कभी भारतीय सेना का था खबरी, आज पीओके में जैश का नया पोस्टर बॉय है ये ट्रक ड्राइवर 

कभी भारतीय सेना का मुखबिर रहे नेंगरू ने मुठभेड़ों में मारे गए कई खूंखार आतंकवादियों के बारे में महत्वपूर्ण सूचनाएं दी थी। एक चालक के तौर पर पुलवामा के काकापोरा क्षेत्र (श्रीनगर से 12 किलोमीटर दूर) में रहने वाले नेंगरू ने अलगाववादी नेताओं और भारत-विरोधी लोगों के बीच मजबूत नेटवर्क स्थापित किया था।

फोटो: IANS
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जम्मू और कश्मीर के पुलवामा का एक ट्रक ड्राइवर आशिक अहमद नेंगरू किसी समय पुलिस का मुखबिर था, लेकिन मोटी रकम की लालच में अब वह आतंकवादी बन गया है। एक समय भारत समर्थक कश्मीरी रहा नेंगरू पैसे की लालच में फंस गया और हथियारों, नशीले पदार्थो और आतंकवादियों को भारत में भेजने वाला एक सबसे बड़ा सरगना बन गया है।

हाल ही में पंजाब में एक ड्रोन के गिरने के बाद भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) के नए पोस्टर बॉय नेंगरू द्वारा घाटी में भेजे गए 40 से ज्यादा आतंकवादियों को पकड़ने के लिए व्यापक अभियान छेड़ रखा है। जेईएम भारत विरोधी अभियानों को गति देने के लिए बेचैन है।


नेंगरू ने प्रशिक्षित आतंकवादियों की जम्मू और कश्मीर के रास्ते भारत में घुसपैठ कराई। इन आतंकवादियों में कुछ फिदायीन हमलावर भी हैं। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) की देख-रेख में नेंगरू ने पिछले महीने हथियार गिराने के सनसनीखेज मामले की साजिश रची, जिसके तहत सीमा पार से घातक हथियारों की तस्करी कर भारत लाने के लिए ड्रोन्स इस्तेमाल किए गए।

खुफिया एजेंसियों द्वारा नेंगरू पर बनाए गए डोजियर के अनुसार, कभी भारतीय सेना का मुखबिर रहे नेंगरू ने मुठभेड़ों में मारे गए कई खूंखार आतंकवादियों के बारे में महत्वपूर्ण सूचनाएं दी थी। एक चालक के तौर पर पुलवामा के काकापोरा क्षेत्र (श्रीनगर से 12 किलोमीटर दूर) में रहने वाले नेंगरू ने अलगाववादी नेताओं और भारत-विरोधी लोगों के बीच मजबूत नेटवर्क स्थापित किया था। इस नेटवर्क के कारण नेंगरू को श्रीनगर में और उसके आस-पास आतंकवाद से संबंधित गतिविधियों की अंदरूनी जानकारी रहती थी।


हालांकि पैसे की लालच ने नेंगरू को अलगाववादियों का शुभचिंतक बना दिया है। डोजियर के अनुसार, नेंगरू बाद में हिजबुल मुजाहिदीन के एक नेता के संपर्क में आया, जिसने बाद उसे घाटी में पत्थरबाजों के गढ़ पुलवामा में पत्थरबाजी की घटना को अंजाम देने की जिम्मेदारी सौंपी। नेंगरू प्रत्येक भारत-विरोधी गतिविधि के लिए दो हजार रुपये लेता था। ऐसे कामों में आकर्षित होते हुए नेंगरू ने हिजबुल मुजाहिदीन को छोड़ दिया और घाटी में आईएसआई का प्रमुख नुमाइंदा बन गया।

अपने आकाओं से मिलने वाली मोटी रकम से उसने कुछ ट्रक खरीदे और हथियारों की तस्करी में संलिप्त हो गया तथा आतंकवादियों की भी आवाजाही कराने लगा। अंत में वह जैश से जुड़ गया और पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर में घुस गया।


डोजियर में खुलासा हुआ है कि नेंग्रू का भाई मोहम्मद अब्बास जैश का आतंकवादी था और कुछ सालों पहले पुलिस मुठभेड़ में मारा गया था। उसका एक अन्य भाई रियाज भी जैश में शामिल हो गया और पिछले साल सितंबर में तीन आतंकवादियों को जम्मू से श्रीनगर ले जाने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया।

जम्मू और कश्मीर पुलिस के सूत्रों ने खुलासा किया है कि अनुच्छेद 370 को खत्म किए जाने के बाद घाटी में कई बम विस्फोट करने के प्रयास के तहत नेंगरू ने घाटी में हथियारों की तस्करी करने की योजना बनाई थी। हालांकि पंजाब-जम्मू और कश्मीर सीमा पर लखनपुर में सुरक्षा बलों ने 12 सितंबर को जेके 13 ई 2000 नंबर के एक ट्रक को जब्त किया था, जिससे चार एके-56 और दो एके-47 रायफलें बरामद हुई थीं।


सूत्रों ने कहा कि इन हथियारों की बरामदगी के बाद एजेंसियों ने आईएसआई की साजिश का भंडाफोड़ कर दिया था, जिसमें वह जेईएम मॉड्यूल के अंतर्गत नेंगरू के माध्यम से किसी आतंकवादी घटना को अंजाम देने वाला था। फिलहाल राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) पंजाब और जम्मू एवं कश्मीर पुलिस के साथ मिलकर मामले की जांच कर रही है।

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