मदरसों की ‘जियो-टैगिंग’ कराएगी योगी सरकार

मदरसों के लिए योगी सरकार का नया फरमान जारी हुआ है। सरकार को सभी मदरसों का नक्शा, भौगोलिक स्थिति, वहां के अध्यापकों के साथ ही छात्रों के नाम पते और उनके आधार कार्ड का चाहिए।

फोटो : Getty Images
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नवजीवन डेस्क

मदरसों के लिए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार का नया फरमान जारी हुआ है। सरकार को राज्य के सभी मदरसों का नक्शा, उनकी भौगोलिक स्थिति, वहां काम करने वाले अध्यापकों के बैंक खाते और पैन कार्ड के साथ ही छात्रों के नाम पते और उनके आधार कार्ड का विवरण भी चाहिए। इतना ही नहीं सरकार सभी मदरसों के नाम भी हिंदी में लिखवाना चाहती है। इसके पीछे सरकार की मंशा बहुत स्पष्ट नहीं है। हां, इतना जरूर कहा गया है कि इससे मदरसों की कार्य प्रणाली में पारदर्शिता आएगी।

यानी, योगी सरकार के लिए गोरखपुर में मासूमों की मौत, बाढ़ से बेहाल ग्रामीण इलाके, बिजली के लिए तरसते गांव और कस्बे, सफाई के लिए तरसते शहरी इलाके प्राथमिकता नहीं हैं, बल्कि मदरसे हैं। इसीलिए एक के बाद एक फरमान मदरसों की “कार्यप्रणाली” बेहतर करने के लिए जारी किए जा रहे हैं।

मदरसों
की ‘जियो-टैगिंग’ कराएगी योगी सरकार
उत्तर प्रदेश सरकार का सर्कुलर

उत्तर प्रदेश सरकार की प्रमुख सचिव मोनिका गर्ग की तरफ से मदरसा शिक्षा परिषद के रजिस्ट्रार और सभी जिलों के निरीक्षकों को जारी सर्कुलर में हिदायत दी गयी है कि सभी मदरसों को “अपनी समस्त सूचनाएं ऑनलाइन अपलोड करनी हैं। मदरसा प्रबंध तंत्र को अपनी सभी शिक्षकों और शिक्षणेत्तर कर्मचारियों का विवरण आधार डिटेल के साथ भरना होगा। इसके अतिरिक्त मदरसा भवन संबंधी विवरण, कक्षों की माप आदि के साथ ही मदरसों का यूडीआईएसई कोड अंकित करना होगा, जिससे मदरसे की जियो-टैगिंग संभव हो सके। हर मदरसे में अध्ययनरत छात्रों का विवरण भी अपलोड करना होगा।” इस सर्कुलर में सभी मदरसों को अपनी जानकारी 15 अक्टूबर तक अपलोड करने को कहा गया है।

अभी दो सप्ताह पहले ही स्वतंत्रता दिवस के मौके पर योगी सरकार ने सभी मदरसों के लिए फरमान जारी किया था कि मदरसों में झंडा फहराया जाए और उसकी वीडियोग्राफी और राष्ट्र गान गाने का सबूत दिया जाए। सरकार ने न उस समय और न अब यह स्पष्ट किया है कि यह आदेश सिर्फ मदरसों पर लागू है या संघ संचालित शिशु मंदिरों पर भी लागू है।

योगी सरकार के इस नए आदेश की दिल्ली की फतेहपुरी मस्जिद के इमाम मुफ्ती मुकर्रम ने निंदा की है। उनका कहना है कि ''यह सब कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों से ध्यान हटाने, सांप्रदायिक ताकतों को खुश करने और 2019 चुनाव के लिए अपना वोट बैंक मजबूत करने के लिए किया जा रहा है।'' मुफ्ती मुकर्रम का कहना है कि ये सारी कवायद मुसलमानों को भयभीत करने के साथ ही मदरसों की संख्या कम करने या उन्हें बंद करने की नीयत से किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि, “पहले भी सरकार ने मदरसों को लेकर एक सर्वेक्षण कराया था और सर्वेक्षण में मदरसों को हर तरह की क्लीन चिट मिली थी कि वहां किसी किस्म की कोई राष्ट्र विरोधी गतिविधि नहीं होती है।'' मुफ्ती मुकर्रम ने ऐसे मामलों पर मुस्लिम संगठनों की चुप्पी पर भी सवाल उठाया।

दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और इतिहासकार शम्स उल इस्लाम ने मदरसों को लेकर जारी इस फरमान की मंशा पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि, “मदरसों के लिए अलग से ऐसा फरमान जारी करना और वह भी तब जब सुप्रीम कोर्ट ने निजता पर ऐतिहासिक फैसला दिया है, मंशा पर सवाल खड़े करता है। उन्होंने कहा कि आखिर ये फरमान सिर्फ मदरसों के लिए क्यों?

इस बीच मीडिया में उत्तर प्रदेश के मंत्री बलदेव सिंह ओलख के हवाले से खबरें हैं कि सभी मदरसों को अपने नाम और बाकी जानकारी हिंदी में भी लिखवाना जरूरी है।

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Published: 30 Aug 2017, 7:49 PM