अमेरिका कोरोना के साथ-साथ नस्लभेद घटनाओं से भी जल रहा है। यहां लाखों लोग नस्लभेद विरोधी प्रदर्शन कर रहे हैं। वहीं इस मुद्दे को लेकर सोशल मीडिया फेसबुक के अंदर भी माहौल गरम बताया जा रहा है। फेसबुक के कई कर्मचारी ट्रंप की कुछ पोस्टों को लेकर संस्थापक मार्क जुकरबर्ग की आलोचना कर रहे हैं। उनका कहना है कि डोनाल्ड ट्रंप इन पोस्टों के जरिए सड़कों पर उतरे प्रदर्शनकारियों के खिलाफ हिंसा की चेतावनी दे रहे हैं। ऐसी एक पोस्ट में अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा था कि ‘लूट शुरू होते ही गोली मारने की भी शुरुआत हो जाएगी।’ कर्मचारियों का कहना था कि ट्रंप के पोस्ट को हटा या मॉडरेट कर देना चाहिए था।
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अब इन सब मुद्दों को लेकर फेसबुक के मुखिया मार्क जुकरबर्ग ने अपने कर्मचारियों को सफाई दी है। उन्होंने बीते मंगलवार को अपने करीब 25 हजार कर्मचारियों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधित किया। करीब डेढ़ घंटे के अपने संबोधन और सवाल-जवाब के दौरान उन्होंने यह बताने की कोशिश की कि क्यों उन्हें ट्रंप की पोस्ट आपत्तिजनक नहीं लगी। मार्क जुकरबर्ग ने कहा कि यह फैसला एक विस्तृत समीक्षा के बाद लिया गया।
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इस दौरान फेसबुक संस्थापक की बात का एक सिरा इस साल की शुरुआत में भारत की राजधानी दिल्ली में हुए सीसीए विरोधी प्रदर्शनों से भी जुड़ा। उन्होंने कहा कि हिंसा भड़काने या चुनिंदा लोगों को निशाना बनाने को लेकर फेसबुक की नीतियां साफ हैं। मार्क जुकरबर्ग ने कहा कि, ‘भारत में ऐसे मामले हुए हैं जहां उदाहरण के तौर पर किसी ने कहा कि अगर पुलिस ने ये काम नहीं किया तो हमारे समर्थक आएंगे और सड़कें खाली कराएंगे। ये अपने समर्थकों को सीधे-सीधे हिंसा के लिए भड़काने का ज्यादा प्रत्यक्ष मामला है।’ उनका कहना था कि इस तरह के आशय वाली सामग्री कंपनी बर्दाश्त नहीं करती।
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हालांकि मार्क जुकरबर्ग ने किसी का नाम तो नहीं लिया, लेकिन उन्होंने जिस घटना का उदाहरण दिया उससे ये बात साफ थी कि वो कपिल मिश्रा के बारे में ही बात कर रहे थे। गौरतलब है कि बीजेपी नेत कपिल मिश्रा ने दिल्ली में सीएए विरोधी प्रदर्शनों के दौरान पुलिस को अल्टीमेटम दिया था कि अगर तीन दिन में उसने प्रदर्शनकारियों को नहीं हटाया तो उनके समर्थक यह काम करेंगे। इसके बाद राजधानी में हुई हिंसा में 50 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। पुलिस ने इस हिंसा के मामले में बीती दो जून को ही आरोपपत्र दाखिल किए हैं।
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