नोटबंदी की बरसी: क्या वैध हैं 2000 और 200 रुपए के नोट? आरबीआई के पास नहीं है कोई सबूत
भारतीय रिजर्व बैंक के पास यह प्रमाणित करने का कोई आधिकारिक दस्तावेज नहीं है कि नोटबंदी के बाद उसके पास 2,000 रुपये और 200 रुपये के नए नोट जारी करने का अधिकार था या नहीं। ये खुलासा आरटीआई से हुआ है।
देश के सभी बैंकों का संचालन करने वाले भारतीय रिजर्व बैंक यानी आरबीआई के बारे में एक चौंका देने वाला खुलासा सामने आया है। आरटीआई के जरिए उपलब्ध दस्तावेजों के मुताबिक, भारतीय रिजर्व बैंक के पास यह प्रमाणित करने का कोई आधिकारिक दस्तावेज नहीं है कि नोटबंदी के बाद उसके पास 2,000 रुपये और 200 रुपये मूल्यवर्ग के नए नोट जारी करने का अधिकार था या नहीं।
मुंबई के आरटीआई कार्यकर्ता एम एस रॉय का कहना है कि, "आरबीआई ने आरटीआई के तहत दिए जवाब से पता चलता है कि देश के केंद्रीय बैंक ने 200 रुपये और 2,000 रुपये के नोट जारी करने की तारीख तक कोई भी सरकारी प्रस्ताव या परिपत्र प्रकाशित नहीं किया था।"
आरटीआई के जवाब से पता चला है कि विमुद्रीकरण यानी नोटबंदी से लगभग छह महीने पहले 19 मई, 2016 का एक दस्तावेज है जिसे भारतीय रिजर्व बैंक के कार्यकारी निदेशक के 8 मई, 2016 को पास प्रस्ताव को केंद्रीय निदेशक मंडल ने मंजूरी दे दी थी। यह प्रस्ताव भावी भारतीय बैंक नोटों के नए डिजाइनों, उनके आकारा और मूल्यों से संबंधित था और बोर्ड ने बोर्ड की बैठक के कुछ मिनट बाद ही मंजूरी के लिए इसे केंद्र सरकार के पास भेज दिया गया था।
इस तरह का प्रस्ताव पहले 8 जुलाई, 1993 को भी तत्कालीन सरकार के पास भेजा गया था, जिसमें 10, 20, 50, 100 और 500 रुपये के आकार को कम कर नए भारतीय बैंक नोटों के एक नए 'परिवार' को शुरू करने का प्रस्ताव रखा गया था।
आरबीआई के मुंबई स्थित केंद्रीय कार्यालय से मुद्रा प्रबंधक विभाग के मुख्य अधिकारी को भेजे गए एक ज्ञापन के मुताबिक, 15 जुलाई, 1993 को निदेशक मंडल की एक बैठक में पुराने प्रस्ताव (8 जुलाई, 1993) को मंजूरी दी गई थी, जिस पर तत्कालीन कार्यकारी निदेशक ए.पी. अय्यर के हस्ताक्षर थे।
रॉय ने 27 फरवरी, 2017 को एक अलग आरटीआई भी दायर की थी, जिसमें एक रुपये के नोट पर महात्मा गांधी की तस्वीर मुद्रित न किए जाने के बारे में दस्तावेज मांगे गए थे। जबकि 5 रुपये से लेकर 2,000 तक के सभी नोटों पर महात्मा गांधी की तस्वीर मुद्रित की जा रही है। इस विशेष प्रश्न के जवाब में आरबीआई ने 15 जुलाई, 1993, 13 जुलाई, 1994 और 19 मई, 2016 को हुई बोर्ड की बैठकों में पारित प्रस्ताव की प्रतियां मुहैया कराईं।
हालांकि, ये प्रस्ताव केवल 10, 20, 50, 100 और 500 रुपये के लिए डिजाइन फीचर के बारे में बताते हैं, जिन पर राष्ट्रपिता की तस्वीर मुद्रित हैं। आरटीआई के जरिए मिले जवाब में भारतीय रिजर्व बैंक बोर्ड केकिसी भी प्रस्ताव के अंदर 1,000, 2,000 रुपये और हाल ही में भारतीय बैंक नोट परिवार में शामिल हुए 200 रुपये के नोट के डिजाइन की विशेषताओं या महात्मा गांधी की तस्वीर के बारे में कोई संदर्भ मौजूद नहीं है।
रॉय ने कहा कि यदि आरबीआई बोर्ड के प्रस्तावों में डिजाइन विशेषताओं या 1000 रुपये में (विमुद्रीकरण के बाद चलन में नहीं) 2,000 रुपये (8 नवंबर, 2016 विमुद्रीकरण के बाद शुरू किए गए) और बाद में 200 रुपये (2017 के मध्य में शुरू किए गए), नोटों पर महात्मा गांधी की तस्वीरों को इंगित करने पर कभी भी चर्चा नहीं की गई, जो स्पष्ट रूप से इंगित करता है कि कोई भी आधिकारिक मंजूरी नहीं दी गई थी।
उन्होंने सवाल उठाया कि अगर इन मूल्यवर्ग के नोटों को जारी करने के लिए कोई मंजूरी नहीं दी गई, तो इन मूल्यवर्ग के नोटों को किसने डिजाइन, मुद्रण, वितरण और अधिकृत किया।
रॉय ने कहा, "यदि आरबीआई बोर्ड ने सार्वजनिक डोमेन में किसी भी तरह की कोई मंजूरी नहीं दी और ना ही कोई समर्थन जीआर या कोई अन्य ज्ञात दस्तावेज मौजूद नहीं है, तो यह इन नोटों की कानूनी वैधता पर एक बड़ा प्रश्नचिह्न् है। साथ ही यह 200 और 2,000 रुपये के नोटों की आधिकारिक (मौद्रिक) स्थिति पर एक बड़ा सवाल खड़ा करता है। उन्होंने कहा कि इस मामले की स्वतंत्र जांच होनी चाहिए।"
अगर ऐसी मंजूरी वास्तव में दी गई है, तो आरबीआई और सरकार को यह बताना चाहिए कि आरटीआई के तहत पूछे जाने के बावजूद ये दस्तावेज क्यों उपलब्ध नहीं कराए गए या वे सार्वजनिक क्यों नहीं किए गए।
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia
Published: 29 Oct 2017, 12:48 PM