मृणाल की बैठक के इस एपिसोड में चर्चा करेंगें कि राफेल का वेताल फिर से बाहर आया है और सत्तापक्ष के कंधे पर सवार होकर उसे चिढ़ा रहा है। एक अखबार के खुलासे हड़कंप मचा हुआ है कि रक्षा मंत्रालय तक ने राफेल सौदे में प्रधानमंत्री कार्यालय की दखलंदाज़ी पर आपत्ति जताई थी।अब सत्ता पक्ष सफाई दे रहा है, वहीं कांग्रेस की अगुवाई में विपक्ष नए सिरे से बाहें चढ़ाए मोदी सरकार को राफेल सौदे में भ्रष्टाचार का जिम्मेदार ठहरा रहा है। इसके अलावा बजट सत्र की शुरुआत में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में प्रधानमंत्री ने जो कुछ कहा उसे लोकतांत्रीय कहना थोड़ा मुश्किल है। प्रधानमंत्री ने महागठबंधन को महामिलावट की संज्ञा देकर गठबंधन की पवित्रता का अपमान किया। धर्म ग्रंथों में तो गठबंधनों का जिक्र भरा पड़ा है। यूं भी संघीय गणराज्य में मजबूत क्षेत्रीय दलों के सहयोग से केंद्र में बनने वाली सरकार ज्यादा लोकतांत्रिक होती है, जबकि स्पष्ट बहुमत हासिल करने वाले दल सत्ता में आने के बाद अहंकार का शिकार हो जाते हैं।
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