मृणाल की बैठक में इस बार चर्चा सोशल मीडिया प्लेटफार्म ट्विटर और बीजेपी के बीच शुरु हुई तनातनी पर। बीजेपी नेताओं की शिकायत पर संसद की समिति ने जब सोशल मीडिया कंपनी ट्विटर को सफाई देने के लिए तलब किया, तो ट्विटर सीईओ ने समिति के सामने पेश होने से इनकार कर दिया। हालांकि एक ट्विटर की एक टीम समिति से मिलने गई थी, लेकिन समिति ने कहा कि सीईओ ही पेश हों।
यहां यह समझना होगा कि ट्विटर के ग्लोबल सीईओ क्या चंद दिनों के नोटिस पर भारत आ सकते हैं? बहरहाल अगर संसदीय समिति ने उन्हें सम्मन किया और वे पेश नहीं हुए तो या यह विशेषाधिकार हनन का मामला बनेगा, यह भी देखना होगा। लेकिन इसके पीछे की कहानी को समझना जरूरी है।
कहानी यह है कि जब तक ट्विटर बीजेपी और उनके समर्थकों की मदद करता रहा, तब तक तो सब ठीक था, लेतिन जब ट्विटर ने अपनी नीतियों के तहत दूसरों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले संदेशों पर रोक लगाना शुरु की तो बीजेपी को तकलीफ होनी शुरु हो गई। इस एपिसोड में बात भूपेन हज़ारिका के बेटे के फैसले पर भी, जिन्होंने मोदी सरकार के नागरिकता बिल के विरोध में भारत रत्न स्वीकार करने से इनकार कर दिया।
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