ऐतिहासिक पटना संग्रहालय को बंद कर बेली रोड पर नवनिर्मित भवन में स्थानांतरित करने के बिहार सरकार के फैसले का बड़े पैमाने पर विरोध हो रहा है। पुराने संग्रहालय के ठीक पीछे स्थित कला एवं शिल्प महाविद्यालय के छात्र सरकार के इस कदम का विरोध कर रहे हैं। इसके लिए कला एवं शिल्प महाविद्यालय के आर्ट्स एन्ड कल्चर स्टूडेंट्स फेडरेशन ने ‘यक्षिणी बचाओ,पटना संग्रहालय बचाओ’ अभियान चलाने का फैसला किया है। छात्रों का कहना है कि शताब्दी वर्ष में पटना संग्रहालय से किसी वैधानिक प्रक्रिया के बिना यक्षिणी सहित 3 हजार से ज्यादा अमूल्य पुरातात्विक कृतियों को स्थान्तरित करने का वे विरोध करते हैं और इसके लिए आंदोलन करेंगे।
छात्र संगठन का कहना है कि कला एवं शिल्प महाविद्यालय के संस्थापकों ने पटना संग्रहालय के पीछे महाविद्यालय की स्थापना इसलिए की थी कि मूर्ति कला एवं चित्रकला के छात्रों को प्राकृतिक रूप से प्रयोगशाला के रूप में पटना संग्रहालय उपलब्ध रहेगा। कला एवं शिल्प के छात्र महाविद्यालय में नामांकन के बाद बिना किसी रोकटोक के पटना संग्रहालय जाकर एक-एक पुरातात्विक कृतियों के समक्ष बैठकर उसका अध्ययन करते हैं और अपनी कूचिओं से तराशने की कोशिश करते हैं। मूर्तिकला के छात्रों के लिए भी संग्रहालय में मौजूद कृतियां मूर्तिशिल्प के प्रशिक्षण में प्रेरणादायी हैं। बता दें कि आर्ट कॉलेज के छात्रों ने पटना संग्रहालय के शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में 1 अप्रैल 2017 को कॉलेज के समक्ष भव्य तरीके से पटना संग्रहालय का शताब्दी उत्सव आयोजित किया था।
छात्र संगठन ने कहा कि 9 सितंबर से पटना संग्रहालय बंद कर दिया जाएगा और यहां मौजूद मूर्तिशिल्प की महानतम कृति यक्षिणी सहित 3 हजार से अधिक विलुप्त श्रेणी की पुरातात्विक संरचनाओं को स्थानांतरित कर बेली रोड पर नवनिर्मित गैर सरकारी (स्वायत्त) बिहार संग्रहालय में रखा जाएगा। जो कि कला एवं शिल्प के छात्र और मूर्तिकारों-चित्रकारों के लिए असह्य है। छात्रों ने कहा कि महाविद्यालय के वर्तमान छात्र और पूर्ववर्ती छात्र यह मानते हैं कि पटना संग्रहालय से यक्षिणी सहित हजारों पुरातात्विक मूर्तियों-कृतियों,पेंटिंग्स,सिक्कों को हटाने से एक विश्व स्तरीय संग्रहालय का महत्व अचानक समाप्त हो जाएगा। पटना संग्रहालय से इस तरह के विस्थापन से कला एवं शिल्प महाविद्यालय के भविष्य पर भी प्रश्नचिन्ह खड़ा हो सकता है।
छात्रों का मानना है कि कला महाविद्यालय के साथ पटना संग्रहालय का रिश्ता एक प्रकार से गर्भनाल से जुड़ा हुआ है। इसलिए पटना संग्रहालय के खाली हो जाने से यह महाविद्यालय भी अप्रासंगिक हो जाएगा। छात्रों ने बिहार के बुद्धिजीवियों, कलाप्रेमियों, सचेतन नागरिकों से अनुरोध किया कि ‘यक्षिणी बचाओ,पटना संग्रहालय बचाओ’ अभियान में साथ जुटें और सरकार को कला और संग्रहालय विरोधी फैसले को वापस लेने के लिए मजबूर करें।
Published: 10 Sep 2017, 12:00 PM IST
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Published: 10 Sep 2017, 12:00 PM IST