“साइमन गो बैक” लिखकर उड़ायी थीं लोगों ने पतंगे
पतंगों पर संदेश लिखकर उन्हें उड़ाने का इतिहास काफी पुराना है। आजादी से पहले जब साइमन आयोग भारत आया था तो लोगों ने इसके विरोध में पतंगों पर नारों को लिखकर उड़ाया था।
पूरे देश में और खास तौर पर उत्तर भारत में आज़ादी का जश्न मनाने के लिए तरह तरह के कार्यक्रमों को अलावा पतंगबाजी भी खूब होती है। लोग सुबह से ही घरों की छतों पर पहुंच जाते हैं और शाम तक पतंगबाजी करते हैं। पतंगबाजी के दौरान तरह तरह के संदेश लिखी रंग-बिरंगी पतंगों को उड़ाया जाता है। दिल्ली, लखनऊ, रामपुर, मुरादाबाद और देश के दूसरे हिस्सों में तो बाकायदा पतंगबाजी क्लब हैं जो पतंगबाजी के मुकाबले आयोजित करते हैं और जीतने वालों को इनाम और ट्रॉफी दी जाती है।
वैसे पतंगों पर संदेश लिखकर उन्हें उड़ाने का इतिहास काफी पुराना है। आजादी से पहले जब साइमन आयोग भारत आया था तो लोगों ने इसके विरोध में पतंगों पर नारों को लिखकर उड़ाया था।
पतंगबाजी की बात करें तो लखनऊ, रामपुर, मुरादाबाद, बरेली और दिल्ली सहित दूसरे शहरों में खूब पतंगबाजी होती है। कुछ पुराने लोगों का कहना है कि पतंगों पर तरह-तरह के संदेश लिखकर उड़ाने की परंपरा बहुत पुरानी है। कई लोगों ने बताया कि ब्रिटिश शासन के दौरान 1927 में जब साइमन कमीशन भारत आया था तो लोगों ने पतंगों पर ‘साइमन गो बैक’ के नारे लिखकर अपना विरोध दर्ज कराया था। ये सिलसिला आज भी जारी है और लोग तरह-तरह के संदेश लिखकर आज भी पतंगे उड़ाते हैं।
पतंग के कारोबारियों का कहना है कि आजकल बाजार में सरकार की कई योजनाओं के नारों वाली पतंगे भी उपलब्ध हैं। इनमें ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ योजना, ‘दो हजार एवं पांच सौ रुपये के नोट के अलावा फिल्मों, कार्टूनों की तस्वीर वाली और तिरंगे की पतंगे खूब बिक रही हैं।
स्वतंत्रता दिवस के आसपास दूसरे शहरों के व्यापारी भी दिल्ली और दूसरी जगहों पर जाकर अपनी दुकानें लगाते हैं। इन दुकानदारों का कहना है कि इस साल आमिर खान की ‘दंगल’, शाहरूख खान की ‘रईस’ और ‘बाहुबली’ के अलावा कार्टूनों में डोरेमोन वगैरह की पतंगों की काफी मांग है। इसके अलावा लाल किले की तस्वीर वाली तिरंगी पतंग भी खूब बिक रही है।
स्वतंत्रता दिवस के मौके पर पतंगबाजी के मुकाबले और टूर्नामेंट भी होते हैं। ये मुकाबले आपसी के अलावा क्लबों को बीच भी होते हैं। लखनऊ, रामपुर, मुरादाबाद और दिल्ली, हैदराबाद जैसे शहरों में बाकायदा पतंगबाजी क्लब हैं। मुकाबले के दौरान जो भी टीम पहले दूसरे की पतंग काट लेती है वही विजेता होती है।
दरअसल 15 अगस्त पर पतंगबाजी की शुरुआत 1947 से ही हुयी थी। उस दिन लोगों ने आजादी का जश्न मनाने के लिए पतंगे उड़ायी थीं और तब से ये सिलसिला आज तक जारी है।
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