मृणाल की बैठक में आज देश और दुनिया के कुछ अहम मुद्दों पर बात की जाएगी। हाल ही में JNU में छात्रों पर हुए हमले के बाद एक बात तो साफ दिखाई दी कि विश्वविद्यालयों के परिसर और छात्रों की सुरक्षा के जिम्मेदारों ने ही अपनी जिम्मेदारी में कोताही की।
CAA के खिलाफ प्रदर्शन में एक बात यह समझ आई कि जब गौरक्षकों और महिलाओं के साथ बर्बरता की घटनाएं हुई तो सभी शांत थे। लेकिन संविधान को एक फूल के छड़ी से छूते ही लोगों के सब्र का बांध टूट गया और देश में विद्रोह की आग भड़क गई।
इसके अलावा फरवरी में एक ही चरण में दिल्ली विधानसभा चुनाव होना है। यह एक अच्छी बात है कि दिल्ली का चुनाव एक ही दिन में निपट जाएगा, क्योंकि कई चरणों के चुनाव से जनता उकता गई है। दिल्ली में इस बार देखना ये होगा कि क्या पांच साल सत्ता से बाहर रहकर कांग्रेस फिर से लौटकर गद्दी संभालेगी या दिल्ली फतेह कर बीजेपी अपना 27 साल का सूखा समाप्त करेगी या फिर इस बार भी दिल्ली की जनता केजरीवाल के ही सिर सत्ता का ताज सजाएगी।
इसके अलावा दुनिया की बात की जाए तो ईरान और अमेरिका का मुद्दा इस समय सब देशों के लिए संकट का विषय बना हुआ है। बदला लेना अरब देशों की राजनीति का स्थाई स्वर रहा है और इसीलिए अमेरिका द्वारा ईरान के सैन्य प्रमुख कासिम सुलेमानी की हत्या के बाद पूरे ईरान में अमेरिका के खिलाफ प्रतिशोध की आग भड़की हुई है।
अंत में पर्यावरण के मुद्दे पर नजर डाली जाए तो इस समय ऑस्ट्रेलिया की आग वहां के पर्यावरण के लिए सबसे बड़ा संकट है। ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में पाए जाने वाले कुआला की आधी से ज्यादा प्रजाति पूरी तरह से आग में जलकर खत्म हो गई है। ये कुछ ऐसे मुद्दे हैं जिनपर गौर करना देश और दुनिया के हर नागरिक के लिए जरूरी हैं, वरना इसके अंजाम कितने खतरनाक हो सकते हैं इसका हम अंदाजा भी नहीं लगा सकते।
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