आम आदमी को एक और झटका, 18 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंची महंगाई, अप्रैल में 7.79 % रही
आरबीआई मौद्रिक नीतियां तय करने के लिए थोक मूल्यों को नहीं, बल्कि खुदरा महंगाई दर को मुख्य मानक मानता है। इसे मापने के लिए कच्चे तेल, खाने-पीने की चीजों की कीमत, निर्माण लागत के अलावा कई अन्य कारक हैं, जिनकी रिटेल महंगाई दर तय करने में अहम भूमिका होती है।
मंहगाई से त्रस्त आम आदमी को एक और झटका लगा है। खाने-पीने की वस्तुओं से लेकर ईंधन के दाम बढ़ने से महंगाई 18 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। गुरुवार को जारी मोदी सरकार आंकड़ों के मुताबिक कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स अप्रैल में बढ़कर 7.79% हो गई।
यह लगातार चौथा महीना है जब महंगाई दर बढ़ी है। फरवरी 2022 में खुदरा महंगाई दर 6.07%, जनवरी में 6.01% और मार्च में 6.95% दर्ज की गई थी। एक साल पहले अप्रैल 2021 में खुदरा महंगाई दर 4.23% थी। बीते दिनों रिजर्व बैंक ने इमरजेंसी मॉनेटरी पॉलिसी मीटिंग में महंगाई की चिंताओं को देखते हुए ब्याज दरों को 0.40% बढ़ाने का ऐलान किया था।
बता दें कि भारतीय रिजर्व बैंक मौद्रिक नीतियां तय करने के लिए थोक मूल्यों को नहीं, बल्कि खुदरा महंगाई दर को मुख्य मानक मानता है। रिटेल महंगाई मापने के लिए कच्चे तेल, खाने-पीने की चीजों की कीमतों, निर्माण लागत के अलावा कई अन्य चीजें होती हैं, जिनकी रिटेल महंगाई दर तय करने में अहम भूमिका होती है। करीब 299 सामान ऐसे हैं, जिनकी कीमतों के आधार पर खुदरा महंगाई दर तय होती है।
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