आम आदमी को महंगाई की एक और मार! लोन की EMI में होगा इजाफा, RBI ने बढ़ाई रेपो रेट
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को नीतिगत दर या रेपो रेट को 50 आधार अंकों (बीपीएस) से बढ़ाकर 5.4 प्रतिशत करने की घोषणा की। इस ऐलान के बाद आपकी ईएमआई का बोझ बढ़ेगा।
महंगाई की मार झेल रहे आम आमदी को एक और झटका लगा है। आरबीआई ने रेपो रेट बढ़ोतरी का ऐलान कर दिया है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को नीतिगत दर या रेपो रेट को 50 आधार अंकों (बीपीएस) से बढ़ाकर 5.4 प्रतिशत करने की घोषणा की। इस ऐलान के बाद आपकी ईएमआई का बोझ बढ़ेगा। रेपो रेट वह ब्याज दर है जिस पर आरबीआई बैंकों को अल्पकालिक धन उधार देता है।
तीन दिवसीय बैठक के दौरान मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के फैसले की घोषणा करते हुए दास ने कहा कि नीति दर को तत्काल प्रभाव से 50 बीपीएस बढ़ाकर 5.4 प्रतिशत करने का निर्णय लिया गया है। स्थायी जमा सुविधा (एसडीएफ) दर 5.15 प्रतिशत और मार्जिनल एसडीएफ 5.65 प्रतिशत होगी।
एमपीसी ने यह भी सुनिश्चित करने की कोशिश की मुद्रास्फीति की दर लक्ष्य के भीतर बनी रहे।
आरबीआई के अनुसार, घरेलू आर्थिक गतिविधियों में मुद्रास्फीति के ऊंचे स्तर और लचीलेपन के कारण, एमपीसी ने यह विचार किया कि मुद्रास्फीति के दबावों को नियंत्रित करने के लिए आगे मौद्रिक नीति में बदलाव की आवश्यकता है।
शक्तिकांत दास ने कहा कि मौद्रिक नीति समिति ने मुद्रास्फीति पर काबू के लिए नरम नीतिगत रुख को वापस लेने पर ध्यान देने का फैसला किया है। दास ने कहा कि ये निर्णय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति के लिए मध्यम अवधि के लक्ष्य को 4 प्रतिशत के लक्ष्य को प्राप्त करने के उद्देश्य के अनुरूप हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि घरेलू अर्थव्यवस्था लगातार बढ़ रही है। दास ने कहा कि वित्त वर्ष 2023 की पहली तिमाही के दौरान शुद्ध प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 13.6 अरब डॉलर था, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि के दौरान प्राप्त 11.6 अरब डॉलर से अधिक है।
घरेलू आर्थिक गतिविधियों को लचीला बताते हुए, उन्होंने कहा कि दक्षिण-पश्चिम मानसून की वर्षा लंबी अवधि के औसत (एलपीए) से 6 प्रतिशत अधिक है। खरीफ की बुआई जोर पकड़ रही है। औद्योगिक और सेवा क्षेत्रों में गतिविधि के हाई फ्रिक्वेंसी संकेतक पकड़ में आ रहे हैं। शहरी मांग मजबूत हो रही है जबकि ग्रामीण मांग धीरे-धीरे बढ़ रही है।
दास ने कहा कि अप्रैल-जून 2022 के दौरान निर्यात में 24.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, हालांकि जुलाई में कुछ कमी आई। गैर-तेल गैर-सोने का आयात मजबूत हुआ, जो घरेलू मांग को मजबूत करने का संकेत देता है।
आरबीआई ने कहा कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति मई-जून 2022 के दौरान 7.0 प्रतिशत (वर्ष-दर-वर्ष) तक कम हो गई, जो अप्रैल में 7.8 प्रतिशत थी, हालांकि यह अभी भी लक्ष्य से ऊपर बनी हुई है।
29 जुलाई को भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 573.9 अरब डॉलर था। आरबीआई गवर्नर ने कहा कि विभिन्न कारकों को ध्यान में रखते हुए 2022-23 के लिए वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि अनुमान 7.2 प्रतिशत पर बरकरार रखा गया है। 2023-24 की पहली तिमाही के लिए वास्तविक जीडीपी विकास दर 6.7 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
आईएएनएस के इनपुट के साथ
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