असोला वाइल्डलाइफ सेंक्चुअरी घूमने गए जेएनयू के छात्रों पर हरियाणा में हमला
छात्रों का आरोप है कि 14 अगस्त की रात कुछ स्थानीय लोगों ने उन्हें घेरकर दुर्व्यवहार किया और लाठियों से पीटा। छात्रों के समूह में शामिल लड़की के साथ छेड़छाड़ की गई और रेप की भी धमकी दी गई।
हरियाणा के सूरजकुंड स्थित असोला वाइल्डलाइफ सेंक्चुअरी घूमने गए दिल्ली के जेएनयू और सेंट स्टीफेंस कॉलेज के कुछ छात्रों के साथ दुर्व्यवहार और मारपीट की घटना सामने आई है।
स्टीफेंस कॉलेज के एक छात्र सहित जेएनयू के तीन पूर्व और तीन वर्तमान छात्रों का एक समूह सूरजकुंड के असोला वाइल्ड लाइफ सेंक्चुअरी की भारद्वाज झील घूमने गया था। छात्रों का आरोप है कि 14 अगस्त की रात वहां से लौटते समय कुछ स्थानीय लोगों ने उन्हें घेरकर दुर्व्यवहार किया और लाठियों से पीटा। छात्रों के समूह में शामिल लड़की के साथ छेड़छाड़ की गई और रेप की धमकी दी गई। छात्रों के अनुसार जब वे लोग इस मामले की शिकायत करने सूरजकुंड पुलिस स्टेशन पहुंचे तो पुलिस अधिकारी ने पीड़ित लड़की के कपड़ों पर सवाल उठाते हुए भद्दी टिप्पणी की। छात्रों का आरोप है कि पुलिस ने इन छात्रों को एक माफीनामा लिखने पर भी मजबूर किया।
छात्रों ने बताया कि सेंक्चुअरी से जब वे वापस लौट रहे थे तब एक आदमी उनके पास आया और पूछने लगा कि लड़की उनके साथ क्या कर रही है। इसके बाद उसने अपने साथियों को बुला लिया और उन्हें लाठी और लात-घूसों से पीटना शुरू कर दिया। तकरीबन एक घंटे बाद उनके कैब ड्राइवर ने दो लोगों के साथ पहुंचकर उनकी जान बचाई।
अगले दिन छात्रों ने दिल्ली के वसंत कुंज पुलिस स्टेशन पहुंचकर शिकायत दर्ज कराई। दिल्ली पुलिस ने केस को आगे की कार्रवाई के लिए सूरजकुंड पुलिस स्टेशन भेज दिया है। हालांकि पीड़ित छात्रों ने एफआईआर में लड़की की शिकायत को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया है। खबरों के मुताबिक घटना के सामने आने के बाद फरीदाबाद पुलिस कमिश्नर हनीफ कुरैशी ने सूरजकुंड थाने के सब इंस्पेक्टर सुरेश कुमार को सस्पेंड कर दिया है।
इस बीच जेएनयू छात्रसंघ ने इस घटना की निंदा करते हुए कहा कि छात्रों के साथ हरियाणा पुलिस ने जिस तरह का व्यवहार किया है वैसा सिर्फ गुंडे करते हैं।
पिछले दिनों चंडीगढ़ में देर रात अपने घर जा रही आईएएस अधिकारी की बेटी के साथ दुर्व्यवहार का मामला सामने आया था। इस मामले में आरोपी कोई और नहीं, बल्कि हरियाणा के भाजपा अध्यक्ष का बेटा था। जब मीडिया में मामला जोर-शोर से उठा तो आरोपियों पर कार्रवाई हुई।
जेएनयू के छात्रों के साथ हुई ताजा घटना ने फिर से यह साबित किया है कि नागरिकों की सुरक्षा के मामले में पुलिस का रवैया काफी असंवेदनशील है और कानून की परवाह किए बगैर हिंसक तरीके अपनाने वाले लोगों को पुलिस नियंत्रित नहीं कर पा रही है।
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