माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय विश्वविद्यालय में बनेगी गौशाला, कुलपति कुठियाला की मनमानी
माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय विश्वविद्यालय जल्द ही अपने छात्रों को गायों की देख-रेख करने की कला और विज्ञान के बारे में पढ़ाने जा रहा है। कुलपति बृज किशोर कुठियाला ने इस संबंध में फैसला लिया है।
माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय विश्वविद्यालय जल्द ही अपने छात्रों को गायों की देख-रेख करने की कला और विज्ञान के बारे में पढ़ाने जा रहा है। विश्वविद्यालय के कुलपति बृज किशोर कुठियाला ने इस संबंध में फैसला लिया है। इस तरह का फैसला लेने के पीछे तर्क यह दिया जा रहा है कि प्राचीन भारत में नालंदा और तक्षशिला विश्वविद्यालय के द्वारा गौशालाओं की देख-रेख की जाती थी और उन विश्वविद्यालयों को शिक्षा के महान केंद्रों के रूप में देखा जाता था। उनका दूसरा तर्क यह है कि उज्जैन में भी गायों की देखभाल करने की कला के बारे में पढ़ाया जाता थी जहां खुद भगवान कृष्ण ने शिक्षा पाई थी।
मध्य प्रदेश सरकार द्वारा स्थापित पत्रकारिता और जनसंचार की पढ़ाई कराने वाले माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय विश्वविद्यालय ने भोपाल में स्थित अपने 50 एकड़ के कैम्पस का दसवां हिस्सा गौशाला बनाने के लिए दे दिया है। कुलपति बृज किशोर कुठियाला का कहना है कि गौशाला के जरिये विश्वविद्यालय के छात्रों और शिक्षकों को ताजा और पवित्र दूध और दही मिल सकेगा। विश्वविद्यालय को गोबर से बायोगैस के उत्पादन के जरिये सस्ता ईंधन भी मिल पाएगा और गोबर की खाद से कैम्पस में सब्जियां उगाने में भी मदद मिलेगी।
स्वाभाविक रूप से उन्हें इस कमाल के विचार के काफी प्रशंसा मिली है। प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान ने कहा, ‘यह एक नया विचार है और पहली बार कोई शिक्षण संस्थान हमारी परंपराओं का अनुशरण कर रहा है।’ विश्वविद्यालय के कई छात्र कुलपति के इस कदम का समर्थन करने करने के लिए सोशल मीडिया पर कूद पड़े हैं।
गौशाला के अलावा इन बुद्धिमान कुलपति के पास कई और मौलिक विचार हैं। उदाहरण के लिए, वे अपने छात्रों को बताते हैं कि ‘नारद’ पहला पत्रकार था जिसने समाचार जुटाने की कला को साधा था। उन्होंने ‘नारद’ को पाठ्यक्रम का हिस्सा बना दिया है ताकि भविष्य के पत्रकार खोजी पत्रकारिता की ‘ए, बी, सी’ सीख सकें। विश्वविद्यालय के पत्रकारों को लगातार प्रेरणा मिलती रहे, इसकी व्यवस्था करने के लिए विश्वविद्यालय कैम्पस में नारद की एक मूर्ति लगाई गई है। छात्रों को यह भी पढ़ाया जाता है कि नारद एक ‘आदि पत्रकार’ थे। उसी प्रकार छात्रों का बताया जाता है कि ‘संजय’ पहले टीवी रिपोर्टर थे जिन्होंने ‘महाभारत’ को कवर किया था और पृथ्वी पर लड़े गए शायद सबसे बड़े युद्ध महाभारत की मिनट दर मिनट रिपोर्टिंग की थी।
कुठियाला विश्वविद्यालय में साधु-संतों को बुलाने का कोई मौका नहीं छोड़ते। वे उनसे आग्रह करते हैं कि हमारे महान हिंदू संस्कृति के आदर्शों को फैलाने में पत्रकारिता की भूमिका पर छात्रों का प्रवचन दें। कुछ समय पहले विश्वविद्यालय में एक शंकराचार्य को बुलाया गया था। छात्रों और शिक्षकों ने न सिर्फ प्रवचन को सुना, बल्कि उनसे कहा गया कि उनका पादुका पूजन करें।
कुलपति यह साबित करने की हर कोशिश करते हैं कि उनका विश्वविद्यालय प्राथमिक तौर पर एक हिंदू विश्वविद्यालय लगे। वे सारे कदम आरएसएस के आकाओं को खुश करने के लिए उठाते हैं। उनकी कोशिशें रंग लाईं जब उन्हें आरएसएस की कृपा से विश्वविद्यालय में कुलपति के रूप में दूसरा कार्यकाल मिल गया।
कुछ दिनों पहले उन्होंने विश्वविद्यालय को एक पवित्र आरएसएस संस्थान के रूप में दिखाने के लिए एक और कदम उठाया। स्थानीय अखबारों में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक विश्वविद्यालय कैलेंडर की छुट्टी की सूची में ईद, क्रिसमस और नानक जयंती को शामिल नहीं किया गया है। कैलेंडर के अनुसार विश्वविद्यालय होली और दीवाली के दौरान 7 दिनों के लिए बंद रहेंगे।
विश्वविद्यालय से जुड़े महत्वपूर्ण लोगों को खुश करने के मामले में उनकी क्षमता से सभी वाकिफ हैं। कुछ समय पहले प्रेस काउंसिल के अध्यक्ष के रूप में मार्कन्डेय काटजू विश्वविद्यालय के कार्यकारिणी में विशेष आमंत्रित सदस्य थे। पहली ही बैठक में जिसमें वे शामिल हुए, उन्होंने कुलपति द्वारा की गई कई सारी अनियमितताओं को लेकर उन्हें खरी-खोटी सुनाई। जब उन्हें कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला तो वे बैठक से बाहर निकल गए। लेकिन कुछ दिनों बाद कुठियाला उन्हें भी मनाने में कामयाब हो गए और चौंकाने वाली बात यह है कि वे पहले शख्स थे जिन्होंने अगले कार्यकाल के लिए कुठियाला का नाम प्रस्ताविक किया। इसी तरह से भोपाल के पत्रकारों के एक समूह ने विश्वविद्यालय के विजिटर को एक ज्ञापन सौंपा. जिसके बाद विजिटर ने सख्त कदम उठाने की बात कही लेकिन कुलपति के खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
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