मृणाल की बैठक के इस एपिसोड में सबसे पहले बात पुलवामा हमले की, जिसे लेकर राजनीतिक दलों ने मोटा-मोटी संयम बरता, लेकिन मीडिया ने आक्रामकता का रुख दिखाया। बिना तथ्यों तक पहुंचे किसी भी मुद्दे पर भड़काने का काम करना सही नहीं है। वहीं सोशल मीडिया तो बेलगाम है ही, उस पर तो भड़काने वाले संदेशों की बाढ़ सी आ गई है। जरूरत ऐसे हमलों के वक्त संयम से एकजुट होने की है। इसके अलावा नागरिकता बिल भले ही राज्यसभा में पास न हो पाया हो, लेकिन इससे पूर्वोत्तर राज्यों में भड़की आग ने बीजेपी को सांसत में डाल दिया है। साथ ही चर्चा पर्यावरण की, कि स्थानीय लोगों और संसाधानों को नजरंदाज़ कर पर्यावरण बचाने के उपायों से भी कैसे नुकसान हो सकता है।
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