आधार को लेकर केंद्र सरकार के मंसूबे मुश्किल में

केंद्र की ओर से एटार्नी जनरल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि कल्याणकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए आधार कार्ड की अनिवार्यता की समयसीमा 30 सिंतबर से बढ़ाकर 31 दिसंबर कर दिया गया है।

फोटो: Twitter
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नवजीवन डेस्क

निजता के अधिकार पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद से केंद्र सरकार के कई मंसूबे मुश्किल में फंस गए हैं। ताजा मामले में केंद्र सरकार ने कई कल्याणकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए आधार कार्ड की अनिवार्यता की समयसीमा बढ़ा दी है। केंद्र की ओर से एटार्नी जनरल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि 30 सितंबर की समयसीमा को बढ़ाकर 31 दिसंबर कर दिया गया है। आधार से जुड़ी कई याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई थीं, जिन्हें सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया था। उसके पहले कोर्ट ने निजता के अधिकार पर सुनवाई करते हुए उसे मौलिक अधिकार बना दिया, जिसके चलते आधार को अनिवार्य बनाने की केन्द्र सरकार की कोशिश को गहरा झटका लगा है।

अब सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वह आधार से जुड़े मामलों की सुनवाई नवंबर के पहले हफ्ते में करेगा। हालांकि याचितकाकर्ता की ओर से इस मामले में जल्द सुनवाई करने की अपील की गई थी। माना जा रहा है कि इन्हीं मजबूरियों की वजह से केन्द्र ने आधार की समयसीमा बढ़ाने का फैसला लिया है।

दूसरी तरफ, आधार को लेकर कुछ नए विवाद सामने आ गए हैं। मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि आधार की सुरक्षा को लेकर बेंगलूरु के कर्नल मैथ्यू थॉमस की ओर से दायर आरटीआई में पता चला है कि आधार की सुरक्षा को लेकर केंद्र सरकार का दावा झूठा है। आधार जारी करने वाली संस्था यूआईडीएआई का विदेशी कंपनियों के साथ अनुबंध है, जिसके तहत उन कंपनियों को भारतीय नागरिकों के आधार से संबंधित गुप्त सूचनाएं हासिल हैं। इनमें फिंगरप्रिंट, आईरिस स्कैन के अलावा अन्य व्यक्तिगत जानकारी भी शामिल है।

ऐसे में आधार को भारतीय जनता पर जबरदस्ती थोपने के बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के इरादों की सच्चाई सामने आ गई है और वह एक साथ कई मोर्चों पर घिरती नजर आ रही है।

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Published: 30 Aug 2017, 4:14 PM