रामपुर कारतूस कांड में 13 साल बाद फैसला, 24 दोषियों को 10-10 साल की सजा, जुर्माना भी लगा

साल 2010 में छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में 76 जवानों की आहुति लेने वाले नक्सली हमले में इन्हीं सरकारी कारतूसों का इस्तेमाल हुआ था। सीआरपीएफ के दो जवानों विनोद और विनेश पासवान के भारी मात्रा में कारतूस के साथ गिरफ़्तार होने के बाद इस कांड का खुलासा हुआ था।

रामपुर कारतूस कांड में 13 साल बाद फैसला, 24 दोषियों को 10-10 साल की सजा, जुर्माना भी लगा
रामपुर कारतूस कांड में 13 साल बाद फैसला, 24 दोषियों को 10-10 साल की सजा, जुर्माना भी लगा
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नवजीवन डेस्क

उत्तर प्रदेश के रामपुर के चर्चित कारतूस कांड की 13 साल की सुनवाई और 9 गवाहों की गवाही के बाद आखिरकार 24 दोषियों को दस-दस साल की सजा और 10-10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है। दरअसल, कारतूस घोटाले का पर्दाफाश यूपी एसटीएफ ने 29 अप्रैल 2010 को किया था।

आरोप था कि सभी आरोपी नौकरी पर रहते हुए सरकारी कारतूस नक्सलियों और आतंकियों को सप्लाई करते थे और बदले में इन्हें मुंहमांगी रकम मिलती थी। सीआरपीएफ के दो जवानों विनोद और विनेश पासवान को भारी मात्रा में कारतूस के साथ गिरफ़्तार किया गया था।

बताया गया कि 2010 में छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में जो बड़ा नक्सली हमला हुआ था, उनमें इन्हीं सरकारी कारतूसों का इस्तेमाल हुआ था। इस नक्सली हमले में सीआरपीएफ के 76 जवान शहीद हुए थे। मौके से जांच टीम को जब खोखे मिले तो शक हुआ और जांच बिठाई गई।

इस मामले की सुनवाई स्पेशल जज ईसी एक्ट विजय कुमार की कोर्ट में चल रही थी, जिसमें दोनों पक्षों की बहस पूरी हो गई थी। सहायक शासकीय अधिवक्ता प्रताप मौर्या ने बताया कि मुख्य आरोपी की मौत हो चुकी है। इसके अलावा अन्य आरोपियों में विनोद पासवान और विनेश कुमार सीआरपीएफ के आरक्षी हैं और नाथीराम यूपी पुलिस में आरक्षी है जो पीटीसी मुरादाबाद में तैनात था।


अधिवक्ता मौर्या ने बताया कि उनके अलावा राम किशन शुक्ला, रामकृपाल, सुशील कुमार मिश्रा, जितेंद्र कुमार सिंह, राजेश शाही, अमर सिंह, वंश लाल, अखिलेश कुमार पांडे, अमरेश कुमार, दिनेश कुमार, राजेश कुमार, मनीष राय, मुरलीधर शर्मा, विनोद कुमार सिंह, ओम प्रकाश सिंह, राज्य पाल सिंह, लोकनाथ, बनवारी लाल, आकाश, दिलीप राय और शंकर आरक्षी के पद पर तैनात थे।

ये सभी लोग जमानत पर थे। निर्णय सुनाने के लिए अदालत में इन्हें हिरासत में लिया गया था और दोषी करार देने के बाद सभी को जेल भेज दिया गया था। शुक्रवार को इस मामले में न्यायालय ने दोषियों को 10-10 साल कारावास और 10-10 हज़ार रुपये अर्थदंड की सज़ा सुनाई।

शासकीय अधिवक्ता प्रताप सिंह मौर्य ने बताया कि 29 अप्रैल 2010 को एसटीएफ के अमोद कुमार द्वारा एक मुकदमा पंजीकृत कराया गया था, जिसमें तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया था। विनोद पासवान, यशोदानंद और विनेश कुमार और उनसे बरामदगी हुई थी। यशोदा नंद से 1,75,000 रुपया बरामद हुआ था और उसने पीटीसी मुरादाबाद से नाथूराम सैनी को गिरफ्तार कराया था और उससे भी बरामदगी हुई थी, जिसका मुकदमा मुरादाबाद में पंजीकृत कराया गया।

डायरी के आधार पर विवेचना आगे बढ़ते हुए 25 लोगों के खिलाफ चार्जशीट न्यायालय में दाखिल की गई, जिसमें दोहराने मुकदमा आरोपी यशोदानंद की मृत्यु हो गई और बाकी 24 लोगों के खिलाफ यह मुकदमा यहां पर विचाराधीन था, जिसमें स्पेशल न्यायमूर्ति ईसी एक्ट विजय कुमार द्वितीय द्वारा गुरुवार को इनको दोषी करार दिया गया और आज शुक्रवार को सजा सुनाई गई।

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