अर्थजगतः शेयर बाजार में बड़ी गिरावट, सेंसेक्स 820 अंक गिरा और अक्टूबर में खुदरा महंगाई बढ़कर 6.21 प्रतिशत पहुंची
शेयर बाजार में तेज गिरावट के चलते मंगलवार को निवेशकों के 5.29 लाख करोड़ रुपये से अधिक डूब गए। भारत के इंडेक्स ऑफ इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन (आईआईपी) में सितंबर में 3.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
शेयर बाजार में बड़ी गिरावट, सेंसेक्स 820 अंक गिरा
भारतीय शेयर बाजार मंगलवार के कारोबारी दिन लाल निशान में बंद हुआ। कारोबार के अंत में आईटी और रियलिटी को छोड़कर सभी सेक्टर में भारी बिकवाली रही। भारतीय बेंचमार्क सूचकांक 1 प्रतिशत से ज्यादा की गिरावट में बंद हुए हैं। सेंसेक्स कारोबार के अंत में 820.97 अंक या 1.03 प्रतिशत गिरकर 78,675.18 पर आ गया। वहीं, दूसरी ओर निफ्टी 257.85 अंक या 1.07 प्रतिशत की गिरावट के बाद 23,883.45 पर आ गया। निफ्टी बैंक 718.95 अंक या 1.39 प्रतिशत की भारी गिरावट के बाद 51,157.80 पर आ गया। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स कारोबार के अंत में 596.25 अंक या 1.07 प्रतिशत गिरने के बाद 55,257.50 पर बंद हुआ। निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 233.55 अंक या 1.28 प्रतिशत गिरने के बाद 17,991.60 पर बंद हुआ।
निफ्टी के पीएसई सेक्टर में भारी बिकवाली रही। इसके अलावा, ऑटो, पीएसयू बैंक, फाइनेंशियल सर्विस, फार्मा, एफएमसीजी, मेटल, मीडिया, एनर्जी, प्राइवेट बैंक और इंफ्रा सेक्टर में भी बिकवाली रही। सेंसेक्स पैक में एनटीपीसी, एचडीएफसी बैंक, एशियन पेंट्स, एसबीआई, टाटा मोटर्स, जेएसडब्ल्यू स्टील, मारुति, पावर ग्रिड, बजाज फाइनेंस, एमएंडएम, बजाज फिनसर्व, नेस्ले इंडिया, एक्सिस बैंक और कोटक महिंद्रा बैंक टॉप लूजर्स रहे। वहीं, सन फार्मा, इंफोसिस और आईसीआईसीआई बैंक टॉप गेनर्स थे। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) पर 1,236 शेयर हरे, 2,234 शेयर लाल निशान पर कारोबार कर रहे थे। वहीं, 91 शेयर में किसी तरह का कोई बदलाव नहीं रहा।
बाजार के जानकारों के अनुसार, "एफआईआई द्वारा प्रेरित बिक्री दबाव ने घरेलू बाजार को प्रभावित करना जारी रखा। आक्रामक 'ट्रम्पोनॉमिक्स' द्वारा संचालित डॉलर की हालिया मजबूती ने आशंकाओं को और बढ़ा दिया है।" एलकेपी सिक्योरिटीज के जतिन त्रिवेदी के अनुसार, "रुपया 0.01 रुपये कमजोर होकर 84.40 पर बंद हुआ, क्योंकि, एफआईआई ने भारतीय बाजार में अपनी बिकवाली जारी रखी। हालांकि, कच्चे तेल और सोने की कीमतों में गिरावट से रुपये को कुछ राहत मिली, क्योंकि गिरावट की कम गति से आने वाले महीनों में भारत के आयात बिल में संभावित रूप से सुधार हो सकता है।"
अक्टूबर में खुदरा महंगाई बढ़कर 6.21 प्रतिशत पहुंची
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति अक्टूबर में बढ़कर 6.21 प्रतिशत पहुंच गई, जो इससे पिछले महीने यानी सितंबर में 5.49 प्रतिशत थी। मंगलवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, मुख्य रूप से खाद्य वस्तुओं के दाम बढ़ने से खुदरा मुद्रास्फीति बढ़ी है। इस तरह खुदरा मुद्रास्फीति भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के छह प्रतिशत के संतोषजनक स्तर के ऊपर निकल गई है। पिछले साल इसी महीने में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति 4.87 प्रतिशत थी।