नोटबंदी के चलते पटरी से उतर गई देश की अर्थव्यवस्था, जीएसटी ने भी किया नुकसानः रघुराम राजन
मोदी सरकार के नोटबंदी के फैसले के कटु आलोचक पूर्व आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने एक बार फिर कहा है कि नोटबंदी की वजह से देश की अर्थव्यवस्था को गहरा झटका लगा है, जिसकी वजह से देश की आर्थिक वृद्धि दर बुरी तरह प्रभावित हुई है।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने एक बार फिर कहा है कि नोटबंदी के फैसले से देश की अर्थव्यवस्था को गहरा झटका लगा है, जिससे देश अब तक उबर नहीं पाया है। पूर्व आरबीआई गवर्नर ने कहा कि कई ऐसे अध्ययन हैं, जिनसे साबित होता है कि नोटबंदी के चलते भारत का आर्थिक विकास दर प्रभावित हुआ है। उन्होंने कहा कि नोटबंदी और जीएसटी ने भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार घटाई है। हालांकि, उन्होंने कहा कि जीएसटी का असर अल्पकालिक है।
सोमवार को एक न्यूज चैनल से साक्षात्कार में उन्होंने कहा, “स्पष्ट तौर पर मेरी राय है कि नोटबंदी ने हमारी अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया है। ऐसे कई अध्ययन आए हैं जिनसे इसकी पुष्टि होती है। हमारी वृद्धि दर सुस्त पड़ी है।” उन्होंने कहा कि 2017 में वैश्विक अर्थव्यवस्था काफी तेज रफ्तार से बढ़ी, लेकिन भारत की अर्थव्यवस्था सुस्त पड़ गई। सिर्फ नोटबंदी ही नहीं, जीएसटी के लागू होने से भी देश की अर्थव्यवस्था पर गहरा असर पड़ा। राजन ने कहा कि ऐसे समय में, जब वैश्विक अर्थव्यवस्था में वृद्धि हो रही थी, भारत की जीडीपी की वृद्धि दर नोटबंदी की वजह से बुरी तरह प्रभावित हुई। राजन ने दावा किया कि उन्होंने ऐसे अध्ययन देखे हैं जिनसे स्पष्ट जाहिर होता है कि नवंबर, 2016 में ऊंचे मूल्य के नोटों को बंद करने से भारत की वृद्धि दर पर गहरा असर पड़ा।
पूर्व आरबीआई गवर्नर ने कहा कि नोटबंदी और जीएसटी के दोहरे प्रभाव से भारत की वृद्धि दर प्रभावित हुई। हालांकि उन्होंने कहा कि लंबे समय के लिए जीएसटी सही कदम है, लेकिन इसका अल्पकालीन असर पड़ा है। साक्षात्कार में यह पूछे जाने पर कि क्या उनसे आरबीआई गवर्नर रहने के दौरान नोटबंदी लागू करने के लिए कहा गया था, रघुराम राजन ने कहा कि उनसे ऊंचे मूल्यों के नोटों को प्रतिबंधित करने पर राय मांगी गई थी। साथ ही उन्होंने कहा कि उनकी राय में नोटबंदी एक गलत कदम था।
गौरतलब है कि मोदी सरकार ने 8 नवंबर, 2016 की आधी रात से 500 और 1,000 के नोटों को प्रतिबंधित कर दिया था। टीवी पर इसकी घोषणा करते समय पीएम मोदी और सरकार ने दावा किया था कि नोटबंदी से जाली नोट और आतंकवाद की फंडिंग पर लगाम लगेगी और बड़े पैमाने पर कालाधन पकड़ा जा सकेगा। हालांकि, नोटबंदी के बाद आई कई रिपोर्ट के मुताबिक नोटंबदी से कालेधन का कोई पर लगाम नहीं लगा, उल्टा देश की अर्थव्यवस्था बुरी तरह चरमरा गई, जिससे लाखों लोगों की नौकरियां चली गईं।
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