राजनीतिक प्रस्ताव में मत-पत्र से चुनाव कराने की वकालत, गरीबों के लिए काम करने की प्राइवेट क्षेत्र से अपील
शनिवार को कांग्रेस महाधिवेशन में पेश राजनीतिक प्रस्ताव में कहा गया कि सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी सरकार के साथ-साथ प्राइवेट क्षेत्र पर भी है।
शनिवार को कांग्रेस महाधिवेशन में राजनीतिक प्रस्ताव पेश करते हुए मल्लिकार्जुन खड़गे ने एक विडंबना की तरफ इशारा करते हुए कहा कि जिस लोकतंत्र ने नरेन्द्र मोदी को सत्ता दिलाई, मोदी सरकार उसी लोकतंत्र के खतरा बन गई है और लोकतांत्रिक संस्थाओं और देश के बुनियादी मूल्यों को खत्म करने पर तुली है।
राजनीतिक प्रस्ताव के मसौदे में कहा गया कि कांग्रेस व्यवहारिकता का ख्याल रखते हुए यह कोशिश करेगी कि अगले आम चुनाव में बीजेपी को हराने के लिए समान विचारधारा वाली पार्टियों के साथ एक ‘साझा काम करने योग्य कार्यक्रम’ बनाए।
किसानों और युवाओं से किए गए वादों को पूरा करने में असफल रही मोदी सरकार को घेरने के अलावा, राजनीतिक प्रस्ताव में नौकरी पैदा करने, आतंकवाद और भ्रष्टाचार को खत्म करने के मामले सरकार की असफलता के लिए उसकी आलोचना की गई। प्रस्ताव में संस्थाओं पर हमला करने के लिए आरएसएस पर निशाना साधा गया और यह भी आरोप लगाया गया कि राज्यपाल के संवैधानिक पद को भी कमजोर किया गया है।
राजनीतिक प्रस्ताव में देश में लोकसभा-विधानसभा चुनाव साथ-साथ कराने की प्रधानमंत्री की खास परियोजना का भी विरोध किया गया और यह चेतावनी दी गई कि इस गलत प्रस्ताव के परिणामों का ठीक से विश्लेषण किए जाने की जरूरत है।
राजनीतिक प्रस्ताव में दिए गए कुछ महत्वपूर्ण बिंदु हैं:
- नौकरियों में कमजोर वर्ग के लिए सिर्फ आरक्षण से सामाजिक समानता और मौकों की समानता के लक्ष्य को पाया नहीं जा सकता, वंचितों के सशक्तीकरण की जिम्मेदारी सरकार के साथ-साथ प्राइवेट क्षेत्र पर भी है।
- ईवीएम से संभावित छेड़छाड़ के संदेहों के मद्देनजर चुनाव आयोग को फिर से मत-पत्र आधारित चुनाव कराने पर विचार करना चाहिए।
- संसद और विधानसभाओं में 33 फीसदी महिला आरक्षण का पार्टी समर्थन करती है और चाहती है कि सरकार ऐसा करने के लिए विधेयक लाए।
- पार्टी चाहती है कि सरकार पीएम द्वारा आंध्र प्रदेश को दिए आश्वासन को पूरा करे और आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम के नियमों को लागू करे।
- राजनीतिक प्रस्ताव में न्यायपालिका के भीतर मौजूद नाराजगी और सुप्रीम कोर्ट और सरकार के बीच को भी रेखांकित किया गया है और जल्द से जल्द न्यायिक सुधार करने पर जोर दिया गया है।
- पार्टी ने आरोप लगाया कि यूपीए सरकार ने जो वन अधिकार कानून, 2005 पास कराया था उसे पिछले 4 सालों में ठीक से लागू नहीं किया गया। कांग्रेस चाहती है कि इसे जल्द से जल्द प्रभावशाली ढंग से लागू किया जाए।
- कांग्रेस ने समान नागरिक के तौर पर अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दुहराया और कहा, “लोगों को यह कहा जाना कतई स्वीकार नहीं है कि उन्हें क्या खाना और क्या पहनना चाहिए।
- राजनीतिक प्रस्ताव में आरएसएस और बीजेपी को स्वतंत्रता आंदोलन में गैर-भागीदारों की विरासत को संभालने वाला बताया गया और कहा गया कि सामाजिक एकता, सेकुलरिज्म और संवैधानिक लोकतंत्र के प्रति कांग्रेस अपनी प्रतिबद्धता दुहराती है।
‘कांग्रेस हार गई कांग्रेस के लोगों से’: पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए खड़गे ने कहा कि चुनाव में पार्टी की हार के लिए कोई और नहीं, बल्कि कांग्रेस के लोग जिम्मेदार हैं। उन्होंने कहा, “हमने खुद को हरा दिया” और यह भी जोड़ा कि कांग्रेस के लोगों को अपने आपसी मतभेद किनारे रख पार्टी की उपलब्धियों को जोरदार तरीके से जनता के सामने रखना चाहिए।
कार्यक्रम में बैठे लोगों को कांग्रेस की उपलब्धियों को याद दिलाते हुए उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी लगातार पूछते रहते हैं कि कांग्रेस शासन में देश ने क्या उपलब्धि हासिल की। खड़गे ने कहा कि उन्हें बताया जाना चाहिए कि बांध, फैक्टरी, योजना आयोग, विश्व स्तरीय शैक्षणिक और तकनीकी संस्थान, हरित क्रांति, श्वेत क्रांति आदि कांग्रेस सरकारों के कार्यकाल में ही आईं।
उन्होंने आगे कहा कि आज जब मोदी सरकार अर्थव्यवस्था और सामाजिक सौहार्द को तबाह कर रही है, तब बहुत सारे कांग्रेसी एनडीए सरकार के कामों और खतरनाक नीतियों के खिलाफ खुलकर बोलते हुए नजर नहीं आते।
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