CII सर्वेः लॉकडाउन से छूट के बाद भी कंपनियों में काम ठप, न मजदूर मिल रहे, न कच्चा माल, कहां से शुरू हो काम

देश में जारी लॉकडाउन के बीच केंद्र सरकार ने कई सेक्टर की कंपनियों को कामकाज की मंजूरी दी है। लेकिन सीआईआई के एक सर्वे में सामने आया है कि मजदूरों की कमी और कच्चे माल की अनुपलब्धता की वजह से अधिकांश कंपनियों के लिए अपना काम शुरू करना नामुमकिन है।

फोटोः सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

कोरोना संकट के चलते देशव्यापी लॉकडाउन के कारण देश की अर्थव्यवस्था पर पड़े असर को देखते हुए केंद्र सरकार ने कई सेक्टरों की कंपनियों को कामकाज शुरू करने की छूट दी है। कई राज्य सरकारों ने भी अपने यहां आर्थिक गतिविधियों के साथ निर्माण कार्य शुरू करने की इजाजत दी है। लेकिन इस सबके बावजूद कंपनियों में कामकाज शुरू नहीं हो पा रहा। कंपनियां चाहकर भी काम शुरू नहीं कर पा रही हैं, क्योंकि मजदूरों की भारी कमी और कच्चे माल की गंभीर समस्या है।

यह खुलासा कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (सीआईआई) द्वारा वर्तमान हालात पर कराए गए एक देशव्यापी सर्वे में हुआ है। सीआईआई ने ये सर्वे लॉकडाउन से उबरने के लिए विभिन्न सेक्टर और आकार की कंपनियों की ताजा स्थिति जानने के लिए किया है। सर्वे में 39 फीसदी लोगों ने माना कि कामकाज शुरू करने में बाधा आ रही है, क्योंकि मजदूरों की भारी कमी है और कच्चे माल और तैयार माल की आवाजाही में देरी हो रही है।

सीआईआई के इस सर्वे में 23 फीसदी ने कहा कि लॉकडाउन के कारण ही कामकाज शुरू करने के लिए जरूरी माल ही उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। इस सर्वे में शामिल केवल 15 फीसदी लोगों ने माना कि सामान का आवागमन समय से हो पा रहा है। जबकि 42 फीसदी उद्योगों ने माना कि कर्मचारियों के पास में देरी हो रही है या फिर पास उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं। इसी तरह सर्वे में शामिल दो-तिहाई लोगों ने माना कि कर्मचारियों को फैक्ट्री से घर और घर से फैक्ट्री लाना-ले जाना भी एक बड़ा मुद्दा है।

ज्यादातर कंपनियों में 25 फीसदी से भी कम कर्मचारी

इस सर्वे से पता चला है कि 58 फीसदी कंपनियों के पास काम करने के लिए 25 फीसदी से भी कम कर्मचारी हैं। केवल 10 फीसदी कंपनियों के पास ही कर्मचारियों की संख्या आधे से ज्यादा है। सीसीआई ने कहा कि कंपनियों के कामकाज शुरू करने में मजदूरों को वापस लाना सबसे बड़ी समस्या है। सर्वे में शामिल अधिकांश कंपनियां ने कहा कि उन्हें काम शुरू करने के लिए परमीट मिलने में देरी हुई।

सीआईआई सर्वे में शामिल 46 फीसदी कंपनियों ने कहा कि उन्हें काम शुरू करने के लिए परमिट नहीं मिला है या फिर परमिट मिलने में देरी हो रही है। इसमें केवल 20 फीसदी कंपनियों ने माना कि उन्हें आसानी से परमिट मिल गया है। इस समस्या को देखते हुए सीआईआई ने सरकार से सिफारिश की है कि परमिट जारी करने के लिए निश्चित समयसीमा तय की जाए और उसके बीतने के बाद स्वत: परमिट दे दिया जाए। फिलहाल इस पर कोई फैसला नहीं आया है। सर्वे में शामिल अधिकांश कंपनियों ने माना कि वे अपनी क्षमता के मुकाबले 25 फीसदी ही काम कर पा रहे हैं।

सीआईआई के डायरेक्टर जनरल चंद्रजीत बनर्जी ने भी कहा कि सर्वे से पता चला है कि उद्योग परमिट, वर्कर्स पास और सप्लाई चेन का आवागमन उद्योग जगत को लॉकडाउन से बाहर निकलने की राह में सबसे बड़ी बाधा बन रहे हैं। उन्होंने कहा कि संगठन ने सुझाव दिया है कि कोरोना के नॉन कंटेनमेंट जोन इलाकों में कंपनियों को बिना परमिट और पास काम करने की इजाजत दी जाए। साथ ही मजदूरों को कंपनी की ओर से जारी पत्र पर ही अपने वाहन से यात्रा करने की अनुमति दी जानी चाहिए। बनर्जी ने कहा कि इन बाधाओं को दूर करने के लिए ऐसे कुछ निर्णय लेने पड़ेंगे, तभी उद्योग जगत उबर पाएगा।

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