कर्नाटक के श्रृंगेरी विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी विधायक डी एन जीवराज के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गयी है। जीवराज ने बुधवार को बीजेपी की एक रैली में कहा था कि अगर गौरी लंकेश ने आरएसएस के खिलाफ मोर्चा नहीं खोला होता तो उनकी हत्या नहीं होती। जीवराज ने बीजेपी युवा मोर्चा की एक रैली में कहा था कि गौरी लंकेश ने “चड्ढीगला माराना होमा” हेडलाइन के साथ एक स्टोरी प्रकाशित की थी। इस हेडलाइन का अर्थ है आरएसएस के निकर का अंतिम संस्कार। बीजेपी विधायक के इस बयान को क्या गौरी लंकेश की हत्या में आरएसएस की भूमिका की स्वीकारोक्ति नहीं माना जाना चाहिए?
जब विधायक के इस बयान पर प्रतिक्रिया शुरु हुयी तो वही सुना-सुनाया, रटा-रटाया जवाब आया कि उनके बयान को तोड़ मरोड़कर पेश किया गया। बीजेपी विधायक का ये बयान इस तरफ भी इशारा करता है कि गौरी लंकेश दक्षिणपंथी विचारधारा के लोगों के निशाने पर थीं। मैंने पिछले लेख में लिखा था कि जब पिछले साल भ्रष्टाचार की एक खबर से जुड़े एक मामले में गौरी लंकेश को एक स्थानीय अदालत ने दोषी ठहराया था तो कैसे गौरी लेंकेश ट्विटर पर ट्रेंड कर रही थीं। उनके खिलाफ एक माहौल बनाने का काम दरअसल काफी पहले से जारी था, और इसे हवा देने में वह लोग लगे थे जो ट्विटर पर विवादित लोगों को फॉलो करने के मामले में प्रधानमंत्री की तरफ से सफाई पेश कर रहे हैं। गौरी लंकेश पर अदालती फैसला आने के बाद बीजेपी की आईटी सेल के मुखिया अमित मालवीय ने बाकायदा धमकी देते हुए लिखा था कि “बाकी पत्रकार इससे सबक लें…” यह संदेश नहीं, चेतावनी थी, धमकी थी कि गौरी लंकेश के रास्ते पर चलने वाले पत्रकारों के साथ भी ऐसा ही कुछ होगा।
Published: 08 Sep 2017, 2:43 PM IST
लेकिन जब गौरी लंकेश की आवाज और जन सरोकार के उनके इरादों को गोलियों की गूंज से शांत कर दिया गया तो असुरों ने जश्न का तांडव शुरु कर दिया। सोशल मीडिया रूपी मंच पर अपने अपने चोले उतारे सिरफिरों की फौज हुआ-हुआ करने लगी। इन सिरफिरों में कुछ ऐसे भी हैं जिन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बाकायदा ट्विटर पर फॉलो करते हैं। जब सभ्य समाज ने याद दिलाया कि ऐसे लोगों को फॉलो करना तो दूर ब्लॉक कर देना चाहिए, प्रधानमंत्री ने सफाई देने के लिए उसी शख्स को मैदान में उतारा जिसने गौरी लंकेश पर अदालत के फैसले के बाद पत्रकारों को धमकी देने में देर नहीं लगायी थी। इन महाशय ने बाकायदा एक बयान जारी किया जिसे बीजेपी ने सार्वजनिक करने का काम किया। इस बयान में कहा गया कि तो क्या हुआ जो प्रधानमंत्री इन सिरफिरों को फॉलो करते हैं, वे तो दूसरी पार्टी के नेताओँ को भी फॉलो करते हैं। तो क्या हो गया कि प्रधानमंत्री ऐसे सिरफिरों को फॉलो करते हैं, वो उन्हें चरित्र प्रमाण पत्र तो नहीं देते।
Published: 08 Sep 2017, 2:43 PM IST
सही बात है, किसी को ट्विटर पर फॉलो करने का मतलब उसको चरित्र प्रमाण पत्र देना नहीं है, लेकिन जिसका चरित्र आचार-व्यवहार से समाज में नफरत फैलाने का है, और जिसे इस नफरत को फैलाने में शर्म नहीं आती, उसे फॉलो करने का औचित्य समझ से परे है। प्रधानमंत्री जी की तरफ से सफाई में कहा गया कि वे किसी को अनफॉलो नहीं करते, तो जरा नीचे दिए इस ट्विटर रिप्लाई पर गौर कर लीजिए।
Published: 08 Sep 2017, 2:43 PM IST
इसके अलावा इसी सफाई के बाद प्रधानमंत्री जी को यह भी याद दिलाया गया कि जरा उन लोगों का चरित्र तो देख ही लें जो एक महिला और वह भी मृत महिला के बारे में कैसी अभद्र टिप्पणियां कर रहे हैं।
Published: 08 Sep 2017, 2:43 PM IST
जिन महाशय ने प्रधानमंत्री की तरफ से सफाई पेश की है, जरा उनके बारे में भी जान लीजिए। वे बीजेपी की आईटी सेल के नेशनल हेड हैं। लेकिन अपने ट्वीट के माध्यम से पत्रकारों को धमकी देने के अलावा और क्या करते हैं, नीचे दिए गए ट्वीट से साफ हो जाएगा।
Published: 08 Sep 2017, 2:43 PM IST
सोशल मीडिया पर अनसोशल व्यवहार बंद हो, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार की सीमा वहीं तक है जहां तक दूसरे के अधिकारों का हनन नहीं होता।
Published: 08 Sep 2017, 2:43 PM IST
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Published: 08 Sep 2017, 2:43 PM IST