मोदी सरकार में सुरक्षित नहीं महिलाएं, NCRB के मुताबिक, हर दिन 90 रेप, दिल्ली में भी महफूज नहीं ‘आधी आबादी’
मोदी सरकार के दावे के मुताबिक भारत में महिलाएं पहले की तुलना में सुरक्षित हैं। लेकिन एनसीआरबी के ताजा आंकड़े बताते हैं कि मोदी सरकार में रेप में मामले में 33 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। आंकड़ों के मुताबिक, हर दिन 90 रेप हुए।
रेप को देश की बेइज्जती बताने वाली मोदी सरकार में दुष्कर्म के मामलों में 33 फीसदी बढ़ोत्तरी हुई है। ये आंकड़े एनसीआरबी के मुताबिक है। आंकड़ों के मुताबिक, सिर्फ दिल्ली में निर्भया के बाद रेप के मामलों में 176% का हुआ इजाफा हुआ है। आंकड़ों के मुताबिक हर दिन 90 रेप हुए।ये आंकड़े बताने के लिए काफी है कि घर से निकलने वाली महिलाएं खुद को सुरक्षित महसूस नहीं कर रही हैं।
एनसीआरबी के आंकड़ों को लेकर तुलना करें तो साल 2012 में देश में रेप के 24 हजार 923 मामले दर्ज किए गए थे। इसका मतलब हर दिन 68 रेप हुए। अब नए आंकड़ों के मुताबिक, 018 में देश में ऐसे 33 हजार 356 केस दर्ज किए गए। इसका मतलब हर दिन 90 रेप हुए हैं।
अगर देश की राजधानी दिल्ली की बात करे को रेप के मामलों में 176 फीसदी का इजाफा हुआ है। साल 2012 में दिल्ली में रेप के 706 मामले दर्ज किए गए थे, जबकि 2019 की 15 नवंबर तक ही 1 हजार 947 मामले दर्ज हो चुके हैं।
नए आंकड़ों के मुताबिक 2018 में देश में हर चौथी दुष्कर्म पीड़िता नाबालिग थीं, जबकि 50 फीसदी से ज्यादा पीड़िताओं की उम्र 18 से 30 साल के बीच थी और लगभग 94 प्रतिशत मामलों में आरोपी पीड़ितों के परिचित- परिवार के सदस्य, दोस्त, सह जीवन साथी, कर्मचारी या अन्य थे। 2012 से 2018 के बीच 12,125 नाबालिगों पर रेप के मामले दर्ज किए गए हैं। अगर इन 7 सालों का औसत निकाला जाए तो हर दिन 5 नाबालिगों पर रेप के केस दर्ज हुए।
एनसीआरबी के आंकड़ें
• 2018 में देश में रेप के 33 हजार 356 केस दर्ज किए गए। यानी रोजाना करीब 90 रेप हुए।
• दिल्ली में निर्भया के बाद दुष्कर्म के मामलों में 176% का इजाफा हुआ है।
• 2012 में दिल्ली में ऐसे 706 मामले दर्ज किए गए थे, जबकि 2019 की 15 नवंबर तक ही 1 हजार 947 मामले दर्ज हो चुके हैं।
• 2018 के अंत देश की अदालतों में दुष्कर्म के 1 लाख 38 हजार 342 मामले पेंडिंग थे।
• इनमें से 17 हजार 313 मामलों का ही ट्रायल पूरा हो सका, जबकि सिर्फ 4 हजार 708 मामलों में ही सजा सुनाई गई।
मोदी सरकार में रेप के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। वहीं साल 2018 के अंत तक देश की अदालतों में दुष्कर्म के 1 लाख 38 हजार 342 मामले पेंडिंग थे। इनमें से 17 हजार 313 मामलों का ही ट्रायल पूरा हो सका, जबकि सिर्फ 4 हजार 708 मामलों में ही सजा सुनाई गई। 2018 में सजा देने की दर सिर्फ 27.2% रहा जो 2017 की तुलना में 5% कम है।
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Published: 11 Jan 2020, 4:59 PM