वरिष्ठ हिंदी कथाकार स्वयं प्रकाश की याद में स्मृति सभा, जयपुर में लेखकों-साहित्यकारों ने दी श्रद्धांजलि

राजस्थान के जयपुर में हिंदी के वरिष्‍ठ कथाकार स्‍वयं प्रकाश की स्मृति में एक सभा का आयोजन किया गया। सभा में वरिष्‍ठ लेखकों और साहित्‍य प्रेमियों ने दिवंगत लेखक के साहित्यिक अवदान के प्रति अपने विचार प्रकट करते हुए उन्‍हें अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।

फोटोः नवजीवन
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नवजीवन डेस्क

हिंदी के वरिष्‍ठ कथाकार स्‍वयं प्रकाश की स्मृति में सोमवार को जनवादी लेखक संघ, प्रगतिशील लेखक संघ और जन संस्कृति मंच की ओर से जयपुर के श्रमजीवी पत्रकार संघ के सभागार में एक स्‍मृति सभा का आयोजन किया। बता दें कि 7 दिसंबर को स्वयं प्रकाश का निधन मुंबई में इलाज के दौरान हो गया था। मूलत: राजस्थान के अजमेर निवासी स्वयं प्रकाश कुछ अरसे से भोपाल में निवास कर रहे थे।

स्‍मृति सभा में तीनों संगठनों के वरिष्‍ठ लेखकों और साहित्‍य प्रेमियों ने दिवंगत लेखक स्‍वयं प्रकाश के साहित्यिक अवदान के प्रति अपने विचार प्रकट करते हुए उन्‍हें अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। प्रो मोहन श्रोत्रिय ने भीनमाल में दिवंगत लेखक स्‍वयं प्रकाश के साथ लघु पत्रिका ‘क्यों’ के संपादन अनुभवों को याद करते हुए उनकी प्रगतिशील दृष्टि को रेखांकित किया। डॉ सत्यनारायण व्यास ने चित्तौड़गढ़ में उनके साथ व्यतीत लंबे समय को याद किया और उनकी कहानियों को भारत के सामाजिक विकास में जरूरी हस्तक्षेप बताया।


स्मृति सभा में अलवर से आए जनवादी लेखक संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ जीवन सिंह ने हाल में प्रकाशित स्वयं प्रकाश की आत्मकथात्मक कृति ‘धूप में नंगे पांव’ का विशेष उल्लेख कर लेखन के साथ उनकी सामाजिक सक्रियता को भी रेखांकित किया। सुपरिचित लेखक नन्द भारद्वाज ने स्वयं प्रकाश के साथ अपनी लंबी मैत्री को याद किया और कहा कि उनकी चिट्ठियां भी किसी साहित्यिक दस्तावेज से कम नहीं है।

स्मृति सभा में प्रगतिशील लेखक संघ, राजस्थान के महासचिव ईशमधु तलवार, कवि हरीश करमचंदानी, डॉ रेणु व्‍यास आदि ने स्‍वयं प्रकाश के साहित्‍य कर्म और वैचारिक चेतना के निर्माण में उनके महत्‍वपूर्ण योगदान का स्‍मरण किया। अंत में स्वयं प्रकाश की स्मृति में दो मिनट का मौन रखा गया। स्मृति सभा का संयोजन संदीप मील ने किया।

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