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के आंकड़ों से पता चलता है कि खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति अक्टूबर में बढ़कर 10.87 प्रतिशत हो गई, जो सितंबर में 9.24 प्रतिशत और पिछले साल अक्टूबर में 6.61 प्रतिशत थी। आरबीआई ने पिछले महीने नीतिगत दर रेपो को 6.5 प्रतिशत पर यथावत रखा था। सरकार ने केंद्रीय बैंक को मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत (दो प्रतिशत घट-बढ़) पर रखने की जिम्मेदारी दी हुई है। खुदरा मुद्रास्फीति पिछले साल सितंबर से आरबीआई के छह प्रतिशत के संतोषजनक स्तर से नीचे चल रही थी। अगस्त, 2023 में यह 6.83 प्रतिशत पर थी।
शेयर बाजार में भारी गिरावट से निवेशकों के 5.29 लाख करोड़ रुपये डूबे
शेयर बाजार में तेज गिरावट के चलते मंगलवार को निवेशकों के 5.29 लाख करोड़ रुपये से अधिक डूब गए। इस दौरान बीएसई सेंसेक्स 800 अंक से अधिक गिर गया। कंपनियों के कमजोर तिमाही नतीजों, विदेशी निवेशकों की निकासी जारी रहने और एशियाई तथा यूरोपीय बाजारों में कमजोर रुझान से स्थानीय बाजारों में कमजोरी आई। बीएसई सेंसेक्स 820.97 अंक या 1.03 प्रतिशत गिरकर 78,675.18 पर बंद हुआ। दिन के कारोबार में यह 948.31 अंक या 1.19 प्रतिशत गिरकर 78,547.84 पर आ गया था।
बीएसई में सूचीबद्ध कंपनियों का बाजार पूंजीकरण 5,29,525.42 करोड़ रुपये घटकर 4,37,24,562.57 करोड़ रुपये रह गया। बीएसई स्मॉलकैप सूचकांक में 1.26 प्रतिशत और मिडकैप में 0.98 प्रतिशत की गिरावट आई। क्षेत्रवार सूचकांकों की बात करें तो बिजली में 2.79 प्रतिशत, उपयोगिताओं में 2.20 प्रतिशत, पूंजीगत सामान में 2.14 प्रतिशत, वाहन में 1.95 प्रतिशत, औद्योगिक उत्पादों में 1.82 प्रतिशत और धातु में 1.52 प्रतिशत की गिरावट हुई।
बीएसई पर कुल 2,742 शेयरों में गिरावट आई, जबकि 1,226 में तेजी आई और 93 में कोई बदलाव नहीं हुआ। एशिया के अन्य बाजारों में दक्षिण कोरिया का कॉस्पी, जापान का निक्की, चीन का शंघाई कम्पोजिट और हांगकांग का हेंगसेंग नुकसान के साथ बंद हुए।
भारत का इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन सितंबर में 3.1 प्रतिशत बढ़ा
भारत के इंडेक्स ऑफ इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन (आईआईपी) में सितंबर में 3.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। अगस्त में इसमें 0.1 प्रतिशत की कमजोरी दर्ज की गई थी। सांख्यिकी मंत्रालय द्वारा मंगलवार को जारी किए गए डेटा में यह जानकारी दी गई थी। मैन्युफैक्चरिंग आउटपुट, जिसकी आईआईपी में तीन-चौथाई प्रतिशत की हिस्सेदारी है। इसमें सितंबर में सालाना आधार पर 3.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। यह सेक्टर देश में इंजीनियरिंग संस्थाओं और विश्वविद्यालयों से पास होने वाले युवा छात्रों को क्वालिटी जॉब मुहैया कराता है।
सरकार द्वारा आधिकारिक बयान में कहा गया कि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में सितंबर 2024 के महीने के लिए शीर्ष तीन सकारात्मक योगदानकर्ता - 5.3 प्रतिशत की वृद्धि के साथ कोक और रिफाइंड पेट्रोलियम उत्पाद, 2.5 प्रतिशत की वृद्धि के साथ बुनियादी धातु और 18.7 प्रतिशत की तेजी के साथ इलेक्ट्रिकल उपकरण हैं। आंकड़ों के मुताबिक, इस दौरान बिजली का उत्पादन 0.5 प्रतिशत और माइनिंग गतिविधियां 0.2 प्रतिशत बढ़ी हैं। अप्रैल-सितंबर अवधि में इंडस्ट्रियल उत्पादन में वृद्धि दर 4 प्रतिशत रही है, जबकि एक साल पहले इसी अवधि में संशोधित वृद्धि दर 6.2 प्रतिशत थी।
