश्यकता होती है। फाडा (एफएडीए) ने पीवी मूल उपकरण निर्माताओं (ओईएम) से इन हाई इन्वेंट्री लेवल के कारण डीलरों को होने वाली परेशानी से सतर्क रहने का आग्रह किया है।''

जुलाई में दोपहिया वाहनों की खुदरा बिक्री 14,43,463 यूनिट रही, जो जुलाई 2023 की 12,31,930 यूनिट से 17 प्रतिशत अधिक है। विग्नेश्वर ने कहा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था में आई संपन्नता, बेहतर मानसून के सकारात्मक प्रभाव और ग्रामीण आय बढ़ाने वाले सरकार के कार्यक्रमों के कारण इस सेक्शन में मजबूत वृद्धि देखी गई। उन्होंने कहा, "कुछ क्षेत्रों में बाजार में मंदी, अत्यधिक बारिश और बढ़ती प्रतिस्पर्धा के बावजूद नए उत्पादों का बाजार में आना और बेहतर स्टॉक उपलब्ध होने की वजह से यह वृद्धि देखी गई है।"

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