मृणाल की बैठक के इस एपिसोड में चर्चा कि किस तरह इस लोकसभा चुनावों में राजनीतिक दल अपनी-अपनी मूल विचारधारा के रंग में खुलकर सामने आने लगे हैं। बीजेपी ने विकास का नारा भूलकर कट्टर हिंदुत्व का राग अलापना शुरु कर दिया है और हद तो यह है कि ऐसे लोगों को उम्मीदवार बनाया जा रहा है जिनपर आतंकवाद के आरोप हैं और जो शहीद पुलिस कर्मियों का खुलेआम बर्बरतापूर्वक अपमान कर रहे हैं।
इसके अलावा बात चुनाव आयोग के रवैये पर। एक तरफ तो चुनाव आयोग एक्शन दिखाता नजर आता है, लेकिन वहीं कुछ खास नेताओं का पक्ष लेता भी दिखता है। हद तो यह है कि संविधान सम्मत चुनाव ड्यूटी निभाने पर एक अफसर को सस्पेंड तक कर दिया गया। साथ ही चिंता इस बात पर कि आखिर प्रेस फ्रीडम के मामले में भारत क्यों लगातार सबसे निचले पायदान की तरफ खिसक रहा है।
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