मृणाल की बैठक के इस एपिसोड में आज बात होगी राजनीतिक दलों के घोषणा पत्रों की। पहले कांग्रेस का घोषणा पत्र आया और इसके बाद सत्ताधारी बीजेपी ने भी अपना घोषणा पत्र पेश किया। एक समय था जब घोषणा पत्रों को औपचारिकता समझा जाता था लेकिन आज इन पर गंभीर चर्चा और विश्लेषण होता है। बीजेपी के घोषणा पत्र का मूल तत्व इस बार विकास से दूर आंतरिक और बाह्य सुरक्षा पर केंद्रित नजर आता है।
पड़ोसियों के साथ कड़े रुख का संदेश है जो अंतरराष्ट्रीय रिश्तों में कड़वाहट का कारण बन सकता है। बीजेपी ने अपने घोषणा पत्र में नोटबंदी और आर्थिक नीतियों से हुए नुकसान का जिक्र नहीं किया है। इतना ही नहीं अंग्रेजी और हिंदी में मुद्रित बीजेपी के घोषणा पत्र में भी अंतर है। मसलन मुद्रा लोन के आंकड़े दोनों भाषाओं में गलत हैं तो महिलाओं की सुरक्षा वाले कॉलम में तो गंभीर गलती है।
वहीं कांग्रेस का घोषणा पत्र व्यापक और सबको साथ लेकर संवैधानिक दायरे में देश को आगे बढ़ाने का आव्हान करता है। बीजेपी ने चाय वाले की छवि तोड़कर चौकीदार की छवि पेश की है और एक डर का माहौल पैदा करने की कोशिश की है घोषणा पत्र के जरिए। इसके अलावा बात होगी विजय माल्या जैसों को भारत लाने की कोशिशों की। साथ ही पर्यावरणीय चिंता कि आखिर क्यों आ रहे हैं बेमौसम अंधड़?
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