प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव की चर्चा के जवाब में कुछ ऐसी बातें कहीं जिससे देशभर में उबाल आ गया। प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में एक नई संस्कृति पैदा हो रही है, जिस तरह बुद्धिजीवी और श्रमजीवी होते हैं, वैसे ही आंदोलनजीवी सामने आए हैं, और इन आंदोलनों में शामिल होने वाले लोग परजीवी हैं। यह शब्द प्रधानमंत्री जैसे बड़े संवैधानिक पद पर आसीन व्यक्ति के मुंह से निकले हैं...देश हतप्रभ है।
दरअसल पीएम द्वारा आंदोलन करने वालों को आंदोलनजीवी कहना, परजीवी कहना असहमति की आवाजों का अपमान करना है, इंसाफ के लिए लड़ने वाले नागरिकों, अधिकार के लिए सामने आने वाले लोगों और संवैधानिक स्वतंत्रता के लिए आवाज उठाने वालों पर निशाना है। पीएम के शब्दों के सही मायने समझने के लिए आज का टेलीग्राफ देखना चाहिए।
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