उपयोगकर्ता वर्गीकरण पर आधारित आंकड़े बताते हैं कि पूंजीगत वस्तुओं का उत्पादन, जिसमें कारखानों में इस्तेमाल होने वाली मशीनें शामिल हैं, 2.8 प्रतिशत बढ़ गया है। यह खंड अर्थव्यवस्था में हो रहे वास्तविक निवेश को दर्शाता है, जिसका आगे चलकर नौकरियों और आय के सृजन पर कई गुना प्रभाव पड़ता है। सितंबर के दौरान इलेक्ट्रॉनिक सामान, रेफ्रिजरेटर और टीवी जैसे उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुओं के उत्पादन में भी 6.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो बढ़ती आय के बीच इन वस्तुओं की उच्च उपभोक्ता मांग को दर्शाता है। साबुन और सौंदर्य प्रसाधन जैसे उपभोक्ता गैर-टिकाऊ वस्तुओं के उत्पादन में महीने के दौरान मामूली 2.0 प्रतिशत की वृद्धि हुई। इन आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि सितंबर के दौरान मध्यवर्ती वस्तुओं के उत्पादन में 4.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि पिछले वर्ष के इसी महीने की तुलना में बुनियादी ढांचे/निर्माण वस्तुओं में 3.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
ईरान और रूस ने अपनी राष्ट्रीय भुगतान प्रणालियों को आपस में जोड़ा
ईरान और रूस ने अपनी राष्ट्रीय भुगतान प्रणालियों को आपस में जोड़ दिया। द्विपक्षीय लेन-देन में अमेरिकी डॉलर को दरकिनार करने की दिशा में यह एक अहम कदम है। ईरान की आधिकारिक समाचार एजेंसी इरना के हवाले से सिन्हुआ ने बताया, रूस की भुगतान प्रणाली मीर और ईरान की शेताब पेमेंट सिस्टम के बीच लिंकेज का ऐलान एक समारोह में किया गया। इस मौके पर ईरान के सेंट्रल बैंक (सीबीआई) के गवर्नर मोहम्मद-रेजा फरजिन और मास्को में ईरानी राजदूत काजेम जलाली शामिल हुए।
रिपोर्ट में कहा गया, ''इस समारोह में प्रोजेक्ट के पहले चरण का अनावरण किया गया, जिसके तहत ईरानी नागरिक अपने बैंक कार्ड का उपयोग करके रूसी एटीएम से रूबल में नकदी निकाल सकेंगे। दूसरे चरण में रूसी नागरिक ईरान में नकदी निकाल सकेंगे। अंतिम चरण में ईरानी लोग अपने बैंक कार्ड के साथ पॉइंट ऑफ सेल डिवाइस का उपयोग करके रूसी स्टोर पर खरीदारी कर सकेंगे।
अर्ध-आधिकारिक फार्स समाचार एजेंसी ने समारोह में फरजिन की टिप्पणियों का हवाला देते हुए बताया, "आज, हम ईरान और रूस के बीच आर्थिक संबंधों के डी-डॉलरीकरण की दिशा में एक बड़ा कदम उठा रहे हैं।" फरजिन ने कहा कि चार ईरानी बैंकों ने इस नई सर्विस की पेशकश की है, और आवश्यक उपायों के कार्यान्वयन के बाद इसमें कई और बैंकों के शामिल होने ही उम्मीद है। ईरान और रूस दोनों ने हाल ही में अमेरिकी प्रतिबंधों का मुकाबला करने के लिए विशेष रूप से बैंकिंग क्षेत्र में अपने राजनीतिक और आर्थिक संबंधों का विस्तार किया है। पिछले दिसंबर में फरजिन ने अपनी रूसी समकक्ष एल्वीरा नबीउलीना से मुलाकात कर एक समझौते को अंतिम रूप दिया था, जिसके तहत डॉलर के बजाय दोनों देशों को राष्ट्रीय मुद्राओं में द्विपक्षीय व्यापार की अनुमति होगी।